नेहरू की राह पर चल पड़े हैं ओली ?

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चीनी राजदूत होउ यांकी और उसके हुस्न के ज़ाल में फंसे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली |
एडविना के जवाहर और यांकी के ओली
केपी ओली की हालत देखकर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की याद ताज़ा हो जाती है.नेहरु 1947 के ज़माने में भारत के अंतिम वायसराय लार्ड लुुईस माउंटबैटेन की बीवी एडविना लूईस माउंटबैटेन के जाल फंसे थे और जो कुछ हुआ वही आज नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के कार्यकाल में नेपाल में भी होता हुआ दिख रहा है.
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दो ज़िस्म एक ज़ान-जवाहर लाल नेहरु और एडविना माउंटबैटेन |
अब ये महज़ एक संयोग है या फ़िर रची गई साज़िश,एक बड़ा सवाल है मगर,ऐसा लगता है कि इतिहास पड़ोसी देश नेपाल में दुहरा रहा है और भारत का अतीत आज वर्तमान की शक़्ल में नेपाल में नज़र आ रहा है.
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दो ज़िस्म एक ज़ान-नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली और चीनी राजदूत होउ यांकी |
मोहब्बत की कोई उम्र नहीं
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प्रधानमंत्री आवास में केपी ओली के साथ चीनी राजदूत होउ यांकी |
नेहरू और ओली का प्यार प्लेटोनिक या शारीरिक ?
मग़र ये मोहब्बत का बुख़ार जो कभी नेहरु को था और आज ओली को चढ़ा हुआ है,उसे प्लेटोनिक (आदर्शवादी ) समझा जाये या फ़िर शारीरिक,इसपर विवाद है.विभिन्न ज़ानकारों और विचारकों में मतान्तर है इसलिए हमें दोनों शख्शियतों से जुड़ी घटनाओं और उपलब्ध साक्ष्यों को मोहब्बत अथवा प्यार के सही मायने की कसौटी पर परखने की ज़रूरत है,जिससे दोनों में फ़र्क़ कर वास्तविकता का पता लगाया जा सके.
प्यार : अर्थ,परिभाषा और पहचान
प्यार वह मनोवृत्ति है जो किसी को बहुत अच्छा समझकर सदा उसके साथ या पास रहने की प्रेरणा देती है.इसमें त्याग,तपस्या तथा बलिदान के भाव समाहित होते हैं,स्वार्थ की गुंज़ाइश नहीं होती और ज़िस्मानी ज़रुरतें भी मायने नहीं रखतीं.
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दिल से निकलते प्यार के बहाव का सांकेतिक चित्र |
लेकिन प्यार में यदि स्वार्थ हो या फ़िर ज़िस्मानी ताल्लुक़ात हों तो वो प्यार नहीं,महज़ एक स्वार्थ-सिद्धि का ज़रिया है या फ़िर शारीरिक आकर्षण के गर्भ से उपजी परिस्थिति है जो क्षणभंगुर होती है.एक राजनेता के रुप में नेहरु तथा ओली का विदेशी महिलाओं(जो सीधे-सीधे राजनितिक और सामरिक रूप से जुडी हुई हैं ) के साथ प्यार यहाँ स्वार्थ और शारीरिक आकर्षण पर टिका हुआ प्यार नज़र आता है जिसे लव,सेक्स और धोखा से जोड़कर देखा जाता है.इसे हनी ट्रैप भी कहते हैं.
हनी ट्रैप के मायने
प्यार का मक़सद यदि जायज़-नाज़ायज़ काम करने अथवा करवाने का हो तो वो प्यार नहीं बल्कि महज़ एक आकर्षण और शारीरिक-मानसिक भूख है जिसके ज़रिए साज़िशें अंज़ाम दी जाती हैं.इसे हनी ट्रैप भी कहते हैं.हनी ट्रैप यानि एक ऐसा मीठा ज़ाल जिसमें फंसने वाले को अंदाज़ा भी नहीं होता कि वो कहाँ फंस गया है और किसका शिक़ार बनने वाला है.इसमें दुश्मन देश की ख़ूबसूरत महिला एजेंट टारगेट किए गए देश के राजनेताओं और सेना के अधिकारियों को अपने हुस्न के ज़ाल में फंसाती हैं.
जैसा कि हम जानते हैं कि हमेशा सीधी ज़ंग नहीं होती और हर बार सिर्फ़ ज़ंग के मैदान में ही मात नहीं दी जाती,ख़ुफ़िया तरीक़ों से भी दुश्मन को मात दी जाती है.इस ख़ुफ़िया खेल में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है हनी ट्रैप.
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हनी ट्रैप में शामिल महिलाएं जिन्होंने राजनेताओं और अधिकारीयों को निशाना बनाया |
नेहरू और एडविना का सम्बन्ध
नेहरु और एडविना के संबंधों की बात करें तो,कई सारे लेखकों,देश-विदेश में तैनात भारत सरकार के तत्कालीन अधिकारियों और कुछ चश्मदीदों के खुलासे से ये पता चलता है कि नेहरु और एडविना के बीच ना सिर्फ़ ज़िस्मानी ताल्लुक़ात थे बल्कि दोनों के बीच एक विकृत कामुकता थी जो कई मौकों पर सार्वजनिक भी हो जाती थी.मसलन,दिल्ली के सरकारी आवास स्थित स्विमिंग पुल में एक साथ नहाना,नैनीताल के राजयपाल आवास में रूसी मोदी द्वारा नेहरु और एडविना को हमबिस्तर होते हुए देखा जाना (एमजे अक़बर की क़िताब, नेहरू-द मेकिंग ऑफ़ इंडिया),लंदन स्थित माउंटबैटेन के आवास(लॉर्ड माउंटबैटेन की अनुपस्थिति में )पर एडविना द्वारा नाईट गाउन में दरवाज़ा खोलने तथा नेहरु के अंदर दाखिल होने की वहां अख़बारों में छपी तस्वीरें (खुशवंत सिंह की आत्मकथा-ट्रूथ,लव एंड लिटिल मेलिस ) और दोनों के अनगिनत प्रेमपत्र आदि साक्ष्य हैं.पेश है बीबीसी का वो वीडियो जिसमें नेहरु-एडविना के संबंधों की चर्चा है…
हनी ट्रैप में फंसे थे नेहरु और जिन्ना
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त्रिकोणीय प्रेम :जवाहर लाल नेहरु, एडविना लुईस और मोहम्मद अली जिन्ना |
उपरोक्त सामग्री(पुस्तकें व भाषण आदि ) से ये भी पता चलता है कि 3 जुलाई 1947 की अहले सुबह 3 बजे नेहरु और एडविना एक साथ थे.उस वक़्त एडविना ने नेहरु को कुछ अश्लील तस्वीरें दिखाई,जो दोनों के बीच की थीं.उसने नेहरु को ब्लैकमेल कर विभाजन के दस्तावेज़ पर दस्तख़त करने पर मज़बूर किया.ऐसा ही कुछ उसने जिन्ना के साथ भी किया तथा दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कराकर भारत के दो टुकड़े करवा दिए.
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स्वर्गीय राजीव दीक्षित जिनके भाषणों में नेहरु,एडविना और जिन्ना के बीच संबंध व भारत-विभाजन की चर्चा |
केपी ओली और होउ यांकी का सम्बन्ध
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नेपाली लोकनृत्य में हुस्न-ओ-अदा के ज़लवे बिखेरती ख़ूबसूरत यांकी |
उसकी ख़ूबसूरत अदाओं की चर्चा राजनितिक गलियारों तक पहुंची जिससे ओली भी अछूते नहीं रहे और इसी मौक़े का फ़ायदा उठाकर वह उनके क़रीब जा पहुंची.इतने क़रीब कि अब दोनों के बीच फ़ासला ना रहा और वह ओली के दिल में उतर गई.यांकी के दफ़्तर और ओली के आवास की दूरियां सिमट गईं.ओली यांकी के प्यार में इस क़दर पाग़ल हुए कि वो देश का भला-बुरा सोचना छोड़ यांकी के इशारों पर नाचने लगे.
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हनी ट्रैप की माहिर होउ यांकी और उसके ज़ाल में फंसे केपी ओली |
आज हालत ये है कि यांकी चौबीस घंटे ओली के पीछे साए की तरह लगी रहती है.अब ये ओली की तरफ़ से दी गई छूट है या ख़ुद ओली की ज़रूरत कि यांकी बेरोकटोक उनसे मिलने कहीं भी पहुँच जाती है.देर रात ओली के आवास पर उसका आना-जाना लगा रहता है और एकांत में भी उनकी मुलाक़ातें चलती रहती हैं.अब एकांत में और वो भी रात में कोई रणनीतिक चर्चा तो चलती नहीं होगी,दिलों की सलामी ही ली जाती होगी और राजधर्म बिस्तर पर मसला जाता होगा.नेपाल में सत्ता के गलियारों से लेकर आमजन के बीच चौक-चैराहों तक आज इसकी चर्चा आम है.
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हनी ट्रैप में शामिल हमबिस्तर महिला का सांकेतिक चित्र |
नेपाली सेना पर भी यांकी का शिकंजा
चीनी राजदूत होउ यांकी का क़द आज इतना बड़ा हो चुका है कि वह नेपाल के सेनाध्यक्ष को भी जब चाहे तलब कर लेती है,उनसे मीटिंग करती है और निर्देश भी देती है.
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मदद के ज़रिए शिकंज़ा : चीनी राजदूत यांकी और नेपाली सेना प्रमुख |
सरकारी कामकाज में दख़ल
नेपाल के संवेदनशील और महत्वपूर्ण सरकारी दफ्तरों में भी उसका आना-जाना है.वह सरकारी काम-काज में दखल देती है और बाबुओं में उसका ख़ूब रौब है.
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सरकारी कामकाज़ में दखलंदाज़ी : चीनी राजदूत यांकी की देखरेख में काम करते नेपाली कर्मचारी |
नेपाली राजनीति में निर्णायक भूमिका
यांकी ओली से भी ज़्यादा प्रभावशाली है.जो काम ओली नहीं कर सकते वो काम वह चुटकियों में कर देती है.कम्युनिस्ट पार्टी के गठबंधन में वो एक पुल का काम कर रही है और इसे ना सिर्फ़ टूटने से बचाया है बल्कि खतरे में पड़ी ओली की कुर्सी भी फ़िलहाल बचा ली है.
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पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ और केपी ओली के बीच समझौता कराने वाली होउ यांकी |
यांकी के इशारे पर भारत विरोधी क़दम
यांकी के दीवाने ओली अब पूरी तरह यांकी और चीन की गोद में जा बैठे हैं और उसी के इशारे पर भारत विरोधी काम कर रहे हैं.हाल ही में यांकी के इशारे और मार्गदर्शन पर संसद से नेपाल का नया नक़्शा पास हुआ है जो पिछले नक़्शे से अलग़ है.नेपाल ने इस नए नक़्शे में लिपुलेख,कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को अपना बताया है,जबकि ये इलाक़े हमेशा से ही भारत का हिस्सा रहे हैं.
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भारत के भूभाग-लिपुलेख,कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपना हिस्सा बता रहा नेपाल का नया नक़्शा |
नेपाल में चीनी टेंट और पीएलए के जवान
नेपाल इन दिनों चीन द्वारा क़ाबिज़ तिब्बत और नेपाल सीमा पर चीनी ख़र्चे पर सड़क निर्माण कर रहा है जिससे चीन को फ़ायदा हो सके और आसानी से वो नेपाल और भारत तक सामरिक पहुँच बना सके.उसने नेपाल-भारत सीमा पर चीनी टेंट लगा रखे हैं और जो बंकर बनाए हैं उनमें नेपाली सेना के जवानों के साथ-साथ चीनी सेना(पीएलए ) के जवान भी बैठे हुए हैं.चीन की शह पर वह रोज़ नई साज़िशे रच रहा है जिससे भारत-नेपाल के बीच तनाव पैदा हो.
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नेपाल सीमा में लगे चीनी टेंट और उनमें नेपाली वर्दी में पीएलए के जवान
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बेटी-रोटी का सम्बन्ध बिगड़ने की क़वायद
ओली सरकार ने भारत-नेपाल के बीच सदियों पुराने बेटी-रोटी के सम्बन्ध बिगाड़ने के मक़सद से ही नया नागरिकता क़ानून का प्रस्ताव पेश किया है जिसके तहत नेपाली पुरुषों के साथ विवाह करने वाली ग़ैर नेपाली मूल की महिलाओं को शादी के बाद नेपाल की नागरिकता पाने के लिए सात साल का लंबा इंतज़ार करना होगा.
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विवाह:दो शरीर तथा आत्माओं के मिलन का सांकेतिक चित्र |
नेपाल की ज़मीन पर चीन का क़ब्ज़ा
कहते हैं कि शराब,क़बाब और शबाब की लत जिसे लग जाए उसकी बर्बादी पक्की है.नेपाल का वर्तमान और भविष्य भी कुछ ऐसा ही नज़र आ रहा है.वहां के प्रधानमंत्री केपी ओली पर चढ़ा होउ यांकी के हुस्न का ज़ादू अपना रंग दिखा रहा है.नेहरु ने जैसे आधा कश्मीर और अक्साई चीन गंवाए वैसे ही ओली सरकार भी अपने सीमावर्ती इलाक़े (नेपाल-तिब्बत सीमा ) चीन के हवाले करती जा रही है.बताया जाता है कि चीन अबतक गोरखा जिले के रूई गुआन गाँव समेत 12 इलाक़ों यानि क़रीब 36 हेक्टेयर भूमि पर क़ब्ज़ा कर चुका है.
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नेपाल के 12 गाँव यानि 36 हेक्टेयर ज़मीन पर चीन का क़ब्ज़ा |
इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट,जिसे नेपाल की स्थानीय मीडिया भी स्वीकारती है;में खुलासा हुआ है कि तिब्बत-नेपाल सीमा पर नेपाल का रूई गाँव अब तिब्बत के अधीन हो चुका है,जो चीन के अवैध क़ब्ज़े में है.हालांकि ये गाँव अभी भी नेपाल के नक़्शे में शामिल है,लेकिन उसपर चीन की दादागिरी चल रही है.चीन ने गाँव में बॉर्डर पिलर उखाड़ दिए हैं जिससे कि वो अपने ग़ैरक़ानूनी क़ब्ज़े की बात दबा सके,जबकि तथ्य ये है कि अपनी मूल पहचान के लिए सघर्ष कर रहे इस गाँव में रहने वाले सभी 72 परिवारों का रिकॉर्ड,गोरख़ा जिले के राजस्व दफ़्तर में मौज़ूद है.
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चीन के क़ब्ज़े में नेपाल का ख़ूबसूरत रूई गाँव |
नेपाल बना चीन का नया पाक़िस्तान
हैरानी की बात ये है कि भारत के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी करने वाले नेपाली पीएम ओली ने इस चीनी क़ब्ज़े पर चुप्पी साध रखी है लेकिन वो भारत के ख़िलाफ़ प्रोपेगेंडा कर रहे हैं,वो इस बात का सबूत है कि नेपाल चीन का नया पाक़िस्तान बन गया है और ओली बन गए हैं उसके लिए इमरान ख़ान.
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शी जिनपिंग के दो मोहरे : इमरान और केपी ओली |
और अंत में नेपाली पीएम ओली और नेपाल की शान बस इतना ही कहूंगा…
लुटा के हर चीज़ मंज़िल-ए -इश्क़ की राह में,
मैं हंस पड़ा हूँ आज ख़ुद को बरबाद करके।
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