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चुनाव

बिहार विधानसभा चुनाव 2020

बिहार विधानसभा चुनाव, 2020 में विधानसभा(निचले सदन) की सभी 243 सीटों के लिए चुनाव आयोजित किए गए.तीन चरणों में हुए मतदान के परिणाम गत 10 नवम्बर को चुनाव आयोग द्वारा घोषित किए गए जिसमें फ़िर एक बार भाजपा-जदयू के गठबंधन राजग को बहुमत प्राप्त हुआ.यह जैसे बिहार की सियासी पिच पर टी-20 की तर्ज़ पर सांस रोक देने वाले मुक़ाबले में मतदाताओं ने तेजस्वी यादव के युवा नेतृत्व वाले विपक्षी महागठबंधन की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की अगुआई वाले एनडीए (राजग)) के अनुभवी नेतृत्व को वरीयता दी.ये सत्ता-बिरोधी लहर और जंगल राज के पुनरागमन के डर के भावनात्मक उफ़ान के बीच द्वन्द भरा चुनाव था.’कुछ नहीं’ से ‘कुछ भला’.’मामा विहीन’ से ‘काना मामा’ अच्छा.तमाम सर्वे तथा चुनावी पंडितों की भविष्यवाणियों को झुठलाने वाला चुनाव.
 
फ़िर से नीतिश,जनादेश नहीं संदेश,करो या मरो
अनुभवी मोदी-नीतिश बनाम नौसिखिए

 

कुल योग्य मतदाता 
2020 के बिहार की सत्रहवीं विधानसभा चुनाव में 243 उम्मीदवारों की क़िस्मत का फ़ैसला करने वाले कुल योग्य मतदाताओं की संख्या क़रीब 7,18,22,450 थी जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या-3,79,12,127 थी जबकि महिला मतदाताओं की संख्या-3,39,07,979 थी.इसमें तृतीय लिंग के मतदाताओं की संख्या 2,344 थी जबकि 18-19 वर्ष की उम्र वाले मतदाताओं की संख्या 7,14,988 तथा 80 वर्ष से ज़्यादा उम्र के मतदाताओं की संख्या 13,03,543 थी.1,58,094 सेवारत(सर्विस वोटर)मतदाता जबकि प्रवासी (ओवरसीज वोटर) मतदाताओं की संख्या 72 थी.2015 के चुनाव में कुल योग्य मतदाताओं की संख्या क़रीब 6,68,26,658 थी जिसमें इस बार क़रीब 15,35,767 नए मतदाता जोड़े गए.
 
फ़िर से नीतिश,जनादेश नहीं संदेश,करो या मरो
बिहार में वोटरों का व्यौरा 

      

कुल मतदान 

सियासी रूप से जागरूक कही जाने वाली बिहार की जनता ने अपना दमख़म बरकरार रखा तथा कोरोना संकटकाल में भी चुनावों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.चुनाव आयोग के मुताबिक,बिहार विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने इसबार 2015 की तुलना में ज़्यादा मतदान किया.आयोग के आंकड़ों के अनुसार,2015 में कुल मतदान का प्रतिशत जो 56.66% था वो बढ़कर इस बार 57.05% हो गया.पिछली बार के मुक़ाबले इसबार 0.39% ज़्यादा मतदान हुआ.        
आंकड़ों के मुताबिक,अबकी बार कुल योग्य 3,79,12,127 पुरुष मतदाताओं में से 2,07,30,351 यानि 54.68% मतदाताओं ने मतदान किया.महिलाएं दो क़दम आगे रहीं.कुल योग्य 3,39,07,979 महिला मतदाताओं में से 59.58% यानि 2,02,02,374 मतदाताओं ने मतदान किया.           

चुनाव परिणाम 

बिहार विधानसभा की 243 सीटों के नतीजों में राज्य में सत्ताधारी राजग ने 125 सीटों के साथ बहुमत का ज़ादुई आंकड़ा हासिल कर एक बार फ़िर से सत्ता हासिल कर ली.राजद के नेतृत्व वाला विपक्षी महागठबंधन 110 सीटों पर सिमटकर रह गया.इस चुनाव में एआईएमआईएम ने पांच सीटें,लोजपा एवं बसपा ने एक-एक सीट जीती.एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार भी जीतने में कामयाब रहा.

राजग(राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन)     

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार,सत्ताधारी राजग (एनडीए) का हिस्सा भाजपा(बीजेपी) ने 19.46% यानि कुल 82,01,408 मत प्राप्त कर 74 सीटें जीती.जदयू (जनता दल यूनाइटेड) ने 15.39% यानि  कुल 64,84,414 वोट हासिल किए तथा वह 43 सीटों पर काबिज़ हुई.इसीप्रकार,गठबंधन(राजग) के दुसरे सहयोगी दलों विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने क्रमशः कुल 1.52% तथा 6,39,840 मत प्राप्त कर 4 और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने कुल 0.89% तथा 3,75,564 मत प्राप्त कर 4 सीटों पर जीत दर्ज़ की.

एमजीबी(महागठबंधन) 

दूसरे गठबंधन विपक्षी महागठबंधन (एमजीबी)में शामिल राजद(राष्ट्रवादी जनता दल)ने 23.11% यानि कुल 97,36,242 मत प्राप्त किए और 75 सीटें जीतकर ‘सबसे बड़ी पार्टी’ का दर्ज़ा हासिल किया.कांग्रेस(भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)ने 9.48% यानि कुल 39,95,003 वोट हासिल कर 19 सीटें जीती.इसीप्रकार,महागठबंधन का हिस्सा वामपंथी दल भाकपा माले(भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी लेनिनवादी)(लिबरेशन)ने क्रमशः कुल 3.16% व 13,33,569 मत प्राप्त कर 12,भाकपा(भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी)ने कुल 0.83 व 3,49,489 मत प्राप्त कर 2 और भाकपा(भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी)(मार्क्सवादी-माकपा)ने कुल 0.65% व 2,74,155 मत प्राप्त कर 2 सीटों पर जीत दर्ज़ की.

जीडीएसएफ(महालोकतांत्रिक सेक्युलर मोर्चा)                                  

तीसरे गठबंधन ‘महालोकतांत्रिक सेक्युलर मोर्चा'(जीडीएसएफ)के अगुआ और महागठबंधन का खेल बिगाड़ने वाले ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम(ऑल इंडिया मज़लिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन)ने कुल 1.24% यानि 5,23,279 मत हासिल कर 5 सीटें जीती जबकि गठबंधन(जीडीएसएफ)का हिस्सा सुश्री मायावती की पार्टी बसपा(बहुजन समाज पार्टी)को क्रमशः कुल 1.49% व 6,28,944 मत प्राप्त करने के बावज़ूद महज़ 1 सीट से संतोष करना पड़ा.इसी गठबंधन शामिल और बिहार चुनाव में एक बड़ा फैक्टर माने जानेवाले उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी(आरएलएसपी)को बड़ा झटका लगा.उसे कुल 1.77% यानि 7,44,221 वोट हासिल करने के बाद भी अन्य साथी दलों,ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी(एसबीएसपी),देवेन्द्र प्रसाद यादव की पार्टी समजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक(एसजेडीडी) और जनवादी पार्टी सोशलिस्ट(जेपी-एस) की तरह ही कोई सीट मयस्सर नहीं हुई, जबकि पिछली विधानसभा में  ये दो सीटों पर काबिज़ थे.

पीडीए(प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक अलायंस)

चौथे गठबंधन प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक अलायंस(पीडीए)में शामिल पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी(लोकतांत्रिक),भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर उर्फ़ रावण की पार्टी आज़ाद समाज पार्टी(कांशीराम),देश की जाँच व सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर चल रही आतंकी गतिविधियों में आरोपी पीएफआई(पापुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया)की राजनीतिक ईकाई एसडीपीआई और बहुजन मुक्ति पार्टी आदि दलों में से किसी को भी कोई सीट हासिल करने क़ामयाबी नहीं मिली. 

बिना गठबंधन            

बिना गठबंधन यानि चुनाव में अकेली उतरी चिराग पासवान की पार्टी लोजपा(लोक जनशक्ति पार्टी) को कुल 5.66% यानि 23,83,457 मत प्राप्त हुए तथा सिर्फ़ एक सीट ही मयस्सर हुई.ये समझना कठिन नहीं है कि राजग की इस पुरानी सहयोगी पार्टी ने ख़ुदको ‘शहीद‘ कर जदयू को तीसरे नंबर पर धकेलकर उसे भाजपा का ‘छोटा भाई‘ बनने पर मज़बूर कर दिया.     
एनसीपी,शिव सेना और झामुमो की तो जैसे ज़मानत ही ज़ब्त हो गई.विचित्र बात ये है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस से साथ मिलकर सरकार चला रही शरद पवार की पार्टी एनसीपी(राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) तथा उद्धव ठाकरे की पार्टी शिव सेना को बिहार में कांग्रेस का साथ और महागठबंधन में जगह नहीं मिली.ठीक इसीप्रकार,झारखंड में राजद तथा कांग्रेस के साथ सत्ता में बैठे वहां के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो(झारखंड मुक्ति मोर्चा) को भी यहाँ अकेला चुनाव लड़ना पड़ा.   
एक निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुआ.

परिणाम

गठबंधन राजनैतिक दल सीटें प्राप्त मत
लड़ीं जीतीं # %
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) जनता दल (यूनाइटेड) 115 43 64,84,414 15.39
भारतीय जनता पार्टी 110 74 82,01,408 19.46
विकासशील इंसान पार्टी 11 4
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) 7 4
योग 243 125
राजद महागठबंधन राष्ट्रीय जनता दल 144 75 97,36,242 23.11
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 70 19 39,95,003 9.48
भाकपा (मा-ले) लिबरेशन 19 12
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 6 2 3,49,489 0.83
भाकपा (मार्क्सवादी) 4 2 2,74,155 0.65
योग 243 110
महालोकतांत्रिक सेकुलर मोर्चा (GDSF) राष्ट्रीय लोक समता पार्टी 104 0 7,44,221 1.77
बहुजन समाज पार्टी 80 1 6,28,944 1.49
मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन 24 5 5,23,279 1.24
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी 5 0
समाजवादी जनता दल 25 0
जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) 5 0
योग 243 6
प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक अलायंस (PDA) जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) 0
आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) 30 0
SDPI 0
बहुजन मुक्ति पार्टी 0
योग 243 0
बिना गठबंधन लोक जनशक्ति पार्टी 135 1 23,83,457 5.66
झारखंड मुक्ति मोर्चा 0 25,213 0.06
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी 0 94,835 0.23
शिवसेना 23 0 20,195 0.05
निर्दलीय 1300 1
NOTA उपरोक्त में से कोई नहीं 243 0 7,06,252 1.68
महायोग 243 100.0

स्रोत: बिहार चुनाव परिणाम २०२०[1]

बिहार की सत्रहवीं विधानसभा के गठन के लिए आयोजित चुनाव अपार संभावनाओं,भ्रम,धर्मसंकट और असमंजस से भरा हुआ एक ऐसा अल्पकालिक दौर था जिसमें एक तरफ़ भूत का भय था तो दूसरी ओर वर्तमान का असंतोष और रोष.निर्णय लेना आसान नहीं था.पर,तटस्थता बिहारियों के मिज़ाज़ में नहीं है.कुल मिलाकर ये एक दिलचस्प चुनाव था जिसपर देशभर की निगाहें टिकी हुई थी.इस चुनाव और उसके परिणाम से जुड़ी कुछ ख़ास बातें निम्नलिखित हैं:-

सीटें और उनका गणित 

बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों पर चुनाव हुए.उनमें से 38 सीटें अनुसूचित जाति के लिए तथा 2 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिज़र्व थीं.वहीँ सामान्य वर्ग(जनरल कैटेगरी)के लिए 203 सीटें निर्धारित थीं.कोरोना को देखते हुए पोलिंग बूथ की संख्या इस बार बढ़ाकर 1,06,515 कर दी गई थी.चुनाव बेहतर तथा शांतिपूर्ण कराने के मक़सद से 5.31 लाख बूथकर्मी तथा 1.80 लाख सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे.
    
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बिहार में सीटों का गणित 

जाति फैक्टर 

बिहार में जाति एक बड़े फैक्टर के रूप में देखी जाती है.यही कारण है कि राजनीतिक दल टिकटों के बंटवारे से लेकर पद वितरण तक में जातिगत आधार पर निर्णय लेते हैं.2011 की जनगणना के अनुसार,यहाँ ऊँची जातियों का हिस्सा प्रदेश की कुल आबादी-10.04 करोड़ का केवल 15% है जिसमें ब्राह्मण 5%,भूमिहार 6%,राजपूत 3% तथा कायस्थ 1% हैं.
अन्य पिछड़ा वर्ग के 51% हिस्से में शामिल यादव 14%,कुर्मी 4%,कुशवाहा(कोइरी),ईबीसी(आर्थिक रूप से पिछड़ी जातियां) 26% तथा तेली 3.2% हैं.
दलित व महादलितों में चमार 3%,दुसाध 5% तथा मुसहर 2.8% हैं.वहीं आदिवासियों की आबादी 1.3% है.  मुसलमानों के कुल 16.9% हिस्से में शेरशाहबादी,सुरजापूरी तथा अंसारी आदि शामिल हैं.
      
बिहार का जाति[10][11][12][13][14][15][16][17][18]
जाति जनसंख्या (%) Notes
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी)/EBC 51% यादव -14%
कुर्मी -4%
कुशवाहा (Koeri) -8%
(EBCs – 26%[19][20][21][22][23] -includes,[24][25][26] तेली-3.2%))
महादलित*+ दलित(SCs) 16%[27][28] includes चमार- 3%, दुसाध- 5%,मुसहर- 2.8%[29]
मुसलमान 16.9%[30] includes Shershahbadi, सुरजापुरी , अंसारी जाति[31][32]
ऊंची जाति 15% [33] भूमिहार-6%
ब्राह्मण-5%[34]
राजपूत-3%
कायस्थ-1%
आदिवासी(STs) 1.3% [35][36]
अन्य 0.4% includes Christians,Sikhs,Jains
 
मगर वास्तव में,जाति कार्ड का प्रभाव कम होता दिख रहा है.लोग बदलाव की ओर अग्रसर हैं तथा विकास को तरज़ीह देने लगे हैं.यही कारण है कि राजद का एम-वाई(मुस्लिम-यादव) फ़ार्मूला सिरे नहीं चढ़ पाया जबकि मोदी का एम-वाई(महिला-युवा) फ़ार्मूला काम कर गया.
  
एग्जिट पोल के नतीज़े फ़िर ग़लत 
15 साल सरकार में रहने और कोरोना काल में व्यवस्था की नाक़ामी के बावज़ूद राजग को वैसा नुकसान नहीं उठाना पड़ा जैसा तमाम एग्जिट पोल में दिखाया गया था.जदयू और नीतिश के खिलाफ़ रोष के बावज़ूद राजग विरोधी वोट बांटने की रणनीति में क़ामयाब रहा.

सीटों व मत प्रतिशत में उतार चढ़ाव 

2019 लोकसभा चुनाव के मुक़ाबले भाजपा का मत प्रतिशत क़रीब 5 फीसदी कम हुआ है.उसे आम चुनाव में जहाँ 24.02 फीसदी वोट मिले थे वहीं इसबार 19.46% वोट ही हासिल हुए हैं.2015 के विधानसभा चुनाव के मुक़ाबले भी उसे 5.12% कम मत मिले हैं लेकिन सीटें बढ़ी हैं.भाजपा के सहयोगी दल जदयू को भारी नुकसान झेलना पड़ा और वह 71 सीटों से नीचे गिरकर 43 सीटों पर पहुँच गई.       
दूसरी ओर,राजद बढ़ने की बजाय घट गया.वह 5 सीटें गंवाकर 80 सीटों से 75 सीटों पर पहुँच गया.देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पार्टी का बुरा हाल हुआ.संभावनाओं के अनुरूप ही वह 27 से घटकर 19 सीटों पर सिमट गई.बड़ा फ़ायदा वाम दलों को हुआ.वे 3 सीटों से बढ़कर 16 सीटों पर पहुँच गए.ये ख़तरे का संकेत है.इनसे नक्सलवाद और आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा. 

ओवैसी ने बिगाड़ा महागठबंधन का खेल 

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने सीमांचल में महागठबंधन का नुक़सान किया.उसने बसपा और रालोसपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा.स्वयं 5 सीटें क़ब्ज़ा ली.बसपा का खाता खुला जबकि बाक़ियों को नुक़सान उठाना पड़ा.मगर इसमें बड़ी बात ये हुई कि मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो गया और राजद तथा कांग्रेस को नुक़सान झेलना पड़ा.

महिलाओं का ज्यादा मतदान निर्णायक 

बिहार में इस बार 60 फीसदी महिलाओं ने मतदान किया.11 विधानसभा सीटें ऐसी थीं जहाँ महिलाओं का मतदान 70 फीसदी से ज्यादा हुआ.शराबबंदी और मोदी सरकार की योजनाओं से राजग को फायदा मिला.
 
फ़िर से नीतिश,जनादेश नहीं संदेश,करो या मरो
महिलाओं से खचाखच मतदान केंद्र 

 

मोदी पर भरोसा,जंगल राज का डर 

बिहार में मोदी लहर क़ायम है,ये राजग की वापसी ने सिद्ध कर दिया है.दूसरी ओर,युवा तेजस्वी में अनुभव की कमी है.साथ ही,उनके माता-पिता लालू-राबड़ी के जंगलराज की यादें लोगों के ज़ेहन में बरक़रार है.हालांकि पोस्टरों से लालू-राबड़ी के फ़ोटो हटाकर उन्होंने एक अलग तस्वीर पेश करने की कोशिश ज़रूर की फ़िर भी जनता को यक़ीन दिलाने में वे नाक़ाम रहे.
 
फ़िर से नीतिश,जनादेश नहीं संदेश,करो या मरो
मोदी के जलवे के दम पर नीतिश 

 

कांग्रेस को लेकर नकारात्मक भाव

गठबंधन में कांग्रेस के साथ आने से लोगों में नकारात्मक भाव पैदा हुए.उल्लेखनीय है कि देशभर में कांग्रेस और खासतौर से राहुल गाँधी के प्रति नकारात्मक भाव हैं.उनकी छवि देशविरोधी बन गई है.वे जिसके साथ भी खड़े हुए उसका बेड़ा गर्क़ हुआ.कहते हैं ‘एक तो करेला,दूजा नीम चढ़ा’,के मुहावरे को चरितार्थ करते हुए दरभंगा में जिन्ना समर्थक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र को टिकट देकर पार्टी शुरुआत में ही विवादों में फंस गई.तेजस्वी मौक़ा रहते इसे समझ नहीं पाए,परिणामों के बाद यह क़बूला.
  

फ़िर से नीतिश,जनादेश नहीं संदेश,करो या मरो
राजद ने कांग्रेस को ठहराया हार का ज़िम्मेदार

निष्कर्ष 

ये चुनाव परिणाम दरअसल,जनादेश नहीं एक सन्देश है सत्तापक्ष और विपक्ष के लिए भी.सत्तापक्ष से जनता ने ये कह दिया है कि वे डराना बंद कर,अपने वज़ूद की फ़िक्र करें.सड़कें,बिजली-पानी,गैस सिलिंडर और शौचालय के आगे भी बहुत कुछ है ज़िन्दगी के लिए.अशिक्षा,ग़रीबी,कुपोषण और रोज़ी-रोटी के अवसर पर जल्द ठोस क़दम  उठाए जाएं.साथ ही,उसके परिणाम भी धरातल पर नज़र आएं,ऐसी व्यवस्था हो.ये फ़रमान है कोई गुज़ारिश नहीं.इसलिए,अब सिर्फ़ मन की बात नहीं तन की भी बात करें.     
विपक्ष से जनता जनार्दन ने फ़रमाया है कि वे थोड़ा और पढ़ें लिखें और अनुभव हासिल करें.माना कि वे संस्कारी नहीं लेकिन,ख़ुद को बदल सकते हैं,अंगुलिमाल की तरह.बाल्मीकि बनकर आएं,स्वागत होगा.  
और चलते चलते अर्ज़ है ये शेर…
 
धूप में निकलो गर्मी में नहाकर देखो,
ज़िंदगी क्या है किताबें हटाकर देखो
साथ ही…
 
  ज्यादा ख़्वाहिशें नहीं है ज़िंदगी तुझसे,

थोड़ा अगला लम्हा पिछले से बेहतरीन हो

 
        
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