– वास्तुशास्त्र के अनुसार, निर्जीव वस्तुओं में भी अपनी एक उर्जा होती है
– ताजमहल की तस्वीर या उसकी प्रतिमा एक क़ब्र को दर्शाती है, जिसे मुग़ल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेग़म मुमताज़ की याद में बनवाया था
– कबाड़ कर देता है ज़िन्दगी का कबाड़ा
– कांटेदार पौधे-वृक्ष जीवन के मार्ग में कांटे बो देते हैं
घर, दीवारों और छत को मिलाकर रहने के लिए बनी केवल एक जगह नहीं, बल्कि वह स्थान होता है जहां हमें एक ख़ास वातावरण मिलता है, जो हमारे जीवन में बहुत मायने रखता है.और यह वातावरण भी कई चीज़ों से प्रभावित होता है, जिन पर आमतौर पर हम ध्यान नहीं देते.मगर, वास्तुशास्त्र इस बात को लेकर आगाह करता है कि हमारे घर में रखी कुछ चीज़ें नकारात्मक उर्जा से भरी होती हैं, जो हमें कंगाल और बर्बाद कर सकती हैं.
वास्तु के हिसाब से नकारात्मक उर्जा से संबंधित चीज़ें व प्रतीक (प्रतीकात्मक) |
दरअसल, आधुनिकता की दौड़ में हम अपनी परंपराओं को भूल ऐसी जीवनशैली अपना रहे हैं कि जिसमें शुभ-अशुभ तो छोड़िए, सकारात्मकता और नकारात्मकता का भी ख़याल नहीं होता.इसके परिणामस्वरूप, परिवार में मनमुटाव और कलह-क्लेश शुरू हो जाता है और धीरे-धीरे हमारी सुख-शांति और समृद्धि में ह्रास होने लगता है.और फिर हमारे अच्छे दिन बुरे दिनों में बदल जाते हैं, यानि हम कंगाल और बर्बाद हो जाते हैं.
मगर, यदि समय रहते हम सचेत हो गए और उन चीज़ों की पहचान कर ली, जिनसे घर में नकारात्मक उर्जा का विकास होता है, तो बचाव संभव है.
वास्तुशास्त्र बताता है कि कुछ ऐसी चीज़ें हैं, जिन्हें अपने घर में नहीं रखनी चाहिए.इन्हें तुरंत घर से बाहर निकाल देना चाहिए.
कुछ ख़ास तरह की तस्वीरें और प्रतिमाएं
कलाकृति के नाम पर घर के बेड रूम और ड्राइंग रूम में या ऐसी किसी जगह पर जहां आपकी नज़रें पहुंचती हैं, वहां ऐसी कोई फ़ोटो या प्रतिमा न लगाएं, जो उदासी, मौत, निर्जनता, अभाव और कठिनाई को दर्शाती हैं.दरअसल, ये सभी नकारात्मक उर्जा देती हैं, जो आपके-हमारे जीवन को भी नकारात्मकता से भर देती हैं.नकारात्मकता मुसीबतें बढ़ाती हैं.
ताजमहल की तस्वीर या उसकी प्रतिमा एक क़ब्र को दर्शाती है, जिसे मुग़ल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेग़म मुमताज़ की याद में बनवाया था.इसमें जीवन नहीं, मौत है, जो सकारात्मकता के भाव नहीं रखती.इसी प्रकार, पीर-मज़ार या दरगाहों के फ़ोटो घर से दूर ही रखना चाहिए.
महाभारत का चित्र युद्ध को इंगित करता है.अगर कोई सैनिक है और युद्ध के मोर्चे पर है, तो उसके लिए तो यह प्रेरणादायक हो सकता है मगर, घर में इसका कोई औचित्य नहीं दिखता क्योंकि यह एक ऐसी जगह है जहां हमेशा मेलजोल और शांति बनाए रखने की आवश्यकता होती है.
नटराज की प्रतिमा या तस्वीर में भगवान शिव के तांडव नृत्य मुद्रा को दिखाया गया है, जो विनाश का प्रतीक है.यह मठ-मंदिरों के लिए है.इसे घर में रखना उचित नहीं है.
माना जाता है कि डूबते जहाज की तस्वीर क़िस्मत को डूबो देती है, और फ़व्वारा या झरना हमारा पैसा बहा ले जाता है.
इसी प्रकार, वन्य-जीव, यानि जंगली जानवर या हिंसक पशुओं के चित्र हमारे अंदर हिंसक प्रवृत्ति लाते हैं.
कांटेदार पौधे-वृक्ष जीवन के मार्ग में कांटे बो देते हैं.
फटे-पुराने कपडे, टूटे-फूटे बर्तन और बेकार पड़े सामान
कहते हैं कि कबाड़ ज़िन्दगी का कबाड़ा कर देता है.इनकी नकारात्मक उर्जा घर के क़ाबिल सदस्य को भी प्रभावित कर उसे कमज़ोर कर देती है, जिससे काम-धंधे का नुकसान तो होता ही है, हर तरफ़ असफलता ही हाथ लगती है.
अक्सर लोग फटे-पुराने कपड़े यह सोचकर घर के किसी कोने में रख देते हैं कि उसे बेच देंगें या फिर किसी ज़रूरतमंद को दे देंगें.मगर, उनका निबटारा होने के बजाय लंबे वक़्त तक वे वैसे ही घर में पड़े रहते है.
इसी तरह टूटे-फूटे बर्तन, बिजली और इलेक्ट्रोनिक्स के के ख़राब पड़े सामान लोग अपनी चारदीवारी के भीतर किसी कोने में रख देते हैं या अपनी छत पर इकठ्ठा करके रखते हैं, जिससे वहां गंदगी जमा तो होती ही है, वास्तु-दोष उत्पन्न होता है और घर में लक्ष्मी का आगमन भी रुक जाता है.
टूटा आइना, खिड़की-दरवाज़ों के टूटे हुए कांच, टूटी हुई अलमारी और तिजोरी
वास्तुशास्त्र के अनुसार, कांच का टूटना उतना नुकसानदेह नहीं होता जितना कि कांच के टूटे हुए सामान को घर में रखना हानिकारक होता है.
मगर, कई लोग खिड़की-दरवाज़ों में लगे कांच टूट जाने के बाद उसे जल्दी बदलवाते नहीं है.इसी तरह वे टूटे हुए आइने से ही काम चलाते हैं.इससे वास्तु-दोष उत्पन्न होता है और धन की हानि होती है.
जानकार बताते हैं कि अलमारी न तो टूटी होनी चाहिए और न ही वह खुली छोड़ी जानी चाहिए.और फिर तिजोरी तो सबसे अहम चीज़ होती है.उसमें ही पैसे और जेवरात के साथ ज़मीन-जायदाद के कागज़ात आदि भी रखे जाते हैं.इसलिए यह भी टूटी-बिगड़ी हालत में नहीं होनी चाहिए.इसकी या तो तुरंत मरम्मत होनी चाहिए या फिर इसे बदल देनी चाहिए.
ज्ञात हो कि लक्ष्मी का आगमन वहां होता है या वे वहीं वास करती हैं जहां उन्हें पूरा सम्मान मिलता है.इसलिए हमें साफ़-सफ़ाई के साथ-साथ उनके स्थान को दुरूस्त भी रखने की आवश्यकता होती है.तभी बरकत मिलती है.
देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां व फटे-पुराने चित्र
यदि घर में रखी भगवान की मूर्ति खंडित यानि क्षतिग्रस्त हो गई हो या उनके चित्र फटे-पुराने और गंदे हैं, तो उन्हें तुरंत हटा देना चाहिए.ऐसी मूर्तियों या फ़ोटो को विधिवत व सम्मानित तरीक़े से नष्ट कर देना चाहिए.
कुछ लोग इन्हें पीपल आदि के पेड़ के नीचे रख देते हैं, जो कि ग़लत है.ऐसे में, भगवान के प्रतीक लावारिस पड़े तो रहते ही है, इन पर पशु-पक्षी मल-मूत्र त्यागते हैं, और इनका अपमान होता है.
ध्यान रहे कि इन्हें नदी आदि में भी बहाने से बचना चाहिए क्योंकि वे भी देवी मानी गई हैं, और उन्हें गंदगी स्वीकार नहीं है.साथ ही, इससे हमारे जीवनदायी जलस्रोत दूषित होते हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है.
शास्त्र के जानकारों के मुताबिक़, खंडित मूर्ति अमंगलकारी होती है.इससे केवल हानि ही होती है.यह घर ही नहीं, मठ-मंदिरों में भी नहीं रखी जा सकती.इसका शीघ्र निपटान आवश्यक है.
कुछ लोग आजकल देवी-देवताओं की ऐसी मूर्ति या चित्र घर में रख लेते हैं, जो परंपरागत और प्रासंगिक नहीं हैं.जैसे चिलम पीते भगवान शिव या रौद्र रूप में भैरव आदि.हालांकि ऐसा अनजाने में होता है मगर, ग़लत तो आख़िर ग़लत ही होता है.हमें इससे बचना चाहिए.
कुछ लोग एक ही देवी-देवता की एक से अधिक या कई मूर्तियां (या फ़ोटो) एक ही स्थान पर या एक कमरे में रख-सजा लेते हैं तो कुछ लोग एक ही देवी-देवता की दो मूर्तियां आमने-सामने रख देते हैं, जो कि ग़लत है.इससे वास्तु-दोष निर्मित होता है और अनावश्यक ख़र्च के साथ धन की हानि होती है.
मकड़ी का जाला और कबूतर का घोंसला
जानकारों के अनुसार, मकड़ी का जाला अशुभ होता है.इससे परिवार, नौकरी या कारोबार में उलझनें पैदा होती हैं.यह मतिभ्रम या अन्य दिमाग़ी बीमारियों का कारक भी बन सकता है.इसलिए, यह जहां कहीं भी हो, तुरंत इसे हटा देना चाहिए.
मगर, कुछ लोग अज्ञानता के कारण ऐसा नहीं करते, और अपनी मुसीबतें बढ़ाते हैं.उन्हें लगता है कि जाला मकड़ी का घर होता है, जिसमें वह रहती है.जबकि सच यह है कि यह केवल और केवल एक फंदा होता है, जिसे शिकार या शिकारी को फंसाने के लिए वह बुनती है.
कबूतर के घोंसले को लेकर भी कुछ लोगों में भ्रम है.उनका मानना है कि कबूतर मां लक्ष्मी का भक्त है.अगर वह घर में घोंसला बनाता है, तो यह शुभ है और इससे सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है.
मगर, हक़ीक़त कुछ और ही है.शास्त्र के जानकारों के मुताबिक़, कबूतर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं.परिवार के सदस्य्यों की कार्यक्षमता पर असर होता है विकास ठहर जाता है.ऐसे में, जहां (बरामदे-बालकनी और छत पर) भी उन्होंने घोंसला बनाया है उसे तुरंत हटा देना चाहिए.
हालांकि कबूतरों को दाना डालने को अच्छा बताया गया है.इससे ग्रह-दोष (ख़ासतौर से बुध और गुरू से संबंधित दोष) दूर होता है.कहा गया है कि अगर वे घर के आंगन में या दरवाज़े के बाहर आकर दाना चुगते हैं, तो एक तरह से वे विघ्न-बाधाओं को चुग या हर लेते हैं.
पत्थर, नग या नगीना
कुछ लोग कई प्रकार के पत्थर, नग या अंगुठियां जमा कर लेते हैं.दरअसल, उन्हें पता ही नहीं होता कि इनमें से कौन-सा रत्न या धातु उन्हें फ़ायदा पहुंचा रहा है और कौन-सा नुकसान कर रहा है.इसलिए इन्हें तत्काल घर से बाहर कर देना चाहिए.
कांटेदार पौधे
लोग अपने घरों की खूबसूरती बढ़ाने के लिए गमलों या घर के गार्डन में तरह-तरह के पौधे लगाते हैं.इनमें वे कुछ कांटेदार पौधे भी होते हैं, जो अच्छे नहीं माने जाते.वास्तुशास्र के अनुसार, ये आर्थिक समस्याएं पैदा करते हैं.
ख़ासतौर से, ऐसे पौधे जिनसे दूध निकलता हो, उन्हें तुरंत (अपने घर या आंगन से) बाहर कर देना चाहिए.
कुछ अन्य महतवपूर्ण बातें
घर में अगर सीलन है या पानी रिसता-टपकता है, तो यह ठीक नहीं है.यहां लक्ष्मी निवास नहीं करतीं.तुरंत इसकी मरम्मत होनी चाहिए.
घर में नलों से अगर पानी टपक रहा है, तो यह अशुभ है क्योंकि पानी को धन का सूचक माना गया है.इसका यूं ही बर्बाद होना आर्थिक समस्याओं का कारण बन सकता है.
झाड़ू को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है.इसकी उपयोगिता के बारे में सबको पता होता है.मगर, इसको लेकर भी कुछ नियम हैं.माना जाता है कि यदि इनका ठीक तरह से पालन न हो, तो मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं, और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर में शाम के समय झाड़ू नहीं लगाना चाहिए.साथ ही, इसे हमेशा अंदर से बाहर की ओर लगाना चाहिए.
झाड़ू कभी खड़ी करके नहीं रखनी चाहिए.इसे ऐसी जगह पर रखनी चाहिए जहां यह किसी को नज़र न आए.
कचरे के डिब्बे यानि डस्टबिन को घर के बाहर रखें तो अच्छा होगा क्योंकि इसमें रखी चीज़ों के कारण दूसरी चीज़ें दूषित नहीं होंगीं.साथ ही, इन पर दृष्टि पड़ने पर जो नकारात्मक प्रभाव हम पर पड़ता है, उससे बचाव भी हो सकेगा.
और अंत में, उस पौधे की भी बात कर लेते हैं, जो घर में व्याप्त कई प्रकार की अशुद्धियों को दूर करता है.इसका नाम है तुलसी, जिसे सनातन हिन्दू धर्म में मां का दर्ज़ा हासिल है.तुलसी का पौधा दरअसल, स्वास्थ्य के लिए तो अच्छा होता ही है, हमें नकारात्मक उर्जा से भी बचाता है.
वास्तु शास्त्र के अनुसार, आर्थिक संकट में फंसे लोगों को तुलसी का पौधा ज़रूर लगाना चाहिए.इसकी नियमित रूप से पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.