बिजनिस
KYC क्या है? इसकी आवश्यकता और प्रक्रिया के बारे में जानिए
– KYC – Know Your Customer का मक़सद ये सुनिश्चित करना होता है कि कोई ग्राहक वास्तव में वही है, जो वह दावा करता है– केवाईसी अपडेट के बिना हम वित्तीय लेनदेन संबंधी कोई भी खाता नहीं खोल सकते/संचालित नहीं कर सकते– क्लाइंट ऑनबोर्डिंग प्रक्रियाएं मनी लौन्ड्रिंग,आतंकवाद में फंडिंग और अन्य भ्रष्टाचार को पहचानने और उन्हें रोकने में मदद करती हैं
KYC बैंक और वित्तीय संस्थानों द्वारा अपने ग्राहकों के बारे में जानकारी प्राप्त करने की एक प्रक्रिया है, जिसमें वे यह सुनिश्चित करते हैं कि उनका इस्तेमाल मनी लौन्ड्रिंग (काले धन को वैध बनाने) की गतिविधियों के लिए नहीं किया जा रहा है.यही वो आधार है, जिस पर वित्तीय संस्थानों और ग्राहकों का संबंध निर्भर करता है.
केवाईसी (प्रतीकात्मक) |
क्या है ये KYC?
भारतीय रिज़र्व बैंक की गाइडलाइन के अनुसार,भारत में काम करने वाले तमाम सरकारी व ग़ैर-सरकारी बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को धन के लेन-देन में अपने संस्थान से जुड़े/जुड़ने वाले ग्राहकों की पूरी जानकारी रखना ज़रूरी है.इसके लिए बाक़ायदा एक प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसे संक्षेप में केवाईसी (KYC) कहते हैं.
KYC का फुल फॉर्म होता है Know Your Customer (नो योर कस्टमर) यानि अपने ग्राहक को जानें.यह केवाईसी या फ़िर कहें कि केवाईसी पड़ताल (जांच) निवेश/खाता खोलते समय और फ़िर समय-समय (6 माह में या सालाना) पर ग्राहक की पहचान को पहचानने और सत्यापित करने की एक अनिवार्य प्रक्रिया है.दूसरे शब्दों में. बैंकों को यह सुनिश्चित करना होता है कि उनके ग्राहक वास्तव में वही हैं, जो वे दावा करते हैं.
यदि ग्राहक न्यूनतम केवाईसी आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहता है तो बैंक खाता खोलने से इनक़ार कर सकते हैं या फ़िर वे ग्राहक से अपने व्यावसायिक रिश्ते रोक/तोड़ सकते हैं.
धन के प्रवाह-मार्ग में मुख्य भूमिका निभाने वाले वित्तीय संस्थान इस बात का ख़ास ख़याल रखते हैं कि धन का इस्तेमाल किसी भी प्रकार से किसी भ्रष्टाचार अथवा मनी लौन्ड्रिंग के लिए न हो पाए.
इसके तहत बैंकिंग संस्थान अपने ग्राहकों की पूरी जानकारी जैसे उनकी पहचान (आइडेंटिटी), पते (एड्रेस) जन्म तिथि (डेट ऑफ़ बर्थ) आदि की जानकारी इकट्ठी कर उनके द्वारा प्रमाण के तौर पर उपलब्ध कराए गए संबंधित दस्तावेज़ों के साथ मिलान व वेरिफिकेशन (प्रमाणीकरण) करते हैं.
यही केवाईसी (प्रक्रिया) अगर इलेक्ट्रोनिक तरीक़े से होता है तो इसे ई-केवाईसी (e-KYC) कहा जाता है.
यहां एक CKYC (सी-केवाईसी) की भी अवधारणा है.इसके तहत देश की सरकार की ये कोशिश है कि देशभर के तमाम वित्तीय क्षेत्रों की केवाईसी यानि नो योर कस्टमर (अपने ग्राहक को जानें) को सिंगल विंडो (एक स्थान पर) में लाया जा सके.CKYC का प्रबंधन CERSAI द्वारा किया जा रहा है.
सी-केवाईसी (प्रतीकात्मक) |
म्युचुअल फंड के सभी ग्राहकों को अब सी-केवाईसी नियमों के हिसाब से केवाईसी संबंधी ज़रूरतें पूरी करनी हैं.इस समय सी-केवाईसी सिर्फ़ निवासी और प्रवासी भारतीयों पर ही लागू है.जो निवेशक पहले केवाईसी की प्रक्रिया पूरी कर चुके हैं उन्हें सी-केवाईसी में कोई अतिरिक्त ज़रूरत पूरा करने की आवश्यकता नहीं है.
KYC की आवश्यकता क्या है?
केवाईसी बैंक और ग्राहक के बीच रिश्ते को मज़बूत करता है.इसके बिना न तो निवेश मुमक़िन है और न खाता ही खोलना आसान है.दरअसल,बैंक में खाता खुलवाने,म्युचुअल फंड में निवेश करने.बैंक लॉकर लेते समय या फ़िर पुरानी कंपनी की पीएफ निकालते वक़्त केवाईसी के बारे में जानकारी ली जाती है.केवाईसी के ज़रिए ये सुनिश्चित किया जाता है कि बैंकिंग सेवाओं का कहीं दुरूपयोग तो नहीं हो रहा है.
आजकल तो मोबाइल सिम खरीदते वक़्त भी पहचान के लिए आधार कार्ड वेरीफाई किया जाता है.इस प्रक्रिया को भी केवाईसी कहते हैं.इससे दुरूपयोग की संभावना कम हो जाती है तो सुरक्षा भी बनी रहती है.
क्लाइंट-ऑनबोर्डिंग प्रक्रियाएं (नए ग्राहकों या कर्मियों को ऑनबोर्ड यानि व्यवसाय में लाना) मनी लौन्ड्रिंग,आतंकवाद में फंडिंग और अन्य भ्रष्टाचार को पहचानने और उन्हें रोकने में मदद करती हैं.
केवाईसी प्रक्रिया में आईडी कार्ड सत्यापन,फ़ोटो सत्यापन और उपयोगिता बिल जैसे बिजली,पानी,टेलीकॉम कंपनी के पोस्टपेड कनेक्शन आदि के (पते प्रमाण के रूप में) दस्तावेज़ का सत्यापन और बायोमेट्रिक सत्यापन शामिल हैं. दरअसल,फ्रॉड रोकने के लिए बैंकों को केवाईसी नियमों और एंटी-मनी लौन्ड्रिंग नियमों का पालन करना चाहिए क्योंकि यह ज़िम्मेदारी उन्हीं की होती है.इसके अनुपालन में विफल होने पर उन पर भारी ज़ुर्माना लगाया जा सकता है.
अमरीका,यूरोप,मध्य पूर्व और एशिया प्रशांत क्षेत्र में,पिछले 10 वर्षों में एंटी-मनी लौन्ड्रिंग (एएमएल), केवाईसी और अन्य प्रतिबंध-ज़ुर्माने के अनुपालन में विफलता को लेकर उन पर क़रीब 26 बिलियन डॉलर का ज़ुर्माना लगाया गया है.
संयुक्त राष्ट्र के एक आंकड़े के अनुसार, वैश्विक स्तर पर अपराधी सालाना क़रीब 1.6 से 4 ट्रिलियन डॉलर के बीच की क़ीमत की यानि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (ग्लोबल जीडीपी) के 2 से 5% के बीच की क़ीमत की मनी लौन्ड्रिंग कर रहे हैं.केवाईसी या सीडीडी केवाईसी (CDD KYC) यानि कस्टमर ड्यू डिलिजेंस (ग्राहक के लिए उचित परिश्रम) केवाईसी के कड़ाई से अनुपालन पर ज़ोर दिया जा रहा है, ताकि इस पर लगाम लगाई जा सके.
KYC कब आवश्यक है?
बैंक खाते खोलने,सावधि जमा (फिक्स्ड डिपाजिट-एफडी),आवर्ती जमा (रेकरिंग डिपाजिट-आरडी),म्युचुअल फंड खाते खोलने और ऑनलाइन निवेश जैसे मौक़ों पर केवाईसी आवश्यक है.
केवाईसी उन लोगों के लिए भी आवश्यक है जो एक डीमैट (शेयर से जुड़ा) और स्टॉक ट्रेडिंग खाता खोलना चाहते हैं,जीवन बीमा खरीदना चाहते हैं,धन के डिज़िटल हस्तांतरण के लिए मोबाइल वॉलेट संचालित करना चाहते हैं और किसी पंजीकृत संस्था/निकाय के साथ कोई अन्य वित्तीय लेनदेन करना चाहते हैं.
केवाईसी अपडेट के बिना, हम भारत में वित्तीय लेनदेन संबंधी कोई भी खाता नहीं खोल सकते/संचालित नहीं कर सकते.
KYC के प्रकार
KYC दो प्रकार के होते हैं.
1. आधार-आधारित केवाईसी (ई-केवाईसी)
आधार-आधारित केवाईसी ऑनलाइन होती है इसलिए इसे आधार ई-केवाईसी भी कहते हैं.इसमें ग्राहक को अपनी आधार जानकारी ऑनलाइन देकर या आधार वर्चुअल आईडी द्वारा केवाईसी करने की अनुमति होती है.
इस प्रक्रिया के तहत कोई ग्राहक सालाना (हर वित्त वर्ष) सिर्फ़ 50 हज़ार की रक़म निवेश कर सकता है.
2. इन-पर्सन-वेरिफिकेशन (IPV-आईपीवी) केवाईसी
इन-पर्सन-वेरिफिकेशन (आईपीवी) केवाईसी दरअसल एक ऑफलाइन प्रक्रिया होती है इसलिए इसे ऑफलाइन केवाईसी भी कह सकते हैं.
इसमें ग्राहक को वेरिफिकेशन के लिए इन-पर्सन यानि व्यक्तिगत (फ़ीज़िकली यानि सशरीर) रूप में फंड हाउस ऑफिस या केआरए (केवाईसी रजिस्ट्रेशन एजेंसी) कियोस्क पर जाना होता है.
इस प्रक्रिया के तहत कोई ग्राहक सालाना 50 हज़ार से अधिक राशि (मनचाही) निवेश कर सकता है.
कुछ म्युचुअल फंड हाउस ग्राहकों को वीडियो कॉल द्वारा आईपीवी केवाईसी करवाते हैं जहां प्रक्रिया के दौरान वांछित कागज़ात के साथ अपनी मूल पहचान और पते का प्रमाण दिखाना होता है.
कैसे होता है KYC?
भारत में केवाईसी करने के तीन तरीक़े हैं.
1. ऑनलाइन 2. आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण 3. ऑफलाइन
KYC ऑनलाइन
केवाईसी ऑनलाइन करने के भी दो तरीक़े हैं.पहला आधार ओटीपी और दूसरा आधार-आधारित बायोमेट्रिक केवाईसी.आधार ओटीपी के ज़रिए केवाईसी बड़ी आसानी से और चंद मिनटों में पूरा हो जाता है.इसके विपरीत आधार-आधारित बायोमेट्रिक केवाईसी के लिए ग्राहक को पहले ऑनलाइन फॉर्म भरना होता है.फ़िर,बाक़ी प्रक्रिया पूरी करने के लिए उसे केआरए कियोस्क या संबंधित कार्यालय में बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के लिए जाना पड़ता है.
बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन का मत्लब व्यक्ति के शारीरिक लक्षणों की पहचान से है.इसमें बायोमेट्रिक डिवाइस से ग्राहक के शारीरिक अंगों जैसे अंगूठे और उंगलियों के निशान,आवाज़,आँखों की रेटिना,नसों आदि के छाप (इम्प्रैशन) लिए जाते हैं और फ़िर उनका मिलान आधार डाटाबेस में दर्ज़ बायोमेट्रिक रिकॉर्ड के साथ किया जाता है.
आधार ओटीपी केवाईसी
1. किसी भी केआरए (केवाईसी रजिस्ट्रेशन एजेंसी) या फंड हाउस की वेबसाइट पर जाएं
2. अपने आधार कार्ड की जानकारी दर्ज़ करें
3. अपने रजिस्टर्ड मोबाइल पर भेजे गए ओटीपी दर्ज़ करने के लिए C का प्रयोग कर वेरीफाई करें
4. अपना एप्लीकेशन सबमिट करें
5. अब केआरए आपके डिटेल को यूआईडीएआई (UIDAI) के साथ वेरीफाई कर केवाईसी को मंज़ूरी दे देगा.
इस बीच आप केआरए पोर्टल पर अपने पैन का इस्तेमाल कर अपने केवाईसी एप्लीकेशन की स्थिति जान सकते हैं.
आधार-आधारित बायोमेट्रिक केवाईसी ऑनलाइन
अपने आधार बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के उपयोग से ऑनलाइन केवाईसी ऐसे करें-
1. किसी भी केआरए या फंड हाउस के पोर्टल पर जाएं
2. मांगी गई सूचनाओं को दर्ज़ करें (जैसे ऊपर किया गया है)
3. बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के लिए ऑनलाइन एप्लीकेशन भरें
4. अब फंड हाउस का एक एग्जीक्यूटिव फॉर्म में लिखे पते पर पहुंचेगा
5. उसे अपने मूल दस्तावेज़ दिखाएं और बॉयोमीट्रिक्स प्रदान करें
इसप्रकार एप्लीकेशन प्रोसेस (आवेदन प्रक्रिया) के साथ ही केवाईसी भी पूरा हो जाएगा.
KYC ऑफलाइन
केवाईसी हम ऑफलाइन भी कर सकते हैं.लेकिन, इसमें केआरए द्वारा केवाईसी के अप्रूवल (मंजूरी) में सात दिनों का वक़्त लग सकता है.केवाईसी ऑफलाइन की प्रक्रिया निम्नलिखित है-
1. अपने किसी भी पसंदीदा केआरए या फंड हाउस की वेबसाइट से केवाईसी फॉर्म डाउनलोड कर भरें
2. अपने आधार और पैन कार्ड की जानकारी दर्ज़ करें
3. इस तरह एप्लीकेशन फॉर्म के साथ फ़ोटो पहचान पत्र और एड्रेस प्रूफ की प्रतियां साथ में संलग्न कर केआरए या फंड हाउस के कार्यालय पहुंचें और उन्हें जमा करा दें.
यहां आपको एक रिक्वेस्ट/एप्लीकेशन नंबर मिलेगा जिसका इस्तेमाल कर केवाईसी की स्थिति जान सकते हैं.
केवाईसी के लिए ज़रूरी दस्तावेज़
भारत सरकार द्वारा ज़ारी दिशानिर्देशों के अनुसार, 6 तरह के प्रमाण-पत्र आधिकारिक रूप में वैध दस्तावेज़ माने जाते हैं जिन्हें पहचान के सत्यापन के लिए पेश किया जा सकता है.
फ़ोटो पहचान के प्रमाण
1. आधार कार्ड/पासपोर्ट/वोटर आईडी कार्ड/ड्राइविंग लाइसेंस
2. पासपोर्ट साइज़ का एक ताज़ा (हाल का खींचा गया) रंगीन फ़ोटो एवं पैन कार्ड
रिहाइशी/पते की पहचान के प्रमाण
1. पासपोर्ट/वोटर आईडी कार्ड/फ़ोटो लगा राशन कार्ड/ड्राइविंग लाइसेंस/रजिस्टर्ड लीज़/मकान का सेल एग्रीमेंट
2. उपयोगिता बिल जैसे बिजली/पानी/गैस/पोस्टपेड मोबाइल का बिल
3. बैंक अकाउंट स्टेटमेंट (तीन महीने पुरानी)
Multiple ads
सच के लिए सहयोग करें
कई समाचार पत्र-पत्रिकाएं जो पक्षपाती हैं और झूठ फैलाती हैं, साधन-संपन्न हैं. इन्हें देश-विदेश से ढेर सारा धन मिलता है. इनसे संघर्ष में हमारा साथ दें. यथासंभव सहयोग करें