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महिलाओं का हर राज़ खोल देती है उनकी नाभि, जानिए कौन सी नाभि क्या कहती है उनके बारे में

प्राचीन भारतीय शास्त्रों में नाभि को एक महत्वपूर्ण संरचना और शरीर के सभी अंगों का मूल माना गया है.इसे मात्रिजादि भावों में से एक, कोष्ठांग और वह स्थल बताया गया है जहां प्राण निवास करता है.इसका सौन्दर्य संबंधी महत्त्व है.यह स्वास्थ्य की स्थिति भी बताती है.लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह जीवन के उन रहस्यों को उजागर कर देती है, जिन्हें किसी और माध्यम से जानना कठिन माना जाता है.

जो चेहरों के पीछे छुपा रहता है, चाल-ढाल और रहन-सहन से भी उजागर नहीं हो पाता है, यहां तक कि हाथों की लकीरों में भी नज़र नहीं आता है वह नाभि से जाना जा सकता है.जी हां, शरीर का यह विशेष अंग औरतों का हर राज़ खोल देता है.दरअसल, नाभि किसी स्त्री का असल स्वभाव या चरित्र ही नहीं, उसका भाग्य भी बता देती है.जानकारों के अनुसार नाभि के जरिए किया गया आकलन बहुत सटीक बैठता है.इस ज्ञान का स्रोत एक प्राचीन ग्रन्थ है, जिसे सामुद्रिक शास्त्र कहते हैं.

महिलाओं की अलग-प्रकार की नाभि (प्रतीकात्मक चित्र)

सामुद्रिक शास्त्र को अंग विद्या, शारीरिक अंग विज्ञान आदि के नाम से भी जाना जाता है.यह ज्योतिष विज्ञान की वह शाखा है, जो अंगों के आकार-प्रकार और रंग-रूप के आधार पर व्यक्ति के चरित्र और भविष्य की तस्वीर बनाता है.ज्योतिषियों के अनुसार सामुद्रिक शास्त्र शारीरिक अंगों का अध्ययन कर जीवन के भूत, वर्तमान और भविष्य की सफल गणना करने में सक्षम बनाता है.ख़ासतौर से, मनुष्य की नाभि के बारे में कहा गया है कि यह जीवन उर्जा का केंद्र है.यही स्त्री और पुरुष के जीवन के सभी पहलुओं, जैसे स्वभाव, स्वास्थ्य, आयु (वर्तमान आयु और मृत्यु का समय) और भाग्य (सुख-दुख, होनी अनहोनी) के बारे में सटीक जानकारी का प्रमुख स्रोत है.

सामुद्रिक शास्त्र के अध्ययन से पता चलता है कि जो रहस्य व्यक्ति की आंखों से, बातचीत से और व्यवहार से नहीं जाना जा सकता है, उसे नाभि के ज़रिए जान सकते हैं.विशेषज्ञों के अनुसार स्त्री और पुरुष की नाभि के समान आकार-प्रकार समान सकेंत नहीं देते हैं.यानी मर्द और औरत की नाभि भले ही एक जैसी हो, उनसे प्राप्त लक्षण या संकेत अलग-अलग होते हैं.

नाभि आख़िर चीज़ क्या है?

विज्ञान या चिकित्सकीय भाषा में अम्बिलीकस (Umbilicus) या नाभि पेट पर एक गहरा निशान होती है, जो नवजात शिशु से गर्भनाल (Umbilical cord) को अलग करने के कारण बनती है.सरल भाषा में कहें तो, नाभि वह स्थान है जहां गर्भनाल मां और विकासशील भ्रूण से (दोनों के बीच) जुड़ी होती है.दरअसल, यह गर्भनाल ही वह मुख्य मार्ग है जिससे मां से विकसित हो रहे बच्चे को सभी आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति होती है.जन्म के बाद, गर्भनाल को काटकर शिशु से अलग कर दिया जाता है, और निशान रह जाता है.इसलिए, नाभि को गर्भनाल चिन्ह भी कहा जाता है.

विशेषज्ञों के अनुसार सभी अपरा संबंधी स्तनधारियों (Placental Mammals) में नाभि होती है.मनुष्यों में यह काफ़ी स्पष्ट होती है.इसका आकार और संरचना सभी में अलग-अलग होती है.

योग, आयुर्वेद और ज्योतिष में नाभि का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है.इनमें नाभि से जुड़ी बहुत ही रहस्यमयी बातों की जानकारी मिलती है.

योग दर्शन के अनुसार षड्चक्रों में तीसरा चक्र मणिपुर (अग्नि रूप में मणि, जिसमें तेजस या तेज होता है) है, नाभि क्षेत्र में स्थित है.

आयुर्वेद के अनुसार शरीर के आमाशय (अपचित भोजन का स्थान, पेट) और पक्वाशय (पके हुए भोजन का स्थान, आंत) के बीच का बिंदु (मध्य बिंदु) नाभि सभी अंगों का मूल, विभिन्न उपचारों का एक महत्वपूर्ण स्थल और 15 कोष्ठांगों (कोश के भीतर स्थित अंग) में से एक है.सुश्रुत संहिता के शरीरस्थान में आचार्य सुश्रुत ने कहा है कि शिरा और धमनी की जन्मदात्री (जन्म देने वाली) नाभि है.आचार्य वाग्भट ने नाभि को पित्त दोष का प्रमुख स्थान माना है.इसे प्राणों का निवास स्थान बताया गया है.

ज्योतिष की विधा सामुद्रिक शास्त्र में नाभि प्रदेश (नाभि स्थल) को शरीर, मन और प्रारब्ध (भाग्य) के ज्ञान का केंद्रीय स्थान या प्रमुख स्रोत माना गया है.ज्योतिषियों के अनुसार नाभि के आकार-प्रकार महिलाओं के बारे में सब कुछ कह देते है.यूं कहिये कि नाभि पुरुषों की तरह स्त्रियों के गुण-दोष और भाग्य-चक्र का आइना होती है.

नाभि के प्रकार- कौन सी नाभि महिलाओं के बारे में क्या कहती है जानिए

सौन्दर्य और मनोवैज्ञानिक रूप से नाभि को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है.मगर इसका स्वरुप सभी में अलग-अलग होता है.यूं कहिये कि प्रत्येक व्यक्ति की नाभि उसके लिए अद्वितीय होती है.इस संदर्भ में, ज्योतिषियों (एस्ट्रोलॉजर) या सामुद्रिक शास्त्र के जानकारों की राय शरीर विज्ञानियों (फिजियोलॉजिस्ट) या चिकित्सकों से भिन्न है.उनकी नज़र में नाभि सिर्फ एक निशान नहीं है गर्भनाल या नाभिनाल का.यह स्त्री के जीवन का दर्पण है, जिसमें उसकी सोच, स्वास्थ्य (शरीर का रोगी या निरोगी होना), सफलता-असफलता, होनी-अनहोनी, सुख-दुख, संतान, पारिवारिक-सामाजिक-राजनीतिक स्थिति, आदि सब कुछ दिखाई देता है.यहां तक कि महिला की नाभि देखकर उसकी जीवन प्रत्याशा अथवा मृत्यु-काल को भी जाना जा सकता है.

विशेषज्ञ कुछ विशेष प्रकार की नाभि को महिलाओं की उत्तम प्रकृति, धन, वैभव, सम्मान, यश या कीर्ति का परिचायक बताते हैं.साथ ही, यह आकर्षण का केंद्र भी होती है.यही वज़ह है कि आजकल नाभि के आकार-आकृति को लेकर एक जुनून सा है.

नाभि सौन्दर्य का पर्याय बन गई है.कई महिलाएं शारीरिक आकर्षण (ऐसी छवि, जिसमें वे ‘सेक्सी लुक’ में या ‘हॉट’ कहलाती हैं) बढ़ाने और मनोनुकूल नाभि पाने के लिए सर्जरी तक करवा रही हैं.हालांकि विशेषज्ञों की राय में बनावटी या नकली नाभि के रूप सही संकेतक नहीं हो सकते हैं.

बहरहाल, नाभि का वर्गीकरण करें, तो यह मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है- बहिर्मुखी (बाहर की तरफ़ नज़र आने वाली) और अंतर्मुखी (अंदर की ओर दिखाई देने वाली) .

बहिर्मुखी नाभि वह नाभि होती है, जिसका सिरा नाभि क्षेत्र की त्वचा (पेरिम्बिलिकल स्किन) से बाहर निकला होता है.ऐसी नाभि का आकार उत्तल (convex curving outward) अथवा उन्नतोदर (जिसका तल उठा हो, जैसे गोले या वृत्त का बाहरी भाग, एक सतह जो बाहर की ओर घुमावदार या गोल हो) होता है.अंग्रेजी में इसे आउटी (outie) कहते हैं.

दूसरी ओर, कोई भी नाभि, जो अवतल (concave- curving inward) या नतोदर (किसी वृत्त या गोले के आकार में, जैसे कटोरे के अंदरूनी भाग की तरह खोखला या अंदर की ओर मुड़ा या धंसा हुआ) हो, अंतर्मुखी नाभि कहलाती है.अंग्रेजी में इसे इन्नी (innie) कहते हैं.अधिकांश लोगों में, या फिर यूं कहिये कि लगभग 90 फ़ीसदी लोगों में इसी प्रकार की नाभि पाई जाती है.

इन्हीं दोनों नाभि-प्रकार को आगे विभिन्न प्रकार में उप-वर्गीकृत किया जाता है.अलग-अलग तरह की नाभि महिलाओं के बारे में क्या कहती है, आइए जानते हैं.

उभरी हुई नाभि: ऐसी नाभि, जो पूर्ण रूप से बाहर अथवा पेट की सतह के ऊपर स्थित दिखाई देती होती है, उभरी हुई और बढ़ी हुई नाभि (Protruding navel) कहलाती है.यूं समझिये कि नाभि के इस प्रकार में नाभिनाल का संपूर्ण अवशेष या नाभि का उभार पेट पर पूरी तरह उजागर हो जाता है.

सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार ऐसी नाभि वाली स्त्रियां मन और शरीर की मजबूत, आशावादी, बहिर्मुखी (खुलकर बोलने वाली या अपनी राय सार्वजानिक रूप से रखने वाली) और अपने उसूलों (सिद्ध्यांतों-मान्यताओं) की पक्की होती हैं.

महिलाओं की उभरी हुई नाभि (सांकेतिक चित्र)

विशेषज्ञों का कहना है कि उभरी हुई नाभि वाली महिलाएं कोई भी फैसला बहुत सोच-समझकर करती हैं, और जो कहती हैं वह करती हैं.वे एक बार आगे बढ़ने के बाद अपना क़दम पीछे नहीं हटाती हैं.

ऐसी महिलाओं का विवाह देर से होता है, पर योग्य वर या जीवनसाथी मिलता है.इनका वैवाहिक जीवन सामान्य रहता है, और रिश्ता मजबूत होता है.

ये आर्थिक और पारिवारिक रूप से मजबूत होती हैं.राजनीति और कला के क्षेत्र में भी इनका नाम या प्रभाव होता है.

मगर इन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां खड़ी होती रहती हैं, जिससे शरीर धीरे-धीरे क्षीण होता चला जाता है, और बुढापे की शुरुआत (68-70 साल की उम्र में) में ही इनकी मृत्यु का योग होता है.

घुमावदार नाभि: पेट पर टेढ़ी-मेढ़ी या चक्करदार आकृति वाली नाभि घुमावदार या वक्री नाभि (spiral or swirly navel) कहलाती है.यूं कहिये कि यह बेतरतीब (अव्यवस्थित ढंग से, कहीं सीधी तो कहीं टेढ़ी) घुमती हुई प्रतीत होती है.आकार में यह यह लंबी और फैली हुई होती है.

नाभि का यह प्रकार दुर्लभ बताया जाता है यानी ऐसी नाभि कुछ ही लोगों में पाई जाती है.

महिलाओं की घुमावदार नाभि (प्रतीकात्मक चित्र)

सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार घुमावदार नाभि वाली महिलाएं कद-काठी में अच्छी और आकर्षक, दिल की मजबूत, तीव्र बुद्धि की मगर अस्थिर चित्त वाली (जिनके विचार हमेशा बदलते रहते हैं) और मौक़ापरस्त होती हैं.इन्हें मनचाहा परिवार नहीं मिलता है.पति से संबंध भी सामान्य नहीं रहते हैं, पर बच्चों से इन्हें लगाव होता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि घुमावदार नाभि वाली महिलाओं की ज़िंदगी उतार-चढ़ाव वाली होती है, मगर परिस्थितियों पर नियंत्रण करना इन्हें आता है, और अपने कौशल से ये संतुलन बनाये रखती हैं.

ऐसी महिलाएं हर चीज़ हासिल करना चाहती हैं जो वह चाहती हैं, चाहे उसके लिए उन्हें कितना भी संघर्ष करना पड़े, या फिर कोई भी क़ीमत चुकानी पड़े.

अक्सर ये अपना कार्यक्षेत्र और स्थान भी बदलती रहती हैं, और नया कुछ करने को प्रयासरत रहती हैं.इससे इनके संबंधों में विस्तार होता रहता है, और लाभ मिलता है. लेकिन ये कभी संतुष्ट नहीं होती हैं, या फिर यूं कहिये कि इनके तन-मन की प्यास कभी बुझती नहीं है.

ये समझौतावादी होती हैं, और किसी के भी प्रति वफ़ादार नहीं होती हैं.जीवन इनके हिसाब से चौसर के खेल जैसा है, जिसमें ये किसी को भी मोहरा बना सकती हैं.

इनका जुड़ाव भोले-भाले, मूर्ख प्रकार के, समस्याग्रस्त, अवसरवादियों और चरित्रहीन-अपराधी क़िस्म के लोगों से अधिक होता है.इस कारण ये अविश्वसनीय मानी जाती हैं, और संदेह के घेरे में होती हैं, मगर इन्हें न बदनामी का डर होता है और नहीं पछतावा होता है.ये कभी पीछे मुड़कर नहीं देखती हैं.

आमतौर पर इनका स्वास्थ्य ठीक रहता है, मगर बढ़ती उम्र के साथ किसी गंभीर या असाध्य प्रकार की बीमारी का योग प्रबल होता है.ये औसत आयु की बताई जाती हैं अर्थात 65-70 तक जीती हैं.

बंटी हुई नाभि: बाहर की ओर फैली हुई (बहिर्मुखी) ऐसी नाभि, जिसके बीच में एक दरार उसे आंशिक या पूर्ण रूप से (कम या ज़्यादा) दो भागों में विभाजित करती है, बंटी हुई नाभि (split navel) कहलाती है.पहचान के तौर पर, यह नाभि कॉफ़ी के बीज (कॉफ़ी बिन) जैसी दिखाई देती है.

महिलाओं की बंटी हुई नाभि (सांकेतिक चित्र)

सामुद्रिक शास्त्र बताता है कि बंटी हुई नाभि वाली स्त्रियां विवेकशील, जागरूक, उद्यमी और विकासवादी सोच वाली, स्थिर मन और आत्मकेंद्रित (अपने आप में रमी हुई) स्वभाव की होती हैं.इन्हें योग्य वर और समृद्ध परिवार मिलता है, परंतु संबंधों में उतार-चढ़ाव बना रहता है.

मगर विशेषज्ञों या विश्लेषकों के बीच थोड़ा मतभेद है.यूं कहिये कि महिलाओं की बंटी हुई नाभि की तरह उनके बारे में विशेषज्ञों की राय भी बंटी हुई है.मुद्दा है इनका ‘आत्मकेंद्रित’ होना.कुछ लोग यह मानते हैं कि बंटी हुई नाभि वाली महिलाएं केवल अपने बारे में सोचती हैं, अपना भला कैसे हो, इसी पर इनका ध्यान केंद्रित होता है.इस प्रकार ये ‘स्वार्थी’ होती हैं.

लेकिन इनके (विशेषज्ञों के) दूसरे धड़े का अलग ही तर्क है.इनका कहना है ऐसी (बंटी हुई नाभि वाली) महिलाओं को लालची और स्वार्थी कहना उचित नहीं है.क्योंकि ये अपना समय और ध्यान व्यर्थ के काम में लगाने और दूसरों के बारे में सोचने या उनकी परवाह करने के बजाय अपनी संपूर्ण मानसिक और शारीरिक शक्ति व क्षमता नवाचार (नई खोज) और विकास कार्यों में लगाती हैं, तो उत्थान ही होता है- इनका भी और दूसरों का भी.इसमें भी परहित या परोपकार है, और लालच नहीं है.

बहरहाल सभी का यह मानना है कि ऐसी महिलाएं आत्मनिर्भर होती हैं.परिवार पर इनका प्रभाव होता है, मगर दांपत्य जीवन असंतोष भरा और समझौतों पर टिका होता है.कम पर श्रेष्ठ संतान का योग होता है.

स्वास्थ्य की दृष्टि से, बंटी हुई नाभि वाली महिलाएं मजबूत और दीर्घायु होती हैं.इनका जीवनकाल 80 वर्ष या इससे अधिक का बताया जाता है.

चक्राकार नाभि: ऐसी बाहरी नाभि, जिसमें गांठ के केंद्र में स्थित एक गहरी दरार केंद्र तक सीमित या उसमें समाहित होती है, यह चक्र या पहिए की आकृति बनाती हुई प्रतीत होती है, चक्राकार या मंडलाकार नाभि (circlet navel) कहलाती है.यह बंटी हुई नाभि (split outie) से भिन्न होती है.

आसान शब्दों में कहें तो, पहिए या चक्र जैसी दिखाई देने वाली एक ऐसी नाभि जिसमें गांठ के केंद्र में एक गहरी दरार होती है, चक्राकार नाभि कहलाती है.यह बंटी हुई नाभि से अलग होती है क्योंकि इसकी दरार नाभि को दो भागों में विभाजित नहीं करती है.इसका कारण यह है कि दरार गांठ के केंद्र से शेष नाभि क्षेत्र की किसी दिशा में अग्रसर नहीं होती (आगे नहीं बढ़ती) है, वहीं तक सीमित या उसी में समाहित होती है.

महिलाओं की चक्राकार नाभि (प्रतीकात्मक चित्र)

सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार चक्राकार नाभि वाली स्त्रियां कुशाग्र बुद्धि की, सौंदर्य और कला प्रेमी, शांत, सुशील, मिलनसार और प्रभावी व्यक्तित्व की होती हैं.इन्हें मनचाहा पति और अच्छी ससुराल मिलती है.

विशेषज्ञों का कहना है कि चक्राकार प्रकार की नाभि वाली महिलाओं का जीवन समृद्ध और प्रभावशाली होता है.इनकी योग्यता और आकर्षण इन्हें औरों से अलग बनाता है.लोग इनकी ओर खींचे चले आते हैं.

इन्हें प्रसिद्धि पाने या नाम कमाने की जैसे धुन सवार रहती है.इस कारण ये अपने रूप, गुण या कला का प्रदर्शन करती रहती हैं.मगर कई बार ख़ुद को साबित करने के जुनून में ये सारी हदें पर कर जाती हैं, और विवादों में रहती हैं.

ये उन्मुक्त जीवन में विश्वास करती हैं, और किसी दायरे में बंधकर नहीं रहती हैं.इस कारण इनके दांपत्य जीवन में कई बार दरार की स्थिति पैदा हो जाती है.फिर भी, परिवार और बच्चों के प्रति इनका लगाव बना रहता है.

चक्राकार नाभि वाली महिलाएं निरोगी काया वाली होती हैं, पर दीर्घायु नहीं मानी जाती हैं.बताया जाता है कि इन्हें (प्राकृतिक रूप से- अचानक स्वास्थ्य बिगड़ने या दुर्घटना के कारण) अकाल मृत्यु (समय पूरा होने से पहले मरने) का योग प्रबल होता है.

उर्ध्वार्धर नाभि: लंबवत अर्थात सीधी खड़ी दिखाई देने वाली नाभि, जो पतली व संकीर्ण मगर लंबी खोखली आकृति में होती है, उर्ध्वार्धर नाभि (Vertical navel) कहलाती है.कुछ जानकर इसे पतली नाभि (slim navel) भी कहते हैं.यह नाभि नीचे से ऊपर या फिर ऊपर से नीचे की ओर अग्रसर या बढ़ी हुई हो सकती है.

इस प्रकार की नाभि आकर्षक होती है, और कम ही लोगों में पाई जाती है.इसलिए, इसे पाने के लिए कुछ महिलाएं आजकल कॉस्मेटिक सर्जरी भी करवा रही हैं.

महिलाओं की उर्ध्वार्धर नाभि (सांकेतिक चित्र)

सामुद्रिक शास्त्र में ऐसा वर्णन मिलता है कि उर्ध्वार्धर नाभि वाली महिलाएं कर्मठ, धैर्यवान, समावेशी (जो सब को समान रूप से देखता या साथ लेकर चलता हो) विचारों वाली, हंसमुख और दयालु स्वभाव की होती हैं.इन्हें अच्छा पति और खुशहाल ससुराल मिलती है.इनका जीवन सुखमय बीतता है.

लेकिन ये सारे संकेत उर्ध्वार्धर नाभि वाली सभी महिलाओं के लिए नहीं हैं.दरअसल, ये आम लक्षण हैं, जो कमोबेश इस प्रकार की महिलाओं में देखने को मिलते हैं.

ज्ञात हो कि उर्ध्वार्धर नाभि दो प्रकार की होती है- उर्ध्वगामी (upward) अर्थात ऊपर की ओर जाने वाली, और अधोगामी (downward) अर्थात नीचे की तरफ जाने वाली.दोनों के लिए संकेत अलग-अलग बताये जाते हैं.

विशेषज्ञों के अनुसार उर्ध्वार्धर नाभि के उर्ध्वगामी प्रकार की नाभि वाली महिलाएं तीव्र बुद्धि की, परिश्रमी, शांत और संयमित, आत्मविश्वासी, उद्यमी और साहसी होती हैं.ये कठोर निर्णय लेने में संकोच नहीं करती है.

इनके जीवन में सुख-समृद्धि का योग प्रबल होता है.इन्हें अच्छा परिवार और पति मिलता है.इनका दांपत्य जीवन सामान्य रहता है.कम संतान का योग होता है.

दूसरी ओर, उर्ध्वार्धर नाभि के अधोगामी प्रकार की नाभि वाली महिलाएं कुशाग्र बुद्धि वाली, विनम्र और भावुक स्वभाव की बताई जाती हैं.ये पति से प्रेम करने वाली, और उन्हें भरपूर यौन सुख देने वाली होती हैं.इनके पति भी इन पर जान छिड़कते हैं.इन्हें अधिक संतान का योग होता है.

अधोगामी प्रकार की नाभि वाली महिलाएं कई बार भावनाओं में बहकर नुकसान उठाती हैं.दरअसल, वे अपने तेज दिमाग़ का इस्तेमाल कर सब कुछ आसानी से प्राप्त कर लेना चाहती हैं, कठोर परिश्रम से बचती हैं इसलिए, इनकी सफलताओं की दर में कमी देखने को मिलती है.

इनके जीवन में उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं.यानी कभी सब कुछ भरा-पूरा होता है तो कभी कमियां या अभाव की स्थिति भी बन जाती है.मगर ये हार नहीं मानती हैं, और अपने विवेक और पति के सहयोग से कठिनाइयों को दूर करने में सफल रहती हैं.

विशेषज्ञों के मुताबिक़ उर्ध्वार्धर नाभि के दोनों ही प्रकार (उर्ध्वगामी और अधोगामी) की नाभि वाली महिलाओं का स्वास्थ्य अच्छा रहता है.ये दीर्घजीवी होती हैं.बताया जाता है कि ये 80-85 वर्ष तक जीती हैं.

गोलाकार नाभि: ऐसी नाभि, जो आकार में पूरी तरह गोल या वृत्ताकार होती है, और उसमें क्षत्र (hood) जैसा उभरा हुआ सिरा नहीं होता है, गोलाकार नाभि (round or circular navel) कहलाती है.इसका दायरा कम या ज़्यादा हो सकता है.

इस प्रकार की फैली हुई या आकार में बड़ी नाभि के नीचे छाया-सी नज़र आती है, जिससे महिला को लगता है कि वहां इसकी परछाई है.इसी कारण कुछ लोग इसे छायादार या छायांकित नाभि (shaded navel) भी कहते हैं.

महिलाओं की गोल नाभि (प्रतीकात्मक चित्र)

सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार गोल नाभि वाली महिलाएं शांत, संयमित, विनम्र, शर्मीली और दयालु होती हैं.इन्हें अच्छा पति और खुशहाल परिवार मिलता है.इनका जीवन सुखमय और सम्मानित होता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि गोलाकार नाभि वाली महिलाएं बुद्धिमान होती हैं, और रचनात्मक कार्यों में रूचि रखती हैं.इनकी सूझबूझ और ठोस रणनीति मुश्किल काम भी आसान बना देती है.

इन्हें अपनी भावनाओं पर काबू होता है.यहां तक कि ये अपनी परेशानियां भी खुलकर व्यक्त नहीं करती हैं.इनका दयालु और करुणामय स्वभाव इन्हें सदा संतुष्ट रखता है.

ये अपने परिवार के प्रति कर्तव्यों से बंधी होती हैं.पति से प्रेम करती हैं, लेकिन प्रकट नहीं करती हैं.यहां तक कि सेक्स के प्रति भी कभी उतावली नहीं होती हैं, या फिर यूं कहिये कि ये अपनी ओर से कभी शुरुआत (उत्तेजना का प्रदर्शन) नहीं करती हैं.इस कारण इनके पति अक्सर असंतुष्ट रह जाते हैं, और उनके अन्यत्र भी संबंध बन जाते हैं.मगर घर पर दोनों में प्यार बना रहता है, और दांपत्य जीवन सामान्य रहता है.

कुछ लोगों का कहना है कि गोलाकार नाभि वाली महिलाएं शारीरिक प्रेम से ज़्यादा आत्मिक प्रेम और अटूट संबंध में विश्वास करती हैं.इसलिए, उन्हें शर्मीली या संकोची नहीं, बल्कि गंभीर (स्वभाव से शांत, जो जल्दबाज़ न हो) कहना चाहिए.यही वज़ह है कि युवावस्था के बाद इनका झुकाव आध्यात्म की ओर ज़्यादा होता है.

गोलाकार नाभि वाली महिलाओं का मन ही नहीं, तन भी स्वस्थ रहता है.इन्हें लंबी आयु का योग होता है.बताया जाता है कि ये 80 से अधिक वर्षों तक जीती हैं.

अंडाकार नाभि: एक प्रकार की लंबवत उन्मुख नाभि, जिसका ऊपरी हिस्सा थोड़ा चौड़ा (आकार में गोल) और निचला हिस्सा अपेक्षाकृत संकीर्ण या नुकीला दिखाई देता है, अंडाकार नाभि (Egg-shaped or Oval shaped navel) कहलाती है.यूं कहिये कि अंडे की आकृति में (अंडे जैसी) दिखाई देने वाली नाभि अंडाकार नाभि कहलाती है.यह महिलाओं के सौन्दर्य और आकर्षण को बढ़ाती है.

महिलाओं की अंडाकार नाभि (सांकेतिक चित्र)

अंडाकार नाभि तीन तरह की होती है- 1. जिसमें ऊपरी सिरा (हुड या फ्लैप) ज़्यादा उठा हुआ होता है.यह अधिक स्पष्ट होता है.

2.जिसमें ऊपरी सिरा कम उठा हुआ या कम स्पष्ट नज़र आता है.

3.जिसमें दोनों सिरे समतल और समान नज़र आते हैं.

ज्ञात हो कि अंडाकार नाभि हर व्यक्ति में समान रूप में नहीं होती है.किसी में इसका चौड़ा या फैला हुआ हिस्सा (ऊपरी भाग) ऊपर तो किसी में नीचे की ओर हो सकता है.

यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि जिस तरह उर्ध्वार्धर नाभि के दोनों प्रकार (उर्ध्वगामी और अधोगामी) के अलग-अलग लक्षण या संकेत बताये गए हैं उस तरह की चर्चा कहीं भी अंडाकार नाभि (इसके तीनों प्रकार के अलग-अलग लक्षण) के बारे में नहीं मिलती है.ऐसा क्यों है, शोध का विषय है.

बहरहाल, अंडाकार नाभि वाली महिलाएं जटिल, भावुक, अति संवेदनशील और अतिसक्रिय प्रवृत्ति की बताई जाती हैं.सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार इन्हें खुशहाल परिवार मिलता है.पति प्यार करने वाला मिलता है, और अधिक संतान का योग होता है.

विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसी महिलाएं अपने जटिल स्वभाव, अनुकुलनशीलता या परस्पर विरोधी लक्षणों के कारण दोहरे व्यक्तित्व वाली मानी जाती हैं.कई बार ये विपरीत व्यवहार या मनोदशा प्रदर्शित कर दिलचस्प होती हुई भी अप्रत्याशित हो सकती हैं.मगर इन्हीं में से कुछेक बहुमुखी प्रतिभा की धनी होती हैं, और मिसाल क़ायम करती हैं.शायद यह अंडाकार नाभि के तीन प्रकार में से किसी एक की विशेषता है.

विशेषज्ञ और भी स्पष्ट और विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि अंडाकार नाभि वाली महिलाओं के दिल और दिमाग़ अक्सर द्वन्द चलता रहता है, जिससे ये निर्णय लेने में समय बर्बाद कर हाथ में आया मौक़ा गवां देती हैं.

इनका जीवन संघर्षमय होता है, और इन्हें ज़्यादातर लोभी और कपटी लोग ही मिलते हैं.

समाज में ही नहीं, परिवार में भी कई बार इनके साथ सौतेला प्रकार का व्यवहार होता है.अन्याय या इस्तेमाल होने की स्थिति में खिन्न होकर इनके मन के प्रपंच और षड्यंत्र की ओर प्रवृत्त होने का योग बनता है.

ये पति से प्रेम करने वाली होती हैं, और बच्चों से इन्हें अधिक लगाव होता है.

विपरीत परिस्थितियों से ये जल्दी उब जाती हैं, और दुखी हो जाती हैं, मगर सारे कष्ट और परेशानियां अपने अंदर ही दबाकर रखती हैं.

ये परोपकार और सेवा में कभी पीछे नहीं रहती हैं इसलिए, इन्हें कुछ अच्छे लोग भी मिलते हैं, जो संकट के समय मार्गदर्शन और सहायता करते हैं.

स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं इन्हें जल्दी घेर लेती हैं, और अधेड़ावस्था में ही शारीरिक दुर्बलता का शिकार हो जाती हैं.इनकी अधिकतम जीवन अवधि 60-65 वर्ष बताई जाती है.

क्षैतिज नाभि: एक प्रकार की नाभि, जो पेट के पार बगल की ओर फैली होती है, क्षैतिज नाभि (Horizontal navel) कहलाती है.दूसरे शब्दों में, जिस नाभि का अधिकांश भाग क्षैतिज (तल के सामानांतर) रूप में होता है, उसे क्षैतिज नाभि कहते हैं.यह खोखली या गहरी नाभि से भिन्न होती है क्योंकि इसमें त्वचा का ऊपरी भाग नाभि के मुख को ढंकता है.ऐसे में, आंख जैसी आकृति बनती है, और नाभि बाहर की ओर झांकती हुई प्रतीत होती है.

महिलाओं की क्षैतिज नाभि (प्रतीकात्मक चित्र)

मगर कुछ लोगों में इस प्रकार की नाभि का ऊपरी भाग क्षैतिज और निचला भाग उर्ध्वार्धार तह (परत) बनाता है.ऐसे में, यह अंग्रेजी के अक्षर ‘टी’ (T) की आकृति में दिखाई देती है.इसलिए, इसे टी-टाइप बेली बटन (T-shaped belly button) भी कहा जाता है.

सामुद्रिक शास्त्र बताता है कि क्षैतिज नाभि वाली महिलाएं जागरूक, पारखी नज़र वाली, व्यावहारिक और विचारों की पक्की होती हैं.वे अपने पिछले अनुभवों को भूलती नहीं हैं, और प्रत्येक स्थिति से निपटने के लिए तैयार होती हैं.

इनका पारिवारिक जीवन सामान्य रहता है.पति से रिश्ते मजबूत होते हैं.कम और देर से संतान होने का योग होता है.

विशेषज्ञों के अनुसार क्षैतिज नाभि वाली महिलाएं किसी पर जल्दी भरोसा नहीं करती हैं.मगर जिस पर उन्हें भरोसा हो जाता है, उसका साथ नहीं छोडती हैं.

ये परिस्थितियों के आगे झुकने और किसी से समझौता करने में यक़ीन नहीं रखती हैं.जो जैसा व्यवहार करता है उसके साथ वैसा ही बर्ताव करती हैं.

इनका स्वास्थ्य आमतौर पर अच्छा रहता है.ये किसी गंभीर बीमारी या दुर्घटना का भी शिकार नहीं होती हैं, मगर इनका जीवनकाल सीमित होता है.बताते हैं कि बुढ़ापे की शुरुआत में (65-70 साल की उम्र में) इनकी मृत्यु का योग होता है.

उथली नाभि: वह अंतर्मुखी नाभि, जो कम गहराई वाली या छिछली होती है, उथली नाभि (shallow navel) कहलाती है.इसका फैलाव आमतौर पर कम होता है, और निशान भी कम स्पष्ट होते हैं.

महिलाओं की उथली नाभि (सांकेतिक चित्र)

सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार उथली नाभि वाली महिलाएं कोमल, अस्थिर मन-मस्तिष्क वाली और आरामतलब या विलासी स्वभाव की होती हैं.इन्हें अचानक धन प्राप्ति या विरासत में संपत्ति मिलने का योग प्रबल होता है.

ऐसी महिलाओं को योग्य और प्यार करने वाला वर या पति मिलता है, पर मनचाहा घर-परिवार नहीं मिलता है.

विशेषज्ञ बताते हैं कि उथली नाभि वाली महिलाओं का दिमाग़ तेज होता है, पर मन चंचल होने के कारण लक्ष्य पर ध्यान स्थिर नहीं रह पाता है.अर्थात ये जल्दी उब जाती हैं, और काम अधूरा छोड़ नुकसान उठाती हैं.

ये विलासी या भोगी (इन्द्रिय सुख की चाह रखने वाली) होने के साथ तुनुकमिजाज़ (चिड़चिड़ी) भी होती हैं, जिससे परिवार और समाज में इनकी बहुत कम लोगों से बनती है.लेकिन, पति के साथ इनका रिश्ता अच्छा और मजबूत होता है.यूं कहिये कि दोनों एक दूसरे के प्रति तन-मन से समर्पित होते हैं.

अक्सर इन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है, और बुढ़ापे आते-आते (वृद्धावस्था की शुरुआत में ही) इनका शरीर कमज़ोर और शिथिल पड़ जाता है.इनका जीवनकाल 65-70 वर्ष का बताया जाता है.

गहरी नाभि: ऐसी नाभि, जिसका विस्तार अंदर की ओर ज़्यादा हो अथवा जिसमें गहराई हो, गहरी नाभि (deep navel) कहलाती है.यह पेट पर एक बड़े सूराख (छेद) या गड्ढे की आकृति बनाती है.

कुछ जानकार ‘गहरी नाभि’ कहने के बजाय ‘गहरी और गोलाकार’ नाभि कहते हैं.इस प्रकार, वे दो नाभि प्रकार को एक ही प्रकार या श्रेणी में रख देते हैं जो कि मुमकिन नहीं है.वास्तव में, श्रेणी उसी गुण की बनती है जिसकी प्रधानता होती है.इसलिए, जो ‘पूरी तरह गोल’ हो उसे गोलाकार नाभि कहेंगें.इसी तरह, जो ज़्यादा गहरी हो, उसे केवल गहरी नाभि कहेंगें क्योंकि ‘ज़्यादा गहराई’ उसकी प्रधानता है.

स्त्रियों की गहरी नाभि (प्रतीकात्मक चित्र)

बहरहाल सौन्दर्य प्रेमियों को गहरी नाभि बहुत भाती है.कुछ लोग इसे यौन आकर्षण (सेक्स अपील) के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में देखते हैं.

सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार गहरी नाभि वाली महिलाएं शांत, समझदार, मिलनसार और रसिक मिजाज़ (रोमांटिक या रंगीली) होती हैं.इन्हें मौज-मस्ती में ज़्यादा आनंद आता है.इन्हें अच्छा वर और खुशहाल ससुराल मिलती है, और अधिक संतान का योग होता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि गहरी नाभि वाली स्त्रियां विवेकशील, उद्यमी और अवसर का लाभ उठाने वाली होती हैं.ये आर्थिक और पारिवारिक रूप से मजबूत होती हैं.सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी इनकी पहचान बनती है, अथवा रसूख होता है.

गहरी नाभि वाली महिलाएं अपने पति को रति (कामदेव की पत्नी) के समान यौन सुख देने वाली होती हैं, और इनका दांपत्य जीवन कईयों के लिए मिसाल बनता है.

ये स्वस्थ और दीर्घायु होती हैं.80 वर्ष से अधिक उम्र तक जीती हैं, ऐसा बताया जाता है.

सपाट या समतल नाभि: वह नाभि, जो पेट पर एक द्विआयामी (लंबाई और चौड़ाई से युक्त) चौरस आकृति बनाती है, समतल या सपाट नाभि (plain or flat navel) कहलाती है.इसमें न गहराई होती न उभार.निशान महज़ एक रेखा के रूप में दिखाई देता है.

कुछ जानकर इसे उथली (कम गहरी) नाभि ही मानते हैं क्योंकि यह भी कमोबेश वैसी ही नज़र आती है.परन्तु, वास्तविकता इससे अलग है.सपाट नाभि दरअसल, केवल एक सतही निशान होती है, जो देखने में दबी या धंसी (अंदर की ओर) हुई लगती है.

महिलाओं की सपाट नाभि (सांकेतिक चित्र)

सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार सपाट नाभि वाली महिलाएं जटिल, आत्ममुग्ध (अपनी सुंदरता या गुणों से अभिभूत या संतुष्ट), छिद्रान्वेषी (दूसरों की मीन-मेख निकालने वाली), अति आत्मविश्वासी, अत्यंत उत्साही और जिद्दी स्वभाव की होती हैं.इनका बेमेल विवाह और कम तथा देर से संतान का योग होता है पर ये ख़ुश और कामयाब होती हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि सपाट या समतल नाभि वाली महिलाओं का जीवन उतार-चढ़ाव वाला होता है.मगर इनकी संघर्षशील प्रवृत्ति इन्हें कमज़ोर नहीं पड़ने देती है.इनका परिश्रमी तथा साहसी स्वभाव और कौशल इन्हें आत्मनिर्भर और सामर्थ्यवान बनाता है.

परन्तु इनके सामाजिक जीवन की राह आसान नहीं होती है.दरअसल, ये दूसरों में खूबियां कम ख़ामियां ज़्यादा देखती हैं.इस कारण बहुत कम ही लोगों से इनकी बनती है.जिनसे इनकी बनती है, उनसे संबंध बिगड़ जाने की संभावना सदा बनी रहती है.क्योंकि ये छोटी-छोटी बातों पर रूठ जाती हैं, नाराज़ होकर लड़ने-झगड़ने लगती हैं इसलिए, लोग इन पर भरोसा नहीं करते हैं.

हालांकि ये किसी का बुरा नहीं चाहती हैं, और नहीं नीचा दिखाना चाहती हैं, मगर इनकी वैचारिक भिन्नता और आक्रामकता अधिकांश लोगों के बीच इन्हें अलोकप्रिय बनाती है.अपनी आलोचना इन्हें बर्दाश्त नहीं होती है.

दरअसल, ये तारीफ़ की भूखी होती हैं.इसलिए, इन्हें क़रीब से जानने वाले लोग इनसे अनावश्यक लाभ उठाते हैं, या ठगी जाती हैं.

ये ख़ुद को किसी से कमतर नहीं मानती हैं, या फिर बेहतर मानती हैं, और स्वयं में संतुष्ट रहती हैं.’कोई क्या कहेगा’ इसकी इन्हें परवाह नहीं होती है.ये हमेशा बेफिक्र और ख़ुश रहती हैं.

इनका स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है, और लंबा जीवन (80 या इससे अधिक वर्षों तक) जीती हैं.

अस्वीकरण: इस लेख (आर्टिकल) में कही गई बातें सामुद्रिक शास्त्र, बहुत्रेयी, लघुत्रयी और अन्य शास्त्रीय पुस्तकों सहित पत्रिकाओं, इंटरनेट वेबसाइट, पूर्व में किये गए कार्यों से विवरण इकठ्ठा करके किया गया साहित्यिक और वैचारिक अध्ययन का निचोड़ हैं.खुलीज़ुबान.कॉम इसकी सौ फ़ीसदी (100%) प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है.इसलिए, इसे संक्षिप्त जानकारी मानकर पाठक अपने विवेक का उपयोग करे.

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रामाशंकर पांडेय

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