Ads
शिक्षा एवं स्वास्थ्य

पावर नैप क्या है? जानिए इसे क्यों और कैसे लेना चाहिए

अध्ययनों से पता चलता है कि कुछ तरह के दिमागी काम के लिए दिन में ली गई एक झपकी एक रात की नींद जितनी ही अच्छी होती है.इसी को देखते हुए आजकल कुछ कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए कार्यालयों में 'राइट टू नैप' की शुरुआत की है.इसमें आरामदेह नैप पॉड्स और क्वाइट रूम की व्यवस्था है, ताकि उन्हें उचित वातावरण मिल सके.

हिन्दू धर्मग्रंथों में दिन में सोने को नुकसानदेह बताया गया है.आयुर्वेद और दूसरे सभी चिकित्सा विज्ञान में भी इसके नुकसान की ही बातें मिलती हैं.मगर, इन सब में दोपहर में भोजन के बाद आराम करने की सलाह दी गई है.इस दौरान ‘पावर नैप की आवश्यकता’ भी एक ऐसा विषय है जिस पर काफ़ी चर्चा होती है.सालों से वैज्ञानिक इसके लाभ की जांच कर रहे हैं, और संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं की एक विस्तृत श्रृंखला में प्रदर्शन का परीक्षण किया गया है.

दुनिया के कई स्थानों पर पावर नैप को लेकर जांच और परीक्षण हुए हैं.यह अब भी जारी है.नासा के अध्ययनों पर आधारित एक रिपोर्ट बताती है कि पावर नैप कुछ ‘मेमोरी वर्क’ या स्मृति कार्यों में सुधार कर सकती है.’अमेरिकन स्लिप एसोसियेशन’ के अनुसार, पावर नैप वयस्कों के लिए कई प्रकार से लाभप्रद होता है.

वैज्ञानिक यह मानते हैं कि पावर नैप हमारी सामान्य नींद या जागने के चक्र में उचित है.अगर हम यह सही तरीक़े से लेते हैं, तो अपना अच्छे से गुजारने में मदद मिलती है.उनके अनुसार लगातार काम के बीच में पावर नैप लेने का अवसर और बेहतर वातावरण प्रदान करता है.ऐसे में, पावर नैप पर रौशनी डालना ज़रूरी हो जाता है.साथ ही, इसके तरीक़े से जुड़ी तथ्यपरक बातों को भी जानने की आवश्यकता है, ताकि इसका महत्त्व अच्छी तरह समझ आ सके.

जानिए क्या होता है पावर नैप

पावर नैप या कैट नैप एक छोटी नींद है, जो हमें गतिविधियों के दौरान महसूस होती है.आमतौर पर इसे झपकी कहा जाता है.यह दिन में शरीर और दिमाग़ को आराम दने के लिए ली जाती है.

पावर नैप शब्द दरअसल, अमरीका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय के सामाजिक मनोवैज्ञानिक जेम्स बेरिल मास द्वारा गढ़ा गया शब्द है.उन्हें नींद अनुसंधान के क्षेत्र में काम के लिए जाना जाता है.इस पर उन्होंने पीबीएस, बीबीसी और अन्य के लिए कई विशेष फिल्मों का भी निर्माण किया है.

पावर नैप की ज़रूरत क्यों है जानिए

वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे शरीर में एक आतंरिक टाइमकीपर (समय का हिसाब-किताब रखने वाला) या जैविक घड़ी होती है, जिसे सर्केडियन रिदम (Circadian rhythm) या चक्री ताल, दिवसीय लय, दिवारात्रि ताल, आदि कहा जाता है.यह हमारे सोने-जागने के चक्र को बनाये रखने में सहायक होता है.यानि, हमें कब सोना है और कब जागना है, यह हमारी प्राकृतिक घड़ी हमें बताती रहती है.

विशेषज्ञों के अनुसार, यह हमें पूरे दिन कम या ज़्यादा नींद महसूस करने में मदद करता है.

इसे हम यूं भी कह सकते हैं कि काम करते-करते हम थक जाते हैं, तो हमारे शरीर और दिमाग़ को आराम की ज़रूरत महसूस होती है.इस दौरान एक झपकी या छोटी नींद ले लेने से नई उर्जा और पूरी चुस्ती-फुर्ती के साथ हम फिर से क्रियाशील हो सकते हैं.इससे हमारी कार्यक्षमता तो पूरी बनी रहती ही है, कोई ग़लती या दुर्घटना की संभावना भी कम हो जाती है.

इसी को देखते हुए आजकल कुछ कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए कार्यालयों में ‘राइट टू नैप’ की शुरुआत की है.इसमें आरामदेह नैप पॉड्स (सोने के लिए एक विशेष प्रकार का फर्नीचर, जिसे स्लिप पॉड्स, नैपिंग पॉड्स या नैप कैप्सूल भी कहा जाता है) और क्वाइट रूम (शांत कमरे) की व्यवस्था है, ताकि उन्हें सही वातावरण मिल सके.

पावर नैप का समय व इसकी उचित अवधि को जानना है ज़रूरी

विशेषज्ञों का कहना है कि बेहतर महसूस करने के अलावा पावर नैप के और भी कई फ़ायदे हैं.मगर, इसके लिए उचित समय व अवधि का ध्यान रखना आवश्यक है.लोगों को इसकी सही जानकारी होनी चाहिए.

उनके अनुसार, पावर नैप की अवधि 10 से 20 मिनट तक की हो सकती है.लेकिन, दोपहर की 10 मिनट की झपकी सबसे प्रभावी होती है.फिर से तरोताज़ा होने के लिए यह पर्याप्त होती है.इसके विपरीत, जब हम ज़्यादा देर की झपकी से उठते हैं तो फुर्ती के बजाय सुस्ती महसूस होती है.इसके अलावा, कई अन्य समस्याएं भी उत्पन्न होने लगती हैं.

ज्ञात हो कि दोपहर 2 से 4 बजे के बीच सर्केडियन लय कम होती है और हमें नींद आती है.तब अपनी सतर्कता, उत्पादकता, स्मृति और कार्यशीलता में सुधार करने के लिए पावर नैप की आवश्यकता होती है.

पावर नैप का तरीक़ा क्या है जानिए

विशेषज्ञों के अनुसार अगर पावर नैप का तरीक़ा सही हो तो हम इसका सही लाभ उठा सकते हैं.शरीर और दिमाग़ को पुनः क्रियाशील रखते हुए हम पूरे ध्यानपूर्वक कार्य करने की स्थिति प्राप्त कर सकते हैं.इससे स्वास्थ्य तो ठीक रहता ही है, तनाव कम होता है और दिल की बीमारियों का ख़तरा भी कम हो जाता है.

पावर नैप लेने का तरीक़ा कुछ यूं बताया गया है-

1.एक शांत, अंधकारयुक्त या बहुत कम रौशनी वाला स्थान चुनें.इसके विकल्प के तौर पर नींद वाला मास्क या तौलिया, या फिर रूमाल भी काम आ सकता है.

2.अगर बिस्तर हो तो उस पर लेट जाएं, या फिर आरामदेह कुर्सी पर शरीर को अच्छी तरह फैला लें.

3.अब, कोई मधुर संगीत या अपनी पसंद के मुताबिक़ हल्की आवाज़ में कोई कमेंट्री या भाषण सुनें.इससे अच्छा अनुभव होगा.

4.झपकी लेने के बाद, ख़ुद को अवस्था परिवर्तन के लिए कुछ पल का समय दें.फिर, धीरे-धीरे शरीर हिलायें-डुलायें, फैलाएं, और उठकर थोड़ा टहल लें.

लंच ब्रेक की अवधारणा पावर नैप को संदर्भित करती है

दुनियाभर में कार्यस्थलों पर दोपहर में कर्मचारियों के भोजन और आराम के लिए लंच ब्रेक या अंतराल होता है.इस दौरान जो पावर नैप या झपकी ले लेते हैं वे फिर से पूरी तरह क्रियाशील हो जाते हैं.यह काम की गुणवत्ता के लिए तो ठीक है ही, इससे बीमारियों का ख़तरा भी कम हो जाता है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है.

आयुर्वेद कहता है कि दिन के भोजन के बाद आराम करना और रात के भोजन के बाद टहलना ज़रूरी है.इससे रोगों से बचाव के साथ ही शारीरिक-मानसिक विकास भी ठीक तरीक़े से होता है.सनातन हिन्दू भारतीय समाज में यही तरीक़ा परंपरागत रूप में मौजूद है.

भारत में सरकारी और गैर-सरकारी, दोनों प्रकार के उपक्रमों में बाक़ायदा दोपहर में एक घंटे के लंच ब्रेक की व्यवस्था है.यहां स्कूल-कालेजों में भी ऐसा अंतराल होता है.वहीं, स्पेन में सिएस्टा शब्द विशेष रूप से दोपहर के भोजन के बाद विश्राम या झपकी को संदर्भित करता है.चीन में लोगों के आराम के लिए दोपहर में एक घंटे का अंतराल मिलता है तो जापान में इनेमुरी का मतलब ही होता है कार्यस्थलों या सार्वजनिक स्थलों पर नींद या झपकी लेना.इसे यहां ‘आर्ट ऑफ़ स्लीपिंग’ के तौर पर बताया जाता है.

Multiple ads

सच के लिए सहयोग करें


कई समाचार पत्र-पत्रिकाएं जो पक्षपाती हैं और झूठ फैलाती हैं, साधन-संपन्न हैं. इन्हें देश-विदेश से ढेर सारा धन मिलता है. इनसे संघर्ष में हमारा साथ दें. यथासंभव सहयोग करें

रामाशंकर पांडेय

दुनिया में बहुत कुछ ऐसा है, जो दिखता तो कुछ और है पर, हक़ीक़त में वह होता कुछ और ही है.इसीलिए कहा गया है कि चमकने वाली हर चीज़ सोना नहीं होती.ऐसे में, हमारा ये दायित्व बनता है कि हम लोगों तक सही जानकारी पहुंचाएं.वो चाहे राजनीति, इतिहास, धर्म, पंथ या अन्य ज्ञान-विज्ञान की बात हो, उसके बारे में एक माध्यम का पूर्वाग्रह रहित और निष्पक्ष होना ज़रूरी है.khulizuban.com का प्रयास इसी दिशा में एक क़दम है.

3 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button