क्यों नहीं बढ़ता है कुछ महिलाओं के स्तनों का आकार (ब्रेस्ट साइज़) जानिए
सौंदर्यशास्त्र में महिलाओं के स्तनों के सही आकार और आकृति को उनकी खूबसूरती को निखारने या आकर्षण बढ़ाने वाला बताया गया है.इसमें सुंदर और सुडौल स्तन यौन आनंद के चरम की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माने गए हैं.दूसरी तरफ़, विज्ञान स्तनों के स्वरूप और स्थिति के बारे में कुछ अलग ही राय रखता है.यही कारण है कि दुनिया की आधी आबादी के मन में आज भी कई सवाल अनसुलझे रहस्यों की तरह जस की तस खड़े दिखाई देते हैं.
कुछ महिलाओं के स्तन (ब्रेस्ट) सामान्य से भी छोटे आकार के क्यों होते हैं, स्वास्थ्य विज्ञान में इसकी स्पष्ट चर्चा मिलती है.विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे कई कारण हैं, जो स्तनों के विकास में बाधा बनते हैं, और उनके आकार और आकृति को प्रभावित करते हैं.
जिस प्रकार स्तनों का ज़्यादा बढ़ जाना आने वाली किसी समस्या की और इशारा हो सकता है, उसी प्रकार स्तनों का आकार (ब्रेस्ट साइज़) सामान्य से छोटा होना शारीरिक कमियों को दर्शाता है.विशेषज्ञ इसके कई कारण गिनाते हैं.मगर उन्हें जानने से पहले शरीर में स्तनों का स्वरूप और स्थिति को जानना ज़रूरी है, ताकि विषय से संबंधित सभी बातें अच्छी तरह समझ आ सकें.
महिला शरीर में स्तनों का स्वरूप एवं स्थिति
व्यावहारिक रूप में देखें, तो औरत और मर्द के बीच हम पहला फर्क छाती के उभार से ही करते हैं.इसे स्तन, कुच, चूची, पयोधर, वक्ष, आदि कहा जाता है.दरअसल, यह एक जननांग है, जो जीवन को सींचने का काम करता है.साथ ही, यह सेक्सुअल प्लेज़र या यौन आनंद में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
शरीर विज्ञान की दृष्टि से, स्तन मुख्य रूप से वसा, ग्रंथियों और संयोजी उत्तकों से बने होते हैं.इनके बाहर से दिखने वाले भागों में निपल या चुचुक (कुचाग्र भाग, चूची के ढेपनी, स्तन के सिरे या नोक पर का भाग जो गोल घुंडी के रूप में होता है) और एरिओला (चुचुक के आसपास की त्वचा का गोलाकार गहरे रंग का क्षेत्र) शामिल हैं.
महिला स्तनों के उत्तक और उनके कार्य इस प्रकार हैं:
ग्रंथि उत्तक: लोब्यूल या ग्रंथि उत्तक दूध बनाते हैं.
संयोजी या रेशेदार उत्तक: यह ग्रंथियों और वसायुक्त स्तन उत्तक, दोनों को अपनी जगह पर रखता है, या यूं कहिये कि उन्हें स्थान उपलब्ध कराता है.
वसायुक्त उत्तक: यह ग्रंथियों और संयोजी उत्तकों के बीच के क्षेत्रों को भरता है, और स्तनों को आकार देता है.
इसी प्रकार, स्तनों के विकास व कार्य में हार्मोन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.मुख्य महिला हार्मोन इस प्रकार हैं:
एस्ट्रोजन: यह दूध नलिकाओं को फैलाता है, जिससे स्तन फूलकर बड़े हो जाते हैं.
प्रोलैक्टिन: यह प्रोजेस्टेरोन के उत्पादन को बढ़ावा देता है, और दूध उत्पादन के लिए ग्रंथियों को तैयार करता है.
प्रोजेस्टेरोन: यह हार्मोन ग्रंथि उत्तकों की संख्या और आकार को बढ़ाता है.साथ ही, ओव्यूलेशन या अण्डोत्सर्ग (वह प्रक्रिया जिसमें अंडाणु अंडाशय से निकलते हैं) के बाद यह रक्त वाहिकाओं और स्तन कोशिकाओं को भी बड़ा करता है.इससे स्तनों का आकार बढ़ता है.
किन कारणों से स्तनों का आकार नहीं बढ़ता है जानिए
विज्ञान कहता है कि जिस तरह लड़कों में यौवन अवस्था (बचपन और बुढ़ापे के बीच की अवस्था) अंडकोष और लिंग के बड़े होने, बगल और जघन (कमर के नीचे का हिस्सा) क्षेत्र में बालों के बढ़ने से शुरू होती है उसी तरह लड़कियों में स्तनों का विकास ही उनके यौवन का पहला संकेत होता है.इसके बाद बगल और जघन क्षेत्र में बाल उगते हैं.
महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि 13-14 साल की उम्र तक यदि स्तन नहीं बढ़ते हैं, तो यह अवस्था विलंबित यौवन अवस्था कहलाती है.
वैज्ञानिकों के अनुसार लड़कियों की पहली माहवारी (पीरियड) से लेकर 4 वर्षों तक स्तन प्राकृतिक रूप से बढ़ते हैं, और सिर्फ गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) और स्तनपान (लैक्टेशन) के बाद ही वे परिपक्व होते हैं.
स्तनों के बड़े न होने के विभिन्न कारण बताये जाते हैं-
पोषक तत्वों की कमी: शरीर का वास्तविक विकास पोषक तत्वों पर निर्भर करता है.इसलिए हमारा भोजन ऐसा होना चाहिए कि जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन और खनिज पर्याप्त मात्रा में प्राप्त हो सकें.इसके विपरीत, अल्पपोषण या कुपोषण की स्थिति शारीरिक विकास को प्रभावित करती है.
यानि, शरीर का सही विकास न होने पर स्तन भी अविकसित रह जाते हैं.आख़िर ये भी तो शरीर ही के अंग हैं.
ज्ञात हो कि स्तन पूरी तरह फैट या वसा से बने होते हैं.ऐसे में, वसायुक्त भोजन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है.
वज़न में कमी: वज़न स्तनों के आकार को प्रभावित करता है.यही कारण है कि कम वज़न वाली या दुबली-पतली लड़कियों-महिलाओं के स्तन अक्सर छोटे होते हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि स्तन पूरी तरह फैट या वसा से बने होते हैं.इसलिए, वज़न बढ़ने यानि, वसा की मात्रा में वृद्धि होने से स्तन बड़े हो सकते हैं, जबकि वज़न घटने अर्थात वसा की मात्रा में कमी आने से स्तन छोटे हो सकते हैं.
असंतुलित हार्मोन: हार्मोन में असंतुलन महिलाओं के स्तनों के विकास में बाधा बनते हैं, और ये छोटे रह जाते हैं.इसके उचित रूप में विकास व वृद्धि के लिए विभिन्न हार्मोन का संतुलित होना आवश्यक है.
हार्मोन के असंतुलन (हार्मोनल इमबैलेंस) से तात्पर्य शरीर में एक या अधिक हार्मोन का बहुत अधिक या बहुत कम होना है.हार्मोन की कमी की स्थिति में महिलाओं के कई दूसरे अंगों के साथ स्तन भी प्रभावित होते हैं.
विशेषज्ञों के मुताबिक़ एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट स्तन उत्तकों के घनत्व (डेंसिटी) को कम कर सकती है.
यह भी कहा जाता है कि एस्ट्रोजन की कमी (हाइपोएस्ट्रोजेनिज्म) और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की अधिकता के कारण स्तनों का विकास ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है अथवा इनके आकार नहीं बढ़ पाते हैं.
प्रोजेस्टेरोन की कमी से भी स्तन बड़े नहीं हो पाते हैं.दरअसल, प्रोजेस्टेरोन वह महिला हार्मोन है, जो स्तन कोशिकाओं को बड़ा कर इसके आकार को बढ़ाता है.इसके स्तर में गिरावट से स्तनों के बढ़ने में समस्या आती है.आयुर्वेद के जानकारों के अनुसार पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन, दोनों का स्तर बढ़ाया जा सकता है.
रक्त के प्रवाह में कमी: शरीर में रक्त के संचार (ब्लड सर्कुलेशन) में गड़बड़ी होने से स्तन की मांसपेशियों के निर्माण व विकास में बाधा उत्पन्न होती है.इससे स्तन छोटे रह जाते हैं.
कई प्रकार के आसन बताये जाते हैं, जिनसे रक्त का प्रवाह सुधरता है, और स्तनों को बड़ा कर उन्हें सही शेप या आकृति में लाने में मदद मिलती है.
अत्यधिक श्रम या कठोर व्यायाम: योगासनों और व्यायाम से स्तनों का आकार बढ़ता है, और उन्हें सही आकृति भी मिलती है.इसके विपरीत, बहुत ज़्यादा शारीरिक श्रम या कठोर व्यायाम से स्तनों का आकार प्रभावित होता है.
जानकारों के अनुसार अत्यधिक शारीरिक परिश्रम या शारीरिक गतिविधि जैसे जिम में कठिन व्यायाम करने वाली लड़कियों-महिलाओं के स्तनों की वसा प्रभावित होती है.वसा कम होने के चलते उनके स्तनों का आकार नहीं बढ़ पाता है.ऐसी स्थिति में उन्हें अतिरिक्त वसायुक्त भोज्य पदार्थों का प्रयोग करना चाहिए.
दवाओं का असर: एलोपैथिक दवाएं दरअसल, बीमारी का इलाज नहीं करती हैं, बल्कि उसे दबाती हैं.इससे दूसरी बीमारी पैदा हो जाती है.इसे दवा का साइड इफ़ेक्ट या दुष्प्रभाव कहते हैं.
विशेषज्ञों की मानें, तो ऐसी कई एलोपैथिक दवाएं हैं, जो हार्मोन को बिगाड़ देती हैं.महिलाओं का हार्मोन बिगड़ने या असंतुलित होने के कारण उनके स्तन भी प्रभावित होते हैं.ऐसे में, वे या तो ज़्यादा बड़े हो जाते हैं या फिर सामान्य से भी छोटे रह जाते हैं.
दूसरी बड़ी समस्या बाज़ार में बिकने वाली या ऑनलाइन उपलब्ध उन दवाओं से है, जो स्तनों को उभारने या बड़े करने में उपयोगी बताकर बेची जाती हैं.वास्तव में, इनसे फ़ायदा नहीं, ज़्यादातर नुकसान ही होता है.
ज़्यादा तनाव: तनावग्रस्त रहने वाली लड़कियों का शारीरिक विकास ठीक तरह से नहीं हो पाता है.ऐसे में, उनके स्तन भी बड़े नहीं हो पाते हैं.
विशेषज्ञों के मुताबिक़ तनाव कई समस्याओं का कारण बनता है.इनमें स्तनों का आकार भी शामिल है.तनाव से हार्मोन की कमी या असंतुलन की स्थिति बनती है, जिससे स्तनों का विकास रुक जाता है, और वे छोटे रह जाते हैं.
दरअसल, आजकल युवावस्था की दहलीज़ पर क़दम रखती लड़कियों में पढ़ाई-करियर, पारिवारिक कलह, दबाव, आदि के चलते अक्सर तनाव की स्थिति देखी जाती है.सबसे ज़्यादा समस्या तो ब्वॉयफ्रेंड को लेकर आपसी संघर्ष (लड़कियों के बीच) से पैदा होती है, जो किशोरियों के दिलोदिमाग़ को तनाव, चिंता और अवसाद से भर देती है.ये स्तनों के विकास के मार्ग में रोड़ा बनते हैं.
आनुवंशिक (जेनेटिक) कारण: आनुवंशिक कारणों से भी महिलाओं के स्तनों का आकार छोटा हो सकता है.यानि, किसी की मां या परिवार की दूसरी महिलाओं में यदि छोटे स्तनों का इतिहास रहा है, तो संभव है कि उसके स्तनों का आकार भी छोटा हो.
विशेषज्ञों के मुताबिक़ आनुवंशिकता या वंशानुक्रम एक जैविक प्रक्रिया है, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में विशेषताओं और लक्षणों को स्थानांतरित करती है.इसी के ज़रिए संतानें अपने माता-पिता के जैसे नाक-नक्श, त्वचा या बालों का रंग, आंखें, ऊंचाई जैसी विशेषताएं प्राप्त करती हैं.स्तनों के आकार-प्रकार का मामला भी ऐसा ही है.
छोटे स्तन- चिंता और वास्तविकता?
‘छोटे स्तनों के कारण लड़का क्या अस्वीकार (रिजेक्ट) कर देगा’, और ‘क्या छोटे स्तन सेक्सुअल रिलेशनशिप या यौन संबंध में बाधा बनेंगें’, ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जो लड़कियों के मन में चिंता का सबब हैं.कुछ लड़कियों के लिए तो छोटे स्तन मानो अभिशाप हों.
छोटे स्तनों के कारण लड़कियां ख़ुद को छुपाती हैं.उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है, और वे मानसिक तनाव में जीने लगती हैं.
वहीं, विवाहित महिलाएं भी कम परेशान नहीं रहती हैं.अपने स्तनों को बड़ा करने के लिए वे सही-ग़लत सारे उपाय करती रहती हैं, जो उन्हें बताये जाते हैं.यहां तक कि वे सर्जरी तक कराने को तैयार हो जाती हैं! मगर क्यों? क्या छोटे स्तन वाकई समस्या हैं?
दरअसल, स्तनों के आकार और आकृति को लेकर धारणाएं अलग-अलग जगहों पर अलग होती हैं.किसी विशेष आकार को प्राथमिकता लोगों की सोच का परिणाम होती है.मगर बड़े स्तनों की अवधारणा छोटे स्तनों की विशेषताओं को झुठला नहीं सकती हैं.छोटे स्तनों के भी कुछ फ़ायदे हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार बड़े स्तनों वाली महिलाओं की तुलना में छोटे स्तनों वाली महिलाओं में उत्तेजना जल्दी और बेहतर तरीक़े से आती है.
युनिवर्सिटी ऑफ़ विएना में हुए एक शोध के अध्ययन के मुताबिक़ बड़े स्तनों के मुक़ाबले छोटे स्तन 24 फ़ीसदी ज़्यादा संवेदनशील होते हैं.
छोटे स्तन बड़े स्तनों की तरह कभी भी अतिरिक्त बोझ नहीं बनते हैं, और नहीं उनके चलते पीठ और कंधों में खिंचाव, दर्द आदि की समस्या होती है.
सबसे बड़ी बात यह है कि छोटे स्तनों वाली महिला को चाहने वाला पुरूष सही मायने में एक स्त्री से प्यार करने वाला पुरूष होता है.विवाह पद्धति का भी सार यही है.इसमें पति-पत्नी का संबंध शारीरिक से ज़्यादा आत्मिक होता है.
स्तनों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
खानपान, आसन और व्यायाम के द्वारा स्तनों का आकार बढ़ाया जा सकता है.
व्यायाम करने से स्तन संख्या 8 की आकृति में बढ़ते हैं.
लड़कियों के स्तन, उनका आकार और माप उनके गुणसूत्रों द्वारा तय होते हैं.विश्व जनसंख्या समीक्षा के अनुसार भारत की महिलाओं के स्तनों का औसत कप आकार ए है.
बायां स्तन, दायें स्तन की तुलना में थोड़ा बड़ा होता है.हालांकि क़रीब 20 साल की उम्र के बाद यह अंतर कम हो सकता है.
महिला के पहले मासिक चक्र से अगले 4 वर्षों तक स्तन प्राकृतिक रूप से बढ़ते हैं.
गर्भावस्था के दौरान स्तन बड़े और कोमल हो जाते हैं.
स्तन केवल गर्भावस्था और स्तनपान के बाद ही परिपक्व (मैच्योर) होते हैं.
सच के लिए सहयोग करें
कई समाचार पत्र-पत्रिकाएं जो पक्षपाती हैं और झूठ फैलाती हैं, साधन-संपन्न हैं. इन्हें देश-विदेश से ढेर सारा धन मिलता है. इनसे संघर्ष में हमारा साथ दें. यथासंभव सहयोग करें
Your blog is a true hidden gem on the internet. Your thoughtful analysis and in-depth commentary set you apart from the crowd. Keep up the excellent work!
Temp mail Nice post. I learn something totally new and challenging on websites
Attractive section of content I just stumbled upon your blog and in accession capital to assert that I get actually enjoyed account your blog posts Anyway I will be subscribing to your augment and even I achievement you access consistently fast
I do agree with all the ideas you have introduced on your post They are very convincing and will definitely work Still the posts are very short for newbies May just you please prolong them a little from subsequent time Thank you for the post