तकनीक
QR Code क्या है विस्तार से जानिए
– तुरंत सूचना उपलब्ध कराने की ख़ासियत के कारण इसका नाम पड़ा Quick Response Code, जिसे संक्षिप्त रूप में हम QR Code कहते हैं
– जापान की एक मशहूर डेन्सो वेव कंपनी ने विकसित की थी QR Code की तक़नीक
– QR Code बारकोड का ही उन्नत और द्विविमीय संस्करण है
आज एक छोटी समझी जाने वाली कोई चीज़ कल बड़े काम की या बहुउपयोगी साबित होगी, ये पता नहीं होता.ऐसे ही जापान की डेन्सो वेव नामक कंपनी द्वारा विकसित की गई एक तकनीक जिसका इस्तेमाल सिर्फ़ ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में गाड़ियों के पुर्ज़ों की पहचान तय करने के लिए किया गया था, वह अनेक क्षेत्रों में भी कारगर सिद्ध होकर दुनियाभर में लोकप्रिय हो जाएगी, इसका शायद अंदाज़ा नहीं रहा होगा.मगर ऐसा हुआ.सच्चाई सामने है.
दरअसल,हम बात कर रहे हैं QR Code की,जो आज भारत में व्यावसायिक कार्यों के साथ-साथ निज़ी काम के लिए भी लोगों की ज़रूरत बन गया है.बड़े-बड़े उद्योगों-कंपनियों के तकनीकी मामलों से लेकर आम ज़रूरतों की चीज़ों के लिए भी इसका इस्तेमाल हो रहा है.थोड़े में बहुत ज़्यादा की अवधारणा पर ख़रा उतरता क्यूआर कोड एक आसान और सुलभ तकनीक के रूप में क़ामयाबी के शिखर पर चढ़ता जा रहा है.
क्या है ये QR Code
क्यूआर कोड (QR Code) बारकोड रीडर या किसी ख़ास एप के ज़रिए द्वारा पढ़ा जाने वाला एक तरह का ऑप्टिकल बारकोड होता है जिसमें संकेतों में छुपी किसी प्रोडक्ट या प्रक्रिया से जुड़ी जानकारी होती है.
ऑप्टिकल बारकोड दरअसल एक प्रकार के सांकेतिक कोडों का गुच्छा होते हैं, जिन्हें हम समझ नहीं पाते हैं.लेकिन, बारकोड रीडर या हमारे मोबाइल का विशेष एप क्यूआर स्कैनर द्वारा उन्हें स्कैन कर संबंधित जानकारी तुरंत हमें दे देता है.चूंकि इससे जानकारी हमें तुरंत मिल जाती है इसलिए इसे क्वीक रिस्पांस कोड यानि त्वरित सूचक कोड (तुरंत सूचना/जानकारी देने वाला कोड) कहा जाता है.
क्यूआर कोड में ये जानकारी/सूचना हाइपरटेक्स्ट (वेब लिंक वाली टेक्स्ट आधारित सूचना) में भी हो सकती है.
क्यूआर कोड बारकोड (किसी उत्पाद की जानकारी से संबंधित कोड) का ही उन्नत और द्विविमीय (दो आयामी-टू डाइमेन्श्नल वर्जन) संस्करण है.हम देखते हैं कि बड़े स्टोरों,शोरूम,सुपर मार्केट और मॉल आदि में किसी प्रोडक्ट के दाम,उनकी वैरायटी और अन्य डिटेल संबंधी जानकारी बारकोड में रहती है जिन्हें रीड (पढ़ने) करने वाली मशीन यानि बारकोड रीडर स्कैन कर लेती है और हमारे बिल में उन्हें जोड़ देती है.
यही काम क्यूआर कोड भी करता है.लेकिन तुलनात्मक रूप में यदि देखें तो यह बारकोड के मुक़ाबले काम ज़्यादा विस्तार से,ज़्यादा जानकारियों के साथ और ज़्यादा तेज़ी से कर देता है.इसका कारण ये है कि इसमें बारकोड की अपेक्षा कई गुना ज़्यादा सूचनाएं रखने की क्षमता होती है.
QR Code की संरचना
क्यूआर कोड बिन्दुओं के समूहों के रूप में काले रंग की बहुत सारी आकृतियों और ख़ाली स्थानों (बिन्दुओं से भरे) से मिलकर बना होता है.ये सभी वर्गाकार बिंदु एक वर्गाकार ग्रिड में व्यवस्थित होते हैं.अंकों,अक्षरों,शब्द और वाक्यांशों से सजे इन बिन्दुओं (बिन्दुओं के समूह)के आकार,संख्या और दूरी के हिसाब से संदेश छुपे होते हैं जिन्हें फ़ोटो कैमरा (मोबाइल और बारकोड रीडर में लगा इमेज़ कैप्चरिंग डिवाइस) के ज़रिए रीड (पढ़ा) किया जाता है.
QR Code की संरचना (प्रतीकात्मक) |
क्यूआर कोड को पढ़ने के लिए बारकोड रीडर रीड सोलोमन कोड का इस्तेमाल करते हैं.रीड सोलोमन कोड क्यूआर कोड के इमेज़ को तबतक स्कैन करता रहता है जबतक वह सही डाटा हासिल नहीं कर लेता.इस दौरान वह एक और काम करता है और वह है इमेल को ग़लतियों को सुधारना.यानि रीड सोलोमन कोड इमेज़ स्कैनिंग के दौरान इमेल में मिली अशुद्धियों को ठीक कर उसे अर्थपूर्ण/समझने लायक बना देता है.
आमतौर पर,क्यूआर कोड ब्लैक एंड व्हाईट होते हैं.लेकिन अपनी मर्ज़ी के अनुरूप ये रंगीन भी जेनरेट किए जा सकते हैं.साथ ही,ज़रूरत के हिसाब से इन्हें कस्टमाइज़ भी किया जा सकता है.
QR Code के भेद
क्यूआर कोड को उनकी संरचना व प्रयोग के आधार पर हम उन्हें दो भागों में बांट सकते हैं.
1. स्टेटिक क्यूआर कोड
स्टेटिक क्यूआर कोड का इस्तेमाल दरअसल, सार्वजनिक सूचना के सन्दर्भ में मसलन पोस्टर, अख़बार, पत्रिका एवं टीवी आदि के प्रकाशन में किया जाता है.
यह एडिट (संपादित) या अपडेट नहीं होता.
इसके ज़रिए सीमित जानकारी ही प्राप्त की जा सकती है.जैसे- कोड कितनी बार स्कैन हुआ और स्कैन करने वाले डिवाइस का ऑपरेटिंग सिस्टम (एक ख़ास तरह का कंप्यूटर प्रोग्राम जिसे मास्टर प्रोग्राम भी कहा जाता है).
2. डायनेमिक क्यूआर कोड
यह एक तरह का लाइव क्यूआर कोड होता है जिसे ज़रूरत के हिसाब से एडिट किया जा सकता है.
इसे यूनिक क्यूआर कोड भी कहा जाता है.
इसके ज़रिए कई तरह की जानकारी हासिल की जा सकती है.जैसे- स्कैन करने वाले का नाम,इमेल पता,कितनी बार स्कैन हुआ,कोड की जानकारी तक पहुंच और संदेश के आदान-प्रदान की दर आदि.
QR Code की विशेषताएं
क्यूआर कोड की कई सारी ख़ूबियां हैं जो इसे दूसरों से अलग करती हैं-
कई तरह के कंटेंट की सहूलियत
क्यूआर कोड में कई तरह के कंटेंट यानि विभिन प्रकार की जानकारी रखने की सहूलियत होती है.अंकों में यानि संख्यात्मक,अक्षरों में यानि शब्दांश अथवा वाक्यांश,फ़ोटो,वीडियो या फ़िर वेब पेज़ के लिंक आदि सभी तरह के कंटेंट इसमें समाहित हो सकते हैं.
थोड़े में ज़्यादा
क्यूआर कोड के ज़रिए हम कम-से-कम जगह में ज़्यादा कंटेंट दिखा/रख सकते हैं.इसमें बारकोड के मुक़ाबले कई गुना कम जगह की ज़रूरत होती है.
कम जगह में ज़्यादा कंटेंट रखने वाला QR Code (प्रतीकात्मक) |
क्षतिग्रस्त होने पर भी उपयोगी
क्यूआर कोड में ग़लतियां सुधारने की क्षमता होती है.क्यूआर कोड का कुछ हिस्सा (30% तक) अगर किसी तरह क्षतिग्रस्त अथवा नष्ट (कटने-फ़टने या स्क्रेच आदि से) हो जाए तब भी वह अपनी क्षमता से उसे दोबारा हासिल (रेस्टोर) कर लेता है.ऐसा इसलिए हो पाता है क्योंकि हर वर्गाकार बिंदु अपने स्थान के संकेतों/सूचनाओं के साथ-साथ दूसरे स्थान के बिन्दुओं के स्थान पर छुपे संकेतों/सूचनाओं का विवरण रखता है.
गंदा व क्षतिग्रस्त QR Code |
हर तरफ़ से पढ़ने लायक
जैसे मैज़िक स्क्वेवर यानि जादुई वर्ग में चाहे किसी भी कोण से योग करें योगफल (कुल जमा) समान ही प्राप्त होता है वैसे ही क्यूआर कोड भी किसी भी दिशा या कोण से स्कैन हो सकता है और जानकारी/संदेश प्राप्त की जा सकती है.यहां अलग-अलग दिशाओं/कोने से प्राप्त जानकारी/संदेश के समान अर्थ निकलते हैं.
बारकोड को सही दिशा से स्कैन न करें तो वह स्कैन नहीं होता.लेकिन क्यूआर कोड में ऐसा बंधन/समस्या नहीं होती क्योंकि इसमें 360 डिग्री हाई स्पीड रीडिंग क्षमता होती है.
चार तरह की डिज़िटल भाषा का प्रयोग
क्यूआर कोड की ख़ासियत यह भी है कि इसमें आधुनिक जापानी लेखन-प्रणाली की तरह ही चार तरह की डिज़िटल भाषाओँ मसलन न्यूमेरिक,अल्फ़ान्यूमेरिक,बाईट/बाइनरी और कांजी (चाइनीज़ कैरेक्टर) का इस्तेमाल होता है.इसके अलावा इसमें एक्सटेंशन का भी इस्तेमाल हो सकता है.
वर्ग आकृतियों के अनुरूप संदेश
क्यूआर कोड में वर्गों की लंबाई और चौड़ाई में व्यवस्थित बिंदु अथवा बिंदु समूह अपनी स्थिति (आकृति) के हिसाब से संदेश के अलग-अलग अर्थ रखते हैं.स्कैन करने पर ये समग्र रूप में (पूर्ण) विवरण प्रस्तुत करते हैं.
आकृति के अनुरूप संदेश दर्शाते QR Code का चित्र |
अधिक सूचनाओं की क्षमता
क्यूआर कोड में बार कोड से ज़्यादा संदेश/सूचनाओं की क्षमता होती है.इसमें पंक्चुएशन मार्क्स (विराम चिन्हों) और स्पेशल कैरेक्टर्स (विशेष चिन्हों जैसे # या & आदि) सहित 7089 अंक (डिजिट) या 4296 अक्षर (कैरेक्टर्स) शामिल किए जा सकते हैं.इनके अलावा इनमें शब्दों या वाक्यांशों जैसे इंटरनेट एड्रेस आदि भी शामिल किए जा सकते हैं.
इसके विपरीत बारकोड में स्पेशल कैरेक्टर्स सहित अधिकतम 48 कैरेक्टर्स की सीमा होती है.साथ ही,वर्ग आकृतियों और क्वाइट एरिया (वर्ग आकृतियों के बाहर के स्थान) को मिलाकर इनकी चौड़ाई 6.5″ से ज़्यादा नहीं हो सकती.
क्यूआर कोड की डाटा क्षमता
क्यूआर कोड में अगर सिर्फ़ संख्याएं (न्यूमेरिक) रखनी हों तो उनकी कुल संख्या 7,089 तक हो सकती हैं जबकि अक्षर व संख्याएं (अल्फ़ान्यूमेरिक) दोनों शामिल हों तो इनकी संख्या 4,296 तक सीमित होती हैं.इनके अलावा बाइनरी भाषा में (बाइनरी 8-बिट्स) अधिकतम 2,953 बाईट और कांजी भाषा में हो तो 1,817 कैरेक्टर्स होते हैं.
उल्लेखनीय है कि विवरण में डिजिट और कैरेक्टर्स के अनुपात में काले बिन्दुओं की आवश्यकता होती है.यही वज़ह है कि ज़्यादा संदेश/सूचनाओं वाले क्यूआर कोड घने (डेंस) होते हैं जबकि कम संदेश/सूचनाओं वाले क्यूआर कोड तुलनात्मक रूप में पतले (स्पार्स) होते हैं.
विरल और घने QR Code का चित्र |
QR Code के उपयोग
एक ख़ास क्षेत्र में सीमित उपयोग के लिए विकसित क्यूआर कोड का दायरा आज काफ़ी विस्तृत हो गया है.बदलावों ने अवसर बढ़ाए हैं और हमारी आवश्यकताओं के अनुरूप प्रगति की दिशा में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
विज्ञापन व प्रमोशन में उपयोग
किसी प्रोडक्ट/ब्रांड की सेल (बिक्री) बढ़ाने के लिए विज्ञापन का सहारा लिया जाता है.इसमें क्यूआर कोड का इस्तेमाल होता है.ऐसे में,विभिन्न उत्पादों से जुड़ी कंपनियां तो इसका फ़ायदा उठा ही रही हैं साथ ही,कई लाभकारी/ग़ैर लाभकारी संस्थान भी अपना प्रोमोशन/प्रचार करने के लिए बड़े पैमाने पर इसका प्रयोग कर रहे हैं.
दरअसल,कोई यूज़र/उपभोक्ता किसी ब्रांड/संस्थान की वेबसाइट को,ब्राउज़र पर यूआरएल टाइप करने की बजाय क्यूआर कोड को स्कैन कर ज़ल्दी खोल सकता है,जानकारी हासिल कर सकता है.इसलिए क्यूआर कोड एक बेहतर विकल्प है.
रोज़मर्रा की चीज़ों में उपयोग
क्यूआर कोड में शामिल हाइपरटेक्स्ट/हाइपरलिंक (वेब पेज़ का पता) के कारण अख़बार,मैगज़ीन,बिज़निस कार्ड और यहां तक की बसों आदि में छपे क्यूआर कोड को आसानी से देखा जा सकता है.ऐसे में,यूज़र यहां से क्यूआर कोड को स्कैन कर संबंधित जानकारी हासिल कर सकता है.
मुद्रा के लिए उपयोग
क्यूआर कोड का इस्तेमाल आजकल मुद्रा के लिए भी किया जाने लगा है.सन 2011 में रॉयल डच मिंट द्वारा दुनिया का पहला क्यूआर कोड मुद्रा लॉन्च किया गया था.दुनियाभर में लोकप्रिय उसके सिक्के को स्मार्टफ़ोन से स्कैन करने पर उससे जुड़े वेबसाईट पर सिक्के का इतिहास और अन्य संबंधित जानकारी प्राप्त होती है.
चीन में क्यूआर कोड का अधिकतर इस्तेमाल मुद्रा लेन-देन के लिए किया जाता है.इस सन्दर्भ में उत्तरी चीन ने चार साल पहले हेबई स्थित जिलशिनोई गांव को लोकप्रिय बनाने के लिए एक लाख पेड़ों से क्यूआर कोड बना दिया था.
वेबसाईट लॉगिन करने के लिए उपयोग
क्यूआर कोड का इस्तेमाल वेबसाईट लॉगिन करने के लिए भी किया जा सकता है.दरअसल,कंप्यूटर स्क्रीन पर दर्शाए जाने वाले क्यूआर कोड को जब कोई वैरीफ़ाइड (प्रमाणित) यूज़र स्कैन करता है तो संबंधित वेबसाईट स्वतः (अपने आप) लॉगिन हो जाता है.उल्लेखनीय है कि व्हाट्सएप अपने डेस्कटॉप यूज़र से इसी तरह लॉगिन करवाता है.
पैसों के लेन-देन में उपयोग
क्यूआर कोड में शामिल बैंक अकाउंट तथा क्रेडिट कार्ड आदि की जानकारी से लेन-देन आसान हो गया है.आजकल अनेक ऐसी वेबसाईट हैं जिनके ज़रिए क्यूआर कोड का इस्तेमाल कर लेन-देन हो रहा है.चूंकि यह तरीक़ा बहुत आसान और समय बचाने वाला है इसलिए काफ़ी लोकप्रिय भी है.
भीम युपिआई (BHIM UPI) तथा नए युपिआई और प्रीपेड वॉलेट इसकी मिसालें हैं.
ऑफ़लाइन ट्रेकिंग में उपयोग
क्यूआर कोड के ज़रिए हम न्यूज़ पेपर,मैगज़ीन और बैनर-पोस्टर आदि में दिए गए विज्ञापनों में छपी अपनी वेबसाईट या डिज़िटल प्रोडक्ट को ऑफ़लाइन ट्रेक कर संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी मसलन कोड स्कैन करने वाले लोगों के नाम,इमेल पते,उनकी संख्या और स्कैन में प्रयुक्त डिवाइस का ओएस आदि प्राप्त कर सकते हैं.
एसएमएस भेजने में उपयोग
अगर हम क्यूआर कोड का लाभ उठा रहे हैं तो किसी को एसएमएस भेजने के लिए उसका नंबर ढूंढने और उसे टाइप करने की ज़रूरत नहीं होती.इसके लिए संबंधित व्यक्ति का क्यूआर कोड स्कैन करना होता है.क्यूआर कोड स्कैन होते ही उस व्यक्ति का नंबर एड्रेसी (सन्देश पाने वाले) वाले कॉलम (जगह) में ऑटोमेटिक (अपने आप) आ जाता है.ऐसे में सिर्फ़ मेसेज टाइप कर उसे सेंड करना (भेजने की) होता है.
सोशल-बिज़निस प्रोफ़ाइल के लिए उपयोग
हम अपने सोशल और बिज़निस प्रोफ़ाइल के साथ-साथ अपने ऑफ़िस,दुकान आदि की लोकेशन भी क्यूआर कोड के ज़रिए शेयर कर ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंच बना सकते हैं.
अपने बिज़निस को बढ़ाने के लिए ऑनलाइन बायोडाटा पेज़ छपे विज़िटिंग कार्ड में भी क्यूआर कोड रख सकते हैं.
QR Code जेनरेट करने का तरीक़ा
हम अपना क्यूआर कोड ख़ुद जेनरेट (बनाने का काम) कर सकते हैं.इसके लिए इंटरनेट पर बहुत सारी मुफ़्त सेवा वाली वेबसाईट उपलब्ध हैं जिनकी मदद से हम अपनी वेबसाईट,एप,यूट्यूब चैनल,प्रोडक्ट आदि के लिए क्यूआर कोड बना सकते हैं.
इस प्रक्रिया में वेबसाइट पर जाकर हमें QR Code का Type (प्रकार, भेद) सिलेक्ट (चुनाव) करना होता है.फिर, अपनी/प्रोडक्ट की सारी डिटेल भरकर Create QR Code का बटन दबाना होता है.ऐसा करते ही, सारी प्रक्रिया पूरी हो जाती है और हमारा QR Code बनकर तैयार हो जाता है.
QR Code स्कैन करने का तरीक़ा
किसी क्यूआर कोड को स्कैन करने का तरीक़ा बहुत आसान है.मगर इसके लिए आपके स्मार्टफोन में स्कैनर एप का होना ज़रूरी है.पर,इसके लिए परेशान होने की ज़रूरत नहीं है,एप स्कैनर इंटरनेट पर एप स्टोर में मुफ़्त में उपलब्ध हैं.जैसे-क्यूआर कोड रीडर,क्यूआर स्कैनर,बार कोड स्कैनर आदि.
इस तरह कोई स्कैनर एप अपने फ़ोन में इंस्टॉल कर उसे ऑन (खोलना) कर लिया जाता है.
फ़िर,स्कैन किए जाने वाले क्यूआर कोड के ऊपर अपने मोबाइल फ़ोन के कैमरे को प्वाइंट (सामने रखना) करना होता है.ऐसा कुछ ही सेकेंड के लिए करना होता है,हमारा स्कैनर एप क्यूआर कोड को स्कैन कर संबंधित वेब पेज़ पर पहुंचकर ज़रूरी सूचना/जानकारी हासिल कर लेता है.हम इन सूचनाओं/जानकारी का अपनी ज़रूरत के हिसाब से इस्तेमाल करते हैं.
यहां स्कैन करते समय जिस बात का ख़ास ख़याल रखना चाहिए वो ये है कि हमारे फ़ोन (कैमरे) की स्क्रीन पर एक से ज़्यादा क्यूआर कोड न दिखें.ऐसा होने पर एरर (गड़बड़ी) आ जाएगा.दरअसल,कुछ लोग/व्यवसायी कई कंपनियों के क्यूआर कोड एक साथ ही स्टोर (रखना) कर लेते हैं जिसके चलते समस्या खड़ी हो जाती है.
QR Code को लेकर सतर्कता भी ज़रूरी
डिज़िटल दौर में कई चीज़ें बड़ी तेज़ी से बदल रही हैं.हम जिस तकनीक का फ़ायदा उठा रहे हैं उसी का उपयोग कुछ लोग धोखाधड़ी के लिए भी करने लगते हैं.पिछले कुछ सालों में ऑनलाइन फ्रॉड के अधिकतर मामले मोबाइल के क्यूआर कोड के ज़रिए ही हुए हैं.हैकर इस तकनीक के ज़रिए लोगों के अकाउंट से पैसा उड़ा रहे हैं.
QR Code के ज़रिए फ्रॉड (प्रतीकात्मक) |
बताया जाता है कि हैकर क्यूआर कोड के रूप में हैकिंग कोड बनाकर लोगों को भेजते हैं और उनसे वह स्कैन करवा लेते हैं.कोड स्कैन करते ही मोबाइल में वायरस आ जाता है और मोबाइल हैक हो जाता है.फ़िर हैकर आसानी से लोगों के तमाम डिटेल हासिल कर उनके बैंक एकाउंट तक पहुंच जाते हैं.
एसबीआई ने तो समय-समय पर इस बाबत सोशल मीडिया के ज़रिए बाक़ायदा आगाह भी किया है.ऐसे में अगर किसी अंज़ान व्यक्ति अथवा कंपनी की ओर से लुभावने ऑफर अथवा किसी खुशखबरी के रूप में क्यूआर कोड मिलता है तो उसे स्कैन नहीं करना चाहिए.ऐसा करने पर अकाउंट से पैसा ग़ायब हो सकता है.
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