ज़िन्दगी का हर राज़ खोल देता है नाक पर तिल, जानिए क्या कहता है यह महिलाओं के बारे में
हमारी त्वचा पर काले या भूरे रंग का हल्के उभार के रूप में चिन्ह या निशान तिल कहलाता है. यह कहीं भी हो सकता है. लेकिन नाक पर तिल बहुत मायने रखता है. सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार इसके ज़रिए किसी के व्यक्तित्व और स्वास्थ्य के साथ उसके भूत, वर्तमान और भविष्य को भी जाना जा सकता है.

शरीर के विभिन्न अंगों पर तिल का होना आम है. मगर भारतीय परंपरा में इसे ख़ास और अहम माना गया है. सामुद्रिक शास्त्र का कहना है कि अंगों पर तिल विशेष महत्त्व रखता है, और यह जीवन पर गहरा असर डालता है. नाक पर तिल भी उन्हीं में से एक है. इसके अनुसार नाक पर तिल भी लाक्षणिक या सूचक होता है. यह जीवन का हर रहस्य उजागर कर देता है. किसी की नाक पर स्थित तिल का अध्ययन करना उसकी कुंडली पढ़ने जैसा ही कार्य होता है.

नाक पर तिल का अर्थ
नाक पर तिल से आशय नाक के विभिन्न हिस्सों पर स्थित तिल से है. यह नाक के ऊपरी भाग, बीचो-बीच, निचले भाग, दायीं ओर या बायीं ओर स्थित हो सकता है. मगर प्रत्येक स्थान और दिशा में स्थित तिल का अलग महत्त्व होता है. सामुद्रिक शास्त्र के मुताबिक़ तिल अपनी स्थिति के अनुसार प्रभाव डालता है.
आइये जानते हैं सामुद्रिक शास्त्र नाक पर तिल वाली स्त्रियों के जीवन के विषय में क्या कहता है अथवा उनका जीवन किस प्रकार का होता है.
नाक के ऊपरी भाग पर तिल
नाक के ऊपरी हिस्से पर स्थित तिल दुर्लभ प्रकार का माना गया है. सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार ऐसे तिल वाली स्त्रियां बुद्धिमान, सुंदर और गुणवान होती हैं. इन्हें मनचाहा वर और परिवार मिलता है. कम पर योग्य संतान का योग होता है.

सामुद्रिक शास्त्र के जानकारों या विशेषज्ञों का कहना है कि नाक के ऊपरी भाग पर तिल वाली महिलाएं सुखी-संपन्न होती हैं. इनके जीवन में किसी प्रकार की कमी नहीं होती है, और इनके अधिकांश सपने पूरे होते हैं.
इनकी सोच सकारात्मक होती है, और ये मेलजोल और परस्पर सहयोग की भावना के साथ रहना और कार्य करना पसंद करती हैं. इससे परिवार और समाज में इन्हें आदर और सम्मान प्राप्त होता है.
इनका दांपत्य जीवन मधुर होता है, और रिश्ते मजबूत होते हैं.संतान से सुख-प्राप्ति का योग होता है.
इनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है, और दीर्घायु होती हैं. बताया जाता है कि ये 90 वर्षों से अधिक काल तक जीती हैं.
नाक के मध्यभाग पर तिल
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार नाक के मध्यभाग यानी बीच (बीचो-बीच) में स्थित तिल वाली स्त्रियां तीव्रबुद्धि, लगनशील, परिश्रमी तथा उद्यमी होती हैं. इन्हें अच्छा पति मिलता है पर अच्छी ससुराल नहीं मिलती है. अधिक संतान का योग होता है.

विशेषज्ञों के कहना है कि जिन महिलाओं की नाक के ठीक बीच वाले भाग पर तिल होता है उनका जीवन सुख-समृद्धि से भरपूर होता है. मगर पारिवारिक क्लेश इन्हें कई बार अशांत कर देता है.
दरअसल, ये खुले विचारों की होती हैं, और किसी की दखलंदाजी पसंद नहीं करती हैं. स्वयं को सिद्ध करने या अपनी बात मनवाने के लिए ये अपनी तर्कशक्ति और कला का भरपूर प्रयोग करती हैं. इससे इनके कार्यक्षेत्र के अलावा, समाज में अच्छा प्रभाव प्रभाव पड़ता है, लोग इन्हें आदर की दृष्टि से देखते और महत्त्व देते हैं.
इनके लिए ज़िन्दगी एक जंग की तरह होती है, जिसमें अधिकांश मामलों में ये सफलता प्राप्त करती हैं.
इनका दांपत्य जीवन अच्छा बना रहता है, और रिश्ते मजबूत होते हैं. संतान से सुख की प्राप्ति होती है.
इनका स्वास्थ्य आमतौर पर अच्छा रहता है. मगर बुढ़ापे की शुरुआत ही में इन्हें कई प्रकार की बीमारियां घेर लेती हैं, जिससे जल्द ही शरीर कमज़ोर और शिथिल पड़ जाता है. बताया जाता है कि ये अधिकतम 75 साल की आयु पूरी कर पाती हैं.
नाक के अग्रभाग पर तिल
नाक का निचला हिस्सा नाक का अग्रभाग (front part) कहलाता है. इसमें नाक की नोक (वह भाग जिसके नीचे नथुने या नासिका गुहा छेद के रूप में दो भागों में विभाजित होती है) भी शामिल है. सामुद्रिक शास्त्र का कहना है कि नाक के अग्रभाग पर स्थित तिल वाली महिलाएं बुद्धिमती (बुद्धिमान), जिद्दी, परिश्रमी व उद्यमी प्रवृत्ति की होती हैं. इन्हें मनचाहा वर नहीं मिलता है पर ससुराल अच्छी मिलती है. कम संतान का योग होता है.

विशेषज्ञों के अनुसार नाक के सामने वाले हिस्से या इसकी नोक पर तिल वाली महिलाओं का जीवन सुख-सुविधाओं से भरपूर होता है. सफलताएं इनके कदम चूमती हैं.
ये कोई भी कार्य योजनाबद्ध तरीक़े से करती हैं, और उसे पूरा किये बिना दम नहीं लेती हैं. इन्हें ख़ुद को साबित करने के लिए धुन सवार होती है, या फिर यूँ कहिये कि एक जुनून-सा होता है.
मगर इनमें स्वार्थ की भावना भी प्रबल होती है. ये अपने और अपने परिवार के हित के मार्ग में किसी को भी महत्त्व नहीं देती हैं. यहां तक कि सामाजिक नियमों या उसूलों को भी तोड़ने से गुरेज़ नहीं करती हैं.
इनका दांपत्य जीवन समझौतों पर टिका होता है. मगर संतान से सुख की प्राप्ति होती है.
इनका स्वास्थ्य ठीक रहता है. मगर ये दीर्घायु नहीं होती हैं. इनका अधिकतम जीवनकाल 72 वर्षों का बताया जाता है.
नाक की दायीं ओर तिल
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार नाक की दायीं ओर तिल वाली महिलाएं बुद्धिमान, कलाप्रेमी, सुंदर व आकर्षक होती हैं. इन्हें मनचाहा पति व परिवार मिलता है. अधिक संतान का योग होता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि जिन महिलाओं की नाक की दायीं तरफ़ तिल होता है उनकी ज़िंदगी खुशहाल होती है. उनकी क़ामयाबी की दर अच्छी होती है, और अधिकांश सपने पूरे होते हैं.
क़ाबिलियत के अलावा, इनकी खूबसूरती भी असर रखती है. साथ ही, बोलने का अंदाज़ निराला होता है. इससे लोग इनकी ओर खींचे चले आते हैं, और प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते हैं. इन्हें परिवार और समाज में अच्छा स्थान और सम्मान प्राप्त होता है.
ये पति को रति (कामदेव की पत्नी) के समान यौनसुख देने और उनका ख़याल रखने वाली होती हैं. पति का भी इन्हें भरपूर साथ और सहयोग प्राप्त होता है. संतान से सुख की प्राप्ति का योग होता है.
इनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है, और ये दीर्घायु मानी जाती हैं. बताया जाता है कि ये 80 वर्षों से अधिक आयु तक जीवित रहती हैं.
नाक की बायीं ओर तिल
सामुद्रिक शास्त्र का कहना है कि नाक की बायीं ओर तिल वाली स्त्रियां तीव्रबुद्धि, कला व तकनीक-प्रेमी, शांत व सहज वृत्ति की होती हैं. इन्हें अच्छा पति व परिवार मिलता है. कम पर योग्य संतान का योग होता है.

विशेषज्ञों के अनुसार जिन महिलाओं की नाक की बायीं ओर तिल होता है उनका जीवन सुख-समृद्धि से भरपूर होता है. सफलता इनके क़दम चूमती है, और अधिकांश सपने पूरे होते हैं.
बदलाव या नयापन इन्हें बहुत भाता है. इसलिए ये नित नया कुछ सीखने और करने अथवा नई तकनीक विकसित करने के प्रयास में रहती हैं.
ये सदा अपने ज्ञान के प्रचार-प्रसार में लगी रहती हैं. इसके लिए भरपूर समय देती हैं, और धन भी खर्च करती हैं. इसमें इन्हें क़ामयाबी भी मिलती है. अनेक लोग इनसे प्रभावित होते हैं, और इनका अनुसरण करते हैं.
इनका दांपत्य जीवन अच्छा रहता है, और रिश्ते मजबूत होते हैं. संतान से सुख की प्राप्ति का योग होता है.
इनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है, मगर ये दीर्घायु नहीं मानी जाती हैं. बताया जाता है कि इनका अधिकतम जीवनकाल 70 वर्षों का होता है.
अस्वीकरण: इस लेख में कही गई बातें सामुद्रिक शास्त्र, सामुद्रिक तिलक, भविष्यपुराण का स्त्री पुरुष लक्षण वर्णन, बहुत्रेयी, लघुत्रयी और अन्य शास्त्रीय पुस्तकों सहित पत्रिकाओं, इंटरनेट वेबसाइट, पूर्व में किये गए कार्यों से विवरण इकठ्ठा कर किया गया साहित्यिक और वैचारिक अध्ययन का निचोड़ हैं. खुलीजुबान.कॉम इसकी शत-प्रतिशत (100%) प्रामाणिकता का दावा नहीं करता है. इसलिए, पाठक इसे संक्षिप्त जानकारी मानकर अपने विवेक का प्रयोग करें.
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