अर्थ जगत
RERA क्या है? रेरा बिल्डर, डेवलपर और प्रापर्टी डीलरों के ख़िलाफ़ घर ख़रीदारों की शिक़ायत पर कैसे काम करता है?
RERA रियल एस्टेट से जुड़े विवादों का जल्दी निपटारा करने के उद्देश्य से बनाया गया एक ऐसा प्राधिकरण है, जो बिल्डर, डेवलपर और रियल एस्टेट एजेंटों यानि प्रॉपर्टी डीलरों से घर ख़रीदारों के हितों की रक्षा करने के साथ-साथ माहौल को पारदर्शी बनाने और पूंजी निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में काम करता है.
रेरा यानि रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट (भू-संपदा विनियमन एवं विकास अधिनियम), 2016 दरअसल, भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है, जिसके तहत सरकारों की देखरेख में विशेष प्राधिकरण (Regulatory Authority) के माध्यम से घर ख़रीदारों के हितों की रक्षा करने और अचल संपत्ति उद्योग में अच्छे निवेश को बढ़ावा देने का वादा किया गया है.दूसरे शब्दों में, रेरा का मूल उद्देश्य रियल एस्टेट के असंख्य निवेशकों के हितों की रक्षा के साथ-साथ निवेश का ऐसा माहौल तैयार करना है कि जिसमें मकान-दुकान का निर्माण करने वाले उद्यमी पूंजी निवेश कर सकें.साथ ही, नियम साफ़-सुथरे हों, चीज़े समय सीमा के भीतर तय हों, पूंजी का विभिन्न गतिविधियों में इस्तेमाल ना हो, ग्राहकों और निवेशकों की समस्याओं का समाधान एक ही मंच से हो, आदि बातों पर बल दिया गया है.
रेरा की आवश्यकता?
हम सभी जानते हैं कि रियल एस्टेट (स्थावर संपदा, अचल संपत्ति) सेक्टर आज़ादी के बाद से ही बड़ा अपारदर्शी क्षेत्र माना जाता रहा है.ऐसा माना जाता है कि काले धन (Black Money) का सबसे बड़ा निवेश रियल एस्टेट सेक्टर में ही होता है.तक़रीबन डेढ़ दशक पहले जनता की मांग और सरकार की पहल पर हुए अध्ययनों में पाया गया कि इसमें काले धन के कारोबारियों, प्रापर्टी माफ़िया और सफ़ेदपोश अपराधियों की मिलीभगत के कारण हालात कुछ ऐसे बन गए हैं कि जिसमें न सिर्फ़ लाखों की संख्या में बेनामी संपत्तियों से जुड़े मसले हैं, बल्कि रोज़ाना नई शुरू होने वाली भवन निर्माण की परियोजनाओं में देरी, क्षेत्रफल वृद्धि, भूमि-अधिग्रहण की अधूरी प्रक्रिया के कारण दाम में इज़ाफ़ा, ज़रूरी सुविधाओं का अभाव, नियमों की अनदेखी और अपूर्णता के कारण बैंकों द्वारा ऋण देने से इनकार, वादाखिलाफ़ी, धोखाधड़ी आदि की अनगिनत समस्याएं मुंह बाये खड़ी हैं.लोग परेशान हैं और कोई समाधान नज़र नहीं आ रहा है.ऐसे में, एक ऐसे न्यायिक मंच या प्राधिकरण की आवश्यकता महसूस की गई, जो ख़ासतौर से रियल एस्टेट से जुड़े मसलों को देखे और उनका जल्दी हल निकाले, ताकि निवेशकों के हितों की रक्षा के साथ-साथ बाज़ार में पारदर्शिता बहाल कर पूंजी निवेश में वृद्धि की दिशा कार्य हों.
रेरा अधिनियम के मुख्य प्रावधान
रेरा अधिनियम के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं-
– हर राज्य के लिए अलग रेरा (रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण) के गठन का प्रावधान है.इसके तहत पीड़ित अपने राज्य के रेरा की वेबसाइट पर जाकर अपने राज्य-क्षेत्र में चल रहे प्रोजेक्ट को लेकर शिक़ायत दर्ज़ करा सकता है.
– त्वरित न्यायाधिकरणों द्वारा विवादों का निपटारा 60 दिनों के भीतर करने का प्रावधान है.
– 500 वर्गमीटर या आठ अपार्टमेंट तक की निर्माण योजनाओं को रेरा में पंजीकरण से छूट दी गई है, जबकि शेष सभी प्रोजेक्ट को रेरा में पंजीकृत कराना ज़रूरी है.
– ग्राहकों की 70 फ़ीसदी जमा रक़म बैंक में अलग रखने व उसका इस्तेमाल सिर्फ निर्माण कार्य (Construction Work) में करने का प्रावधान है.
– प्रोजेक्ट संबंधी जानकारी मसलन प्रोजेक्ट प्लान, लेआउट, सरकारी मंजूरी, लैंड टाइटल स्टेटस और उप-ठेकेदारों की जानकारी के साथ-साथ प्रोजेक्ट की मियाद का पूरा व्यौरा अनिवार्य रूप से देने का प्रावधान है.
– अगर घर खरीदार बुकिंग कैंसल (रद्द) करता है, तो बिल्डर 10 फ़ीसदी से ज़्यादा रक़म नहीं काट सकते, जबकि प्रोजेक्ट में देरी (तय समय-सीमा में निर्माण कार्य पूरा न होने पर) की स्थिति में बिल्डर द्वारा कस्टमर को ब्याज़ दिए जाने का प्रावधान है.ध्यान रहे कि यहां इस ब्याज़ की दर वही होगी, जिस दर पर भुगतान में हुई चूक के कारण कस्टमर द्वारा बिल्डर को ब्याज़ चुकाने का क़रार है.
– रेरा के आदेश की अवहेलना की स्थिति में बिल्डर को तीन साल की सज़ा व ज़ुर्माने का प्रावधान है, जबकि प्रापर्टी डीलर (रियल एस्टेट एजेंट) और ग्राहक के लिए एक साल की केवल सज़ा की व्यवस्था है.
रेरा में शिक़ायत दर्ज़ कराने का तरीक़ा
रेरा एक्ट के अनुसार, पीड़ित व्यक्ति बिल्डर, डेवलपर और रियल एस्टेट एजेंट के खिलाफ़ ज़रूरी दस्तावेजों के साथ अपनी शिक़ायत दर्ज़ करा सकता है.इसके दो तरीक़े हैं ऑनलाइन और ऑफ़लाइन.आमतौर पर लोग अपनी शिक़ायत ऑनलाइन ही दर्ज़ कराते हैं लेकिन, कुछ राज्यों में इसकी ऑफ़लाइन सुविधा भी है.
रेरा में ऑनलाइन शिक़ायत दर्ज़ करने के लिए अपने राज्य की रेरा वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर लॉग-इन करना होता है.लेकिन, इसके लिए पहले अपने पास प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन नंबर, केस से जुड़े सबूत, कैसी रहत चाहते हैं, मामले से संबंधित अगर कोई अंतरिम आदेश हुआ है, तो उसकी जानकारी होनी चाहिए.हमें अपने ई-मेल आईडी और मोबाइल नमबर की जानकारी देनी होती है, ताकि रेरा हमसे संपर्क कर सके.
रजिस्ट्रेशन के लिए हमें यूज़रनेम और पासवर्ड बनाना होता है.रजिस्ट्रेशन के बाद हमारी ई-मेल आईडी पर वेरिफिकेशन लिंक आ जाता है.
विदित हो कि अगर हमें अपने प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन नंबर मालूम नहीं है, तो यह हम रेरा की वेबसाइट पर ही देख सकते हैं.
लॉग-इन करने के बाद हमें अपना नाम-पता भरकर ‘एड कंप्लेंट’ के सेक्शन में जाना होता है.यहां अपनी शिक़ायत संबंधी उपरोक्त सारी सूचनाएं भरनी/देनी होती हैं.फिर, अपने सारे/ज़रूरी दस्तावेज़ की कॉपी (जानकारी के साथ मसलन हम कौन-कौन से दस्तावेज़ की कॉपी दे रहे हैं) अपलोड करने के बाद प्रक्रिया पूरी हो जाती है.
शिक़ायत पर कैसे होती है कार्रवाई, जानें
शिक़ायत पर रेरा प्रतिवादियों/विपक्षी पार्टी को नोटिस भेजकर ज़वाब मांगता है.नियमानुसार, रेरा अगर विपक्ष के ज़वाब से संतुष्ट हो जाता है, तो शिक़ायती की शिक़ायत रद्द हो जाती है.मगर, ज़वाब से असंतुष्ट होने पर रेरा की कार्रवाई आगे बढ़ती है और सुनवाई की तारीख़ तय होती है, और इसकी सूचना बाक़ायदा दोनों पक्षों को ई-मेल के ज़रिए और मोबाइल फ़ोन पर दी जाती है.
सुनवाई के दौरान मूल दस्तावेज़ दिखाए जाते हैं और दलीलें पेश की जाती हैं.फिर, बहस होती है और प्राधिकरण अपना फ़ैसला सुनाता है.
रेरा की जहां तारीफ़ होती है वहीं, इसकी आलोचनाएं भी पढ़ने-सुनने को मिलती हैं.राज्य सरकारों की मंशा पर सवाल उठते हैं.बहरहाल, रेरा आने के बाद धीरे-धीरे ही सही, परिस्थितयों में बदलाव साफ़ दिखाई देता है.अभी और भी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है.भविष्य में रियल एस्टेट के लिए यह शुभकर होगा, ऐसी आशा की जा सकती है.
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