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जी एंटरटेनमेंट-इन्वेस्को विवाद: इन्वेस्को के ज़रिए क्या जी एंटरटेनमेंट पर क़ब्ज़ा करना चाहता है चीन?
जी एंटरटेनमेंट और इन्वेस्को कंपनी के बीच विवाद कोई आम विवाद नहीं लगता.इसमें गहरी साज़िश के संकेत साफ़ दिखाई दे रहे हैं.इस बढ़ते विवाद के कारण लगता है कि न सिर्फ़ जी एंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) और सोनी पिक्चर्स नेटवर्क (SPNI), दोनों का हो रहा विलय प्रभावित हो सकता है, बल्कि जी एंटरटेनमेंट लिमिटेड का नियंत्रण/मालिक़ाना हक़ भी विदेशी कंपनियों के हाथों में पहुंच सकता है.ऐसे में, ये एक बड़ा सवाल है कि इस पूरे प्रकरण में किसी भारतीय कॉर्पोरेट घराने का हाथ है, जो यह नहीं चाहता कि जी और सोनी का आपस में विलय हो और वे एंटरटेनमेंट के क्षेत्र में सबसे बड़ा ब्रांड बनें, या फ़िर ये चीन की साज़िश है, जो प्रतिबंधों के कारण पिछले दरवाज़े से भारतीय बाज़ार पर क़ब्ज़ा ज़माना चाहता है? अमरीकी कंपनी इन्वेस्को डेवलपिंग मार्केट्स फंड आख़िर किसका मोहरा है?
उल्लेखनीय है कि जी एंटरटेनमेंट और सोनी पिक्चर्स नेटवर्क के बीच करार को नाक़ाम करने अथवा जी एंटरटेनमेंट को कमज़ोर/ध्वस्त कर उसे हथियाने या फ़िर इन दोनों ही उद्देश्यों से कुचक्र रचने में शामिल किसी भारतीय कंपनी अथवा कॉर्पोरेट घराने का नाम अबतक सामने नहीं आया है, केवल इसकी संभावना जताई जा रही है.इसलिए स्पष्ट रूप से इस बाबत कुछ कहा नहीं जा सकता.इन्वेस्को ही वो कंपनी है, जो सामने है और जिसके चलते जी एंटरटेनमेंट में विवाद चल रहा है.
अमरीका स्थित इन्वेस्को डेवलपिंग मार्केट्स फंड नामक कंपनी ओएफआई (OFI) ग्लोबल चाइना फंड एलएलसी के साथ मिलकर पिछले महीने जी एंटरटेनमेंट के खिलाफ़ क़ानूनी लड़ाई की शुरुआत की थी.इसके ज़वाब में जी एंटरटेनमेंट ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रूख़ किया है.
आख़िर क्या है जी एंटरटेनमेंट-इन्वेस्को विवाद?
जी एंटरटेनमेंट में निवेशक अमरीकी कंपनी इन्वेस्को ने अपनी सहायक अपनी ओएफआई ग्लोबल चाइना फंड एलएलसी के साथ मिलकर जी एंटरटेनमेंट के निदेशक पुनीत गोयनका और दो अन्य निदेशकों को हटाने और छह नए निदेशकों की नियुक्ति के साथ बोर्ड के पुनर्गठन के लिए असाधारण आम बैठक (एक्स्ट्राऑर्डिनरी जेनरल मीटिंग- EGM) बुलाने की मांग को लेकर पिछले 30 सितंबर को मुंबई स्थित राष्ट्रीय कंपनी क़ानून न्यायाधिकरण (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल- NCLT) का रूख़ किया था.
NCLT की पीठ (Bench) के सामने इन्वेस्को ने कहा था कि जी एंटरटेनमेंट को जिस तरह चलाया जा रहा है, उससे शेयरधारकों की बेहतरी नहीं हो सकती, और उसके निवेश के डूब जाने का ख़तरा है.इसलिए बोर्ड में बदलाव ज़रूरी है.
NCLT की पीठ ने जी एंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज को विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए इजीएम बुलाने के इन्वेस्को के अनुरोध पर विचार करने के लिए बोर्ड की बैठक आयोजित करने को कहा/निर्देश दिया था.
एनसीएलटी के निर्देशानुसार 1 अक्टूबर को बोर्ड की बैठक हुई.इसमें कंपनी के बोर्ड ने इन्वेस्को की इजीएम बुलाने की मांग को खारिज़ करते हुए उसे अवैध क़रार दिया.
दूसरी तरफ़ इन्वेस्को के रूख़ को देखते हुए लगता है कि क़ानूनी लड़ाई और तेज़ हो सकती है.
जी एंटरटेनमेंट का पक्ष
इस मामले जी एंटरटेनमेंट के संस्थापक डॉ. सुभाष चंद्रा ने मीडिया को बताया कि इजीएम बुलाना बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में आता है.वह किसी मांग को स्वीकार करे या अस्वीकार, यह उसका अपना निर्णय है.
डॉ. चंद्रा के अनुसार, इन्वेस्को की मांग नाज़ायज़ है.यदि किसी निवेशक की तरफ़ से उठी मांग ग़लत है, तो बोर्ड का कर्तव्य बनता है कि वह उसे शेयरधारकों के समक्ष प्रस्तुत ना करे, बल्कि ग़लत मांग को नकार दे
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इन्वेस्को जी एंटरटेनमेंट का एक शेयरहोल्डर है, मालिक नहीं.चैनल के असली मालिक इसके ढाई लाख शेयरहोल्डर हैं.इसलिए वह एक शेयरहोल्डर की तरह व्यवहार करे और छोटे निवेशकों को फ़ैसला करने दें कि वह किसके साथ रहना चाहते हैं.
डॉ. सुभाष चंद्रा जी एंटरटेनमेंट के संस्थापक हैं.जी एंटरटेनमेंट भारत का पहला निज़ी टीवी चैनल है, जो सन 1992 में अस्तित्व में आया था.इस चैनल की शुरुआत से अब तक के सफ़र को याद कर वे भावुक हो उठे.उन्होंने कहा-
” मैंने इस चैनल को अपने खून और पसीने से सींचा है.यह भारतीय सभ्यता और संस्कृति से जुड़ा एकमात्र चैनल है, जिसे पूरा परिवार एकसाथ बैठकर देख सकता है.देश और विदेशों (190 देशों) में इसके डेढ़ सौ करोड़ से भी ज़्यादा दर्शक हैं, जिनकी अपेक्षाएं हमसे हैं और हम उनके प्रति समर्पित हैं.
यह भारत की धरती पर एक बड़ा भारतीय ब्रांड है.हम इसे विदेशी हाथों में नहीं जाने देंगें. ”
इन्वेस्को-ओएफआई ग्लोबल चाइना फंड एलएलसी का पक्ष
इन्वेस्को और ओएफआई ग्लोबल चाइना फंड एलएलसी दरअसल, एक ही स्वामित्व की अमरीका आधारित अलग-अलग नामवाली कंपनियां हैं.इन्वेस्को ने ओपेनहाइमरफंड्स, इंक के प्रबंधन वाली कंपनी ओएफआई ग्लोबल चाइना फंड एलएलसी दो साल पहले (2019 में) ही ख़रीदी/अधिग्रहित की है.ये जांच का विषय है कि इसमें चीन का कितना पैसा लगा है/नियंत्रण है.
बहरहाल, इन्वेस्को के ये कहने का कोई आधार नहीं है कि कंपनी ग़लत हाथों में है तथा निवेश डूबने का ख़तरा है.वास्तव में जी एंटरटेनमेंट फ़ायदे में है और यह लगातार विकास कर रहा है, जो निवेशकों के हित में है.
सोनी के साथ करार के साथ ही इसके शेयर में ज़बरदस्त उछाल देखने को मिला.
जी एंटरटेनमेंट के शेयर में उछाल (प्रतीकात्मक) |
दरअसल, इन्वेस्को सिर्फ़ और सिर्फ़ पुनीत गोयनका और अन्य निदेशकों को हटाकर उनकी जगह अपने ख़ास लोगों को बोर्ड में रखना चाहता है, ताकि उसका वर्चस्व स्थापित हो और वह अपनी असली मंशा पूरी कर सके.
इन्वेस्को को ठोस तर्क, तथ्यों और पारदर्शिता के साथ सामने आना चाहिए.
इन्वेस्को के पास दरअसल, न तो कोई ठोस बोर्ड का प्रस्ताव है और न ही एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से जुड़े कामकाज का तजुर्बा.उसकी ओर से प्रस्तावित बोर्ड में ऐसा कोई नाम नहीं है, जिसके पास मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर का कोई बड़ा अनुभव हो, जबकि जी एंटरटेनमेंट के मौज़ूदा बोर्ड में अलग-अलग सेक्टर के अनुभवी, जाने माने और सफल नाम शामिल हैं.
मशहूर अर्थशास्त्री विजय सरदाना कहते हैं-
” इन्वेस्को की मांग और दलीलों का अध्ययन करें, तो इसका खेल समझना बहुत आसान है.
इन्वेस्को-ओएफआई ग्लोबल चाइना फंड एलएलसी का दरअसल, दुनिया में संपत्ति के ख़रीद-फ़रोख्त का कारोबार है.ये कंपनियां ख़रीदते और बेचते हैं.
यदि कोई ख़रीदार किसी ख़ास कंपनी को ख़रीदना चाहता है, तो वह ख़ुद सामने नहीं आता, क्योंकि इससे कई सवाल खड़े होते हैं.ऐसे में, वह इनसे सौदा कर लेता है.
ये अपनी फ़ीस के रूप में मोटी रक़म तय कर लेते हैं और शिखंडी के रूप में मिशन पर लग जाते हैं.
ये दलाल उस कंपनी के शेयर आदि ख़रीदकर वहां घुसपैठ करते हैं और मौक़ा मिलते ही विवाद खड़ा कर देते हैं.ऐसी स्थिति में कमज़ोर होकर कंपनी इनके हाथों से होते हुए असली ख़रीदार के हाथों में पहुंच जाती है. ”
दरअसल, जी एंटरटेनमेंट और बाक़ी भारतीय कंपनियों में, किसी तरह और किसी भी माध्यम से पैसे बटोरकर कंपनी के नाम पर एक साम्राज्य खड़ा करने की होड़ लगी है.इसे दूरदृष्टि का अभाव और लालच कहा जा सकता है.
किसी कंपनी के साथ बड़ी डील करने से पहले उसके पिछले रिकॉर्ड, देशी-विदेशी और मित्र देश-शत्रु देश का ख़याल रखना ज़रूरी होता है.
दागदार कंपनी है इन्वेस्को
अमरीका स्थित इन्वेस्को कंपनी वो कंपनी है, जिसपर इससे पहले भी कई गंभीर आरोप लग चुके हैं.
साल 2004 में अमरीका में ही इसपर साढ़े तीन हज़ार करोड़ रूपयों का जुर्माना लगा था.इन्वेस्को पर आरोप था कि इसने म्युचुअल फंड की ट्रेडिंग के लिए ग़लत तरीक़े अपनाए थे, जिससे छोटे निवेशकों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था.
इसी तरह साल 2014 में भी ब्रिटेन में इन्वेस्को पर 200 करोड़ रूपयों का ज़ुर्माना लग चुका है.वहां यह एक विशेष स्कीम में जोख़िम को लेकर निवेशकों को गुमराह करने के मामले में दोषी पाया गया था.
जी एंटरटेनमेंट-सोनी पिक्चर्स नेटवर्क के विलय का मत्लब?
जी टीवी और जापान आधारित सोनी पिक्चर्स नेटवर्क के बीच विलय का फ़ैसला हो चुका है.इस संयुक्त कंपनी में पुनीत गोयनका अगले पांच साल के लिए एमडी होंगें, जबकि शेष निदेशकों को नामित करने का अधिकार सोनी टीवी का होगा.
इस क़रार के तहत सोनी के प्रमोटर कंपनी में 11,605 करोड़ की रक़म निवेश करेंगें.
विलय के बाद कंपनी में जी एंटरटेनमेंट के शेयरधारकों की हिस्सेदारी 47.07% की होगी जबकि सोनी पिक्चर्स नेटवर्क की हिस्सेदारी 52.93% की होगी.
इस क़रार में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि प्रमोटर परिवार को कंपनी में अपनी हिस्सेदारी मौज़ूदा 3.99% से बढ़ाकर 20% तक करने की पूरी आज़ादी होगी.
जी एंटरटेनमेंट-इन्वेस्को विवाद का क्या होगा परिणाम?
जी एंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज लिमिटेड (जील) का अपना पक्ष है और आधार भी हैं.लेकिन ये भी नहीं भूलना चाहिए कि इन्वेस्को और ओएफआई ग्लोबल चाइना फंड एलएलसी कंपनी के सबसे बड़े शेयरहोल्डर है तथा तकनीकि रूप से भी ज़्यादा कमज़ोर नहीं हैं.
उल्लेखनीय है कि जी एंटरटेनमेंट में सुभाष चंद्रा के पास 3.99% तथा म्युचुअल फंड, पब्लिक और अन्य के पास क्रमशः 8.1%, 19.93% और 10.5% शेयर हैं जबकि विदेशी निवेशकों (एफआईआई-फॉरेन इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर- विदेशी संस्थागत निवेशक) के पास 57.46% और इन्वेस्को तथा ओएफआई ग्लोबल चाइना फंड के सम्मिलित कुल 17.88% शेयर हैं.
जी एंटरटेनमेंट में शेयरधारकों की हिस्सेदारी |
किसी भी विलय में प्रमोटरों (प्रायोजक,निवेशक) की हिस्सेदारी महत्त्व रखती है.ऐसे में कम ही देखा जाता है कि इस तरह का करार हो पाए, जब प्रोमोटरों के पास 3.99% की हिस्सेदारी हो.दूसरी तरफ़ जी एंटरटेनमेंट में 17.88% की हिस्सेदारी रखनेवाली इन्वेस्को के इरादे कुछ और ही हैं.
इसके अलावा विदेशी निवेशकों के पास 57.46% का हिस्सा है.आशंका ये है कि ग्लोबल असेट मैनेजमेंट कंपनी (विदेशी) होने के नाते इन्वेस्को, विदेशी निवेशकों को अपने पक्ष में मोड़ सकती है.
ये हमारे अदूरदर्शी कंपनी नियमों और अन्य क़ानूनी ख़ामियों का लाभ उठा सकता है.
बहुत संभव है कि जी एंटरटेनमेंट-सोनी पिक्चर्स नेटवर्क का डील/विलय खटाई में पड़ जाए.लेकिन उसके बाद जो हो सकता है उसे बेहद दुखद कहा जाएगा.
इन्वेस्को के नियंत्रण में कंपनी घाटे में पहुंचकर अंततः उन्हीं हाथों में चली जाएगी, जिन्होंने इस विवाद की पटकथा लिखी है.
इन्वेस्को एक विदेशी कंपनी है और ये साफ़ दिख रहा है कि जी एंटरटेनमेंट पर क़ब्ज़ा करना ही उसका एकमात्र उद्देश्य है, ताकि बाद में वह महंगे दामों में किसी चीनी कंपनी के हाथों बेच सके.
इन्वेस्को के मंसूबे पूरे होने के परिणामस्वरूप भारत का अपना एक बड़ा ब्रांड विदेशी हाथों में चला जाएगा.इसके बाद विदेशी कंपनियों का मनोबल और बढ़ेगा और धीरे-धीरे वे बाक़ी भारतीय कंपनियों को भी विभिन्न तरह की साजिशों के तहत क़ब्ज़ा करने में क़ामयाब हो सकती हैं.इसका परिणाम ये होगा कि अंततः भारत की अर्थव्यस्था वेदेशी हाथों में चली जाएगी/नियंत्रित होने लगेगी.इसका सीधा मत्लब है आर्थिक ग़ुलामी.
आर्थिक रूप से ग़ुलाम देश कभी भी राजनीतिक रूप से स्वतंत्र नहीं रह सकता.ऐसे में, देश पूरी तरह ग़ुलाम हो जाता है.
चीन की यही नीति है.उसके अनुसार, बिना लड़े क़ब्ज़े कर लेना ही सही युद्धनीति है.
तमाम संस्थाओं, सरकार को आगे आना होगा
भारत सरकार की वर्त्तमान नीतियों/नियमों के अनुसार जो चीन, भारत में सीधे तौर पर (भारत सरकार से पूछे बिना) कोई संपत्ति-परिसंपत्ति अथवा कंपनी नहीं खरीद सकता, वह इन्वेस्को और ओएफआई ग्लोबल चाइना फंड एलएलसी जैसी कमीशनखोर/दलाल कंपनियों के ज़रिए, यह काम अप्रत्यक्ष रूप से बखूबी कर सकता है.ऐसे में, आज आवश्यता है कि सूचना प्रसारण मंत्रालय, सेबी, मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर्स और एनसीएलटी आदि ये बात संज्ञान में लेकर भारतीय कंपनियों को बचाने के लिए काम करें.
इसके लिए देशी और आत्मनिर्भर भारत की बात करने और नारे देनेवाली मोदी सरकार को आगे आकर तमाम क़ानूनी पहलुओं/नियमों के मद्देनज़र व्यवस्था को दुरुस्त कर, तत्काल ये सुनिश्चित करना होगा कि विदेशी कंपनियां यहां निवेश करें, सहभागी तो बनें लेकिन स्वामित्व हासिल करने में क़ामयाब न हो सकें.अमरीका-ब्रिटेन सहित अन्य पश्चिमी-यूरोपीय देशों में ऐसी ही व्यवस्था क़ायम है.
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