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स्तनों के सामान्य विकास और परिवर्तन के बारे में जानिए

सामान्य स्तन विकास, स्तनों में परिवर्तन, महिलाओं के स्तन

हर लड़की के स्तनों के बढ़ने की दर अलग होती है

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स्तन विकास एक महिला के प्रजनन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.यह उसके जीवन के दौरान कुछ चरणों में, जन्म से पहले, फिर यौवन के समय और बाद में बच्चा पैदा करने के वर्षों के दौरान देखा जाता है.मासिक धर्म चक्र के दौरान और रजोनिवृत्ति तक स्तनों में परिवर्तन होते रहते हैं.स्तन विकास से जुड़ी सबसे आम समस्याओं में स्तनों का बहुत बड़ा या छोटा होना, या उनका आकार और आकृति ऐसी होना शमिल है, जिसे सामान्य नहीं माना जाता है.

महिला स्तनों के मुख्य भाग (प्रतीकात्मक)

स्तनों का निर्माण तभी शुरू हो जाता है जब गर्भाशय में भ्रूण बढ़ रहा होता है.यह छाती के क्षेत्र में एक मोटाई से शुरू होता है, जिसे ब्रेस्ट रिज या दूध रेखा कहा जाता है.बच्ची के जन्म के समय तक निपल या चुचुक और दूध नलिका प्रणाली की शुरुआत हो चुकी होती है.

यौवन की अवस्था में, लड़कियों में ब्रेस्ट बड्स या स्तन कलियां निकल आती हैं, और स्तन उत्तक विकसित होने लगते हैं.इससे स्तन ऊपर उठने या बढ़ने लगते हैं, और एरिओला या घेरा काला पड़ने लगता है.

मासिक धर्म चक्र के दौरान, स्तनों में परिवर्तन इनमें कोमलता और सूजन के रूप में सामने आता है.विशेषज्ञों के मुताबिक़ जब तक महिला गर्भवती नहीं जाती है, और स्तनों में दूध का उत्पादन शुरू नहीं होता है तब तक स्तनों का पूर्ण विकास नहीं होता है, या उनमें परिपक्वता नहीं आती है.मेनोपॉज या रजोनिवृत्ति के बाद, स्तन उत्तक सिकुड़ने लगते हैं और अपना वास्तविक आकार खो देते हैं.

यौवन काल में स्तन विकास और परिवर्तन

किशोरावस्था की ओर बढ़ रही लड़कियों में स्तन विकास के पहले स्पष्ट लक्षण दिखने लगते हैं.जब ओवरीज़ या अंडाशय एस्ट्रोजन हार्मोन बनाने और छोड़ने लगते हैं, तो संयोजी उत्तक में वसा इकट्ठी होने लगती है, और वाहिनी प्रणाली भी बढ़ने लगती है.इससे स्तनों के आकार बढ़ने लगते हैं.अक्सर ये परिवर्तन जघन क्षेत्र और बगल के बाल आने या उगने के समय होते हैं.

चढ़ती जवानी में स्तनों का उभार (प्रतीकात्मक चित्र)

ओव्यूलेशन या अण्डोत्सर्ग और मासिक धर्म चक्र शुरू होते ही दूध नलिकाओं के अंत में स्रावी ग्रंथियों के निर्माण के साथ स्तनों में परिपक्वता की शुरुआत हो जाती है.ग्रंथियों और ग्रंथि उत्तकों के विकास के साथ स्तन और नलिका प्रणाली का विकास और परिपक्वता होती रहती है.हर लड़की के स्तनों के बढ़ने की दर अलग होती है.

स्तनों का विकास क़रीब 4 वर्षों तक 5 चरणों में होता है-

पहला चरण: चुचुक का सिरा ऊपर उठा हुआ दिखाई देता है.

दूसरा चरण: ब्रेस्ट बड्स या स्तन कलियां (चुचुक और उसके घेरे के नीचे डिस्क के आकार की ग्रंथियां) निकलती हैं, तथा स्तन और चुचुक उभर आते हैं.एरिओला या घेरे (चुचुक के आसपास का गहरे रंग का या काला गोलाकार क्षेत्र) का आकार बढ़ जाता है.

तीसरा चरण: ग्रंथि वाले उत्तकों के स्तन बड़े होते जाते हैं.

चौथा चरण: स्तन का घेरा और चुचुक और ऊपर उठ जाते हैं, और बाक़ी हिस्सों के ऊपर एक दूसरा टीला बना लेते हैं.

पांचवां चरण: स्तन गोल हो जाते हैं, और केवल चुचुक ऊपर उठे हुए होते हैं.

मासिक धर्म चक्र के दौरान स्तनों में परिवर्तन

पीरियड या मासिक धर्म चक्र के दौरान हार्मोन में बदलाव के कारण दूध नलिकाओं में फैलाव और स्तन ग्रंथियों में वृद्धि के साथ संयोजी उत्तकों में वसा इकट्ठी हो जाती है.इससे स्तन बड़े हो जाते हैं.अगर गर्भावस्था नहीं होती है, तो स्तन अपने सामान्य आकार में वापस आ जाते हैं.

माहवारी के वक़्त स्तनों में परिवर्तन (प्रतीकात्मक चित्र)

विशेषज्ञों के मुताबिक़ मासिक धर्म चक्र के पहले आधे भाग में अंडाशय में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन बनता और स्रावित होता है.यह स्तनों में दूध नलिकाओं के विकास को बढ़ावा देता है.

मासिक चक्र के मध्य से ठीक पहले यह अपने चरम पर पहुंचकर (एस्ट्रोजन के बढे हुए स्तर) ओव्यूलेशन या अण्डोत्सर्ग (ओवरीज़ या अंडाशय से अंडाणु का निकलना) की ओर ले जाते हैं.

इसी प्रकार, प्रोजेस्टेरोन का स्तर भी मासिक धर्म चक्र के दूसरे आधे भाग में, या यूं कहिये कि क़रीब 21 वें दिन (28 दिन के चक्र में) तक अपने चरम पर होता है.यह ब्रेस्ट लोब्यूल या स्तन ग्रंथियों (दूध ग्रंथियों) के निर्माण को बढ़ा देता है, जिससे स्तन फूलकर या सूजकर बड़े हो जाते हैं.ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्तन में ग्रंथियां संभावित गर्भावस्था के लिए तैयार होने के लिए बढ़ रही होती हैं.यदि गर्भावस्था नहीं होती है, तो स्तनों का आकार फिर से सामान्य हो जाता है.हर महीने यही चक्र चलता रहता है.

गर्भावस्था और दूध उत्पादन के दौरान स्तनों में परिवर्तन

स्तनों के आकार में परिवर्तन या वृद्धि गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में से एक है.यह प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन के कारण होता है.हालांकि एस्ट्रोजन हार्मोन की भी इस पूरी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

ज्ञात हो कि यौवन अवस्था की तरह गर्भावस्था में भी एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन स्तनों में बदलाव के प्रमुख कारक होते हैं.एस्ट्रोजन दुग्ध नलिकाओं (मिल्क डक्ट्स) में, जबकि प्रोजेस्टेरोन स्तन कलियों (ब्रेस्ट बड्स) में वृद्धि करता है.

गर्भावस्था के दौरान स्तनों में परिवर्तन (सांकेतिक चित्र)

इसके अलावा, चुचुक और घेरे में सूजन और वृद्धि, दूध वाहिनी प्रणाली में तेजी या वृद्धि, और अधिक लोब्यूल या ग्रंथि उत्तकों के निर्माण के कारण स्तनों के आकार (ब्रेस्ट साइज़) बदलते हैं.

विशेषज्ञों के अनुसार गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में बाक़ी अंगों की तरह स्तन भी बदलते हैं, या उनमें वृद्धि होती है.इस अवधि में स्तन चूंकि बच्चे के लिए दूध बनाने और आपूर्ति करने के लिए तैयार हो रहे होते हैं इसलिए,उनमें निम्नलिखित बदलाव आते हैं-

1.दूध नलिकाएं फैल जाती हैं.

2.स्तन ग्रंथियां बढ़ जाती हैं.

3.स्तन क्षेत्र में वसा इकट्ठी हो जाती है, या यूं कहिये की वसा की मात्रा बढ़ जाती है.

4.स्तन में रक्त वाहिकाएं (ब्लड वेसल्स) अधिक दिखाई देने लगती हैं.

5.निपल या चुचुक बड़े हो जाते हैं.

6.एरिओला घेरा पहले से ज़्यादा बड़ा और गहरा हो जाता है.

ऐसे में, स्तन भी फूलकर या सूजकर बड़े हो जाते हैं.ऐसा कहा जाता है कि गर्भावस्था के दौरान स्तनों का एक या दो कप साइज़ बढ़ना सामान्य है.

अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भावस्था और स्तनपान के बाद ही स्तन परिपक्व (मैच्योर) होते हैं.

रजोनिवृत्ति के समय स्तनों में परिवर्तन

आमतौर पर 45-50 की उम्र में महिलाओं (भारतीय महिलाओं) में पेरिमेनोपॉज यानि, मेनोपॉज या रजोनिवृत्ति की अवस्था में जाने की शुरुआत हो जाती है, या यह चल रहा होता है.इस समय एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में बदलाव होने लगते हैं.एस्ट्रोजन का स्तर नाटकीय रूप से कम हो जाता है, जिससे रजोनिवृत्ति से जुड़े कई लक्षण दिखाई देते हैं.

विशेषज्ञों के अनुसार एस्ट्रोजन के अभाव में, स्तन के संयोजी उत्तक निर्जलित हो जाते हैं, और अपनी लोच (लचीलापन) खो देते हैं.इससे स्तन उत्तक सिकुड़ने लगते हैं, और अपना वास्तविक आकार खो देते हैं.यूं कहिए कि स्तन ढीले होकर लटक जाते हैं.

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