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अजब-ग़ज़ब

अजब-ग़ज़ब: दुनिया का सबसे छोटा देश- वेटिकन सिटी या सीलैंड?

वेटिकन सिटी का क्षेत्रफल बहुत ही कम है, और इसकी कुल आबादी भी 841 ही है. लेकिन उस देश के बारे में क्या कहेंगें, जिसका क्षेत्रफल इससे कई गुना कम या बहुत कम है और, संख्या में तो यहां कुल 27 लोग ही हैं?

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यह पूछा जाए कि दुनिया का सबसे छोटा देश कौन है, तो लोग वेटिकन शहर हा ही नाम लेंगें. मगर, हक़ीक़त इससे परे है. दुनिया में इससे भी छोटा एक देश है, जिसकी आबादी आज के भारत के किसी बड़े परिवार या संयुक्त परिवार जितनी ही है.

सबसे छोटा देश, वेटिकन सिटी, सीलैंड रियासत
सीलैंड और वेटिकन सीटी (प्रतीकात्मक चित्र)

वेटिकन सिटी के बारे में कौन नहीं जानता होगा. दुनिया के इस सबसे छोटे कहे जाने वाले देश को ‘द होली सी’ (The Holy See) के नाम से भी जाना जाता है. यह यूरोपीय महाद्वीप में इटली के नगर रोम के भीतर स्थित एक ऐसा स्वतंत्र देश है, जो केवल 44 हेक्टेयर (108.7 एकड़) या 0.44 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में सीमित-संकुचित है, और जिसकी कुल आबादी भी महज़ 841 ही है.

मगर, ऐसा यह इक़लौता नहीं है. एक और वह देश या स्वयंभू देश या फिर स्वयंभू राष्ट्र भी है, जो क्षेत्रफल और आबादी के नज़रिए से इससे भी कई गुना छोटा या बहुत ही छोटा है.

हालांकि वेटिकन शहर की तरह यह ज़मीन पर न होकर समंदर की लहरों पर तैरता हुआ देश है. फिर भी, उसी की तरह एक सक्षम राष्ट्र के रूप में व्यवस्था और उपलब्धता-उपलब्धि के दावे ज़रूर करता है. ख़ुद को दुनिया के सामने एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करता है. दुनिया को प्रेरित करता है.

इसका नाम है सीलैंड. यह इंग्लैंड के पास रफ्स फोर्ट नामक एक पुराने समुद्री किले पर स्थित है.

रफ्स फोर्ट दरअसल, उत्तरी सागर (अंध महासागर का एक सीमावर्ती समुद्र) में सफ़क (जो कि ईस्ट एंग्लिया में इंग्लैंड का एक औपचारिक काउंटी या जिला है) के तट से 12 किलोमीटर (लगभग 6.5 समुद्री मील) दूर स्थित उन चार नौसैनिक समुद्री किलों में से एक है, जिसे वर्ष 1943 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश रॉयल नेवी जर्मन सेना के खिलाफ़ बचाव के लिए इस्तेमाल करती थी.

इस टावर को गाइ मौनसेल द्वारा डिजाइन किया गया था. उस वक़्त इस पर क़रीब 100 सैनिक तैनात होते थे. लेकिन, 1950 के दशक की शुरुआत में इसे ख़ाली कर दिया गया था. इसके बाद, यहां स्थापित हुआ सीलैंड, जिसे एचएम फोर्ट रफ्स या रफ्स टावर भी कहा जाता है.

सीलैंड दरअसल, बड़ा अज़ूबा है. इसका क्षेत्रफल महज़ ढाई सौ (250) मीटर (0.25 किलोमीटर) है, और यहां केवल 27 लोग ही रहते हैं. मगर एक देश के रूप में इसका अपना राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान, मुद्रा, पासपोर्ट और टिकट भी हैं.

इसकी एक फुटबॉल टीम है, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मैच खेल चुकी है.

2015 में धावक साइमन मेसेंजर ने चुनौती के तहत सीलैंड पर हाफ़-मैराथन दौड़ भी लगाई थी.

इसके झंडे को कैंटन कूल नामक एक पर्वतारोही ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाया है.

डोनेशन पर टिकी है सीलैंड की अर्थव्यवस्था

सीलैंड के वर्तमान प्रमुख माइकल बेट्स एक कॉकल फिशिंग ऑपरेशन चलाते हैं, जिससे स्पेन को समुद्री भोजन निर्यात होता है. साथ ही, दुनियाभर से कई टूरिस्ट भी यहां घूमने आते हैं.

यूनाइटेड किंगडम की तरह मगर धन लेकर सीलैंड सिर्फ़ 99 यूरो या 145 डॉलर में लोगों व्यक्तिगत नाइटहुड (एक प्रकार राष्ट्रीय सम्मान, जो विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य के लिए दिया जाता है) भी देता है. हालाँकि ज़रूरतों के हिसाब से यह पर्याप्त नहीं है.

इस कारण सीलैंड दुनिया से डोनेशन (दान) की अपील करता है. फेसबुक पर ‘प्रिंसीपैलिटी ऑफ़ सीलैंड’ के नाम से एक पेज भी है, जो काफ़ी मशहूर है. इसके ज़रिए लोग आर्थिक मदद करते हैं.

कैसे बना सीलैंड एक देश या स्वतंत्र राष्ट्र?

कंक्रीट और धातु से बने एक समुद्री मंच पर दो पिलर के सहारे टिका है सीलैंड. इसका क्षेत्रफल बास्केटबॉल मैदान से बड़ा नहीं है. फिर भी, यह एक देश है. एक राष्ट्र, जिसे सूक्ष्म-राष्ट्र या माइक्रोनेशन (वह बहुत छोटा देश, जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पूरी मान्यता प्राप्त नहीं होती है) कहा जाता है. मगर यह बना कैसे, यह कहानी भी दिलचस्प है.

साल 1956 में ब्रिटिश सेना में मेजर पद पर रहे रॉय बेट्स ने नॉक जॉन नामक टावर को क़ब्ज़ा कर वहां ‘रेडियो एक्सेस’ नामक रेडियो स्टेशन शुरू किया था. मगर ब्रिटेन की ओर से कानूनी विवाद के चलते उन्होंने यह बंद कर टावर को ख़ाली कर दिया. लेकिन 10 साल बाद, 1966 में क्रिसमस के मौक़े पर रॉय ने रफ्स टावर को क़ब्ज़े में लेकर वहां इसे शुरू किया. और आख़िरकार, 2 सितंबर, 1967 को अपने जन्मदिन के मौक़े पर उन्होंने अपनी बीवी जोन, बेटे माइकल (14), बेटी पेनेलोप (16) और कुछ दोस्तों और अनुयायियों की मौजूदगी में उन्होंने इस स्थान को अपनी रियासत घोषित कर दी.

सीलैंड का झंडा फहराते हुए रॉय बेट्स परिवार (सांकेतिक चित्र)

अब, रॉय बेट्स सीलैंड के प्रमुख थे, जबकि उनकी बीवी जोन को ‘राजकुमारी जोन’ कहा जाने लगा.

9 अक्टूबर, 2012 को रॉय बेट्स की 91 साल की उम्र में निधन के बाद सीलैंड का ताज उनके बेटे माइकल को मिला. तब से वे ही यहां का शासन या प्रबंधन देखते हैं.

साल 2016 में, 86 साल की उम्र में राजकुमारी जोन का भी निधन हो गया, हालाँकि उनका स्थान बरक़रार है.

सीलैंड पर रॉय बेट्स के परिवार का शासन जारी है. अब तो सीलैंड प्रमुख माइकल के दो शाही बेटे जेम्स और लियाम और प्रिंस जेम्स के चार बच्चों के रूप में चौथी पीढ़ी भी शाही कर्तव्यों में भाग लेने को तैयार है. वे भी एक दिन सिंहासन पर बैठ सकते हैं, और लॉर्ड (Lord), काउंटेस (Countess), ड्यूक या डेम (Duke or Dame) आदि की उपाधि हासिल कर सकते हैं.

सीलैंड की वैधानिकता को लेकर तर्क

सीलैंड रियासत (Principality of Sealand) एक सूक्ष्मराष्ट है, और इसे वेटिकन सीटी की तरह संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है फिर भी, यह अपने अस्तित्व को लेकर दावे करता है. इसके अपने तर्क हैं.

सीलैंड प्रमुख और उनके समर्थकों का कहना है कि सीलैंड ने एक राष्ट्र के रूप में एक स्थायी जनसंख्या, एक परिभाषित क्षेत्र, एक सरकार और अन्य राज्यों के साथ संबंध स्थापित करने की क्षमता जैसी चारों आवश्यकताओं को पूरा किया है. उनके अनुसार, तकनीकी रूप में 16 अमरीकी राज्यों ने मोंटेवीडियो कन्वेंशन में इसकी पुष्टि की है.

सीलैंड की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, स्वतंत्रता की घोषणा के तुरंत बाद ब्रिटेन की सरकार ने सीलैंड को ख़त्म करने के इरादे से इसके किले को ध्वस्त करने की कोशिश की थी. मगर ब्रिटेन की ही अदालत ने सीलैंड को अपने देश के सीमा-क्षेत्र के बाहर मानते हुए इसके ख़िलाफ़ किसी प्रकार की कार्रवाई को ग़लत बताया. यह सीलैंड की पहली आधिकारिक मान्यता थी.

फिर, जर्मनी ने एक बार अपने राजनयिक को चर्चा के लिए सीलैंड भेजा था. यह भी एक प्रकार से उसकी ओर से सीलैंड को मान्यता थी या है.

सीलैंड के प्रमुख ने एक बार फ़्रांस के राष्ट्रपति के साथ भी संवाद किया था.

‘द ऑस्ट्रेलियन’ और ‘रेडबुल’ के साइमन सेलर्स सीलैंड को दुनिया का सबसे छोटा देश बताते हैं.

सीमा विवाद और हमले का ख़तरा

विदित है कि कई अन्य देशों की तरह ही तरह इस अति लघु (छोटे) समुद्री खंड सीलैंड का भी ब्रिटेन के साथ सीमा विवाद है. ब्रिटेन को यह फूटी आंखों नहीं सुहाता है. वह इसे हड़पने या ख़त्म करने के प्रयास में रहता है. इसके अलावा, इस पर हमले और क़ब्ज़े की भी आशंका बनी रहती है.

मिसाल के तौर पर साल 1978 का वाक़या है. इस वर्ष अगस्त महीने में जब प्रिंस रॉय बेट्स और प्रिंसेस जोन किसी दौरे पर ऑस्ट्रिया में थे तब सीलैंड पर क़ब्ज़े या तख्तापलट की घटना को अंजाम दिया गया था.

जानकारी के अनुसार, अलेक्जेंडर आखेनबाख नामक एक व्यापारी ने एक दिन अचानक अपने डच और जर्मन व्यापारी साथियों और कुछ भाड़े के सैनिकों के साथ मिलकर प्रिंस रॉय के बेटे माइकल को बंधक बनाकर सीलैंड का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया.

उसने ख़ुद को सीलैंड का असली दावेदार और प्रधानमंत्री के रूप में पेश किया. मगर रॉय बेट्स इसके लिए लड़े, और जल्द ही सीलैंड को उसके चंगुल से मुक्त करा लिया था.                             

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रामाशंकर पांडेय

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