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इतिहास

‘गुंडा’ शब्द का अर्थ क्या है, और यह कहां से आया? जानिए इसके प्रचलन की शुरुआत, जिसने गुंडा एक्ट को जन्म दिया

भाषा कुछ शब्द स्वयं बनाती है, तो कुछ शब्द अन्य भाषाओं से ग्रहण करती है.हिंदी में भी ऐसा ही है.1910 से पहले इसमें लुच्चा या बदमाश के अर्थ में गुंडा शब्द का प्रचलन नहीं था.सूरदास, तुलसी, जायसी, बिहारी, मतिराम, चिंतामणि और आधुनिक काल में भारतेंदु ने भी गुंडा शब्द का प्रयोग नहीं किया.यहां तक कि 1930 के दशक में लिखी गई जयशंकर प्रसाद की कहानी ‘गुंडा’ में भी खलनायक का भाव नहीं है.

गुंडा (प्रतीकात्मक)

भाषा का इतिहास खंगालें तो पता चलता है कि 20 वीं सदी से पहले दुनिया में किसी ने भी लफंगा या बदमाश के मायने में गुंडा शब्द का प्रयोग नहीं किया.पहली बार 1920 में ब्रिटिश अख़बार में गुंडाह (Goondah) यानि, गुंडा शब्द छपा.अंग्रेजी साहित्य में भी इसका प्रचलन इसके बाद ही मिलता है.

1930 में एक कॉमिक स्ट्रिप्स (कॉमिक बुक्स) कैरेक्टर आया- ‘एलिस द गून’.अंग्रेजी के ‘रास्कल’ और ‘गून’ शब्द भी गुंडा के अर्थ में ही प्रयोग होते हैं.

हिंदी में भी ऐसा ही है.1910 से पहले इसमें लुच्चा या बदमाश के अर्थ में गुंडा शब्द का प्रचलन नहीं था.सूरदास, तुलसी, जायसी, बिहारी, मतिराम, चिंतामणि और आधुनिक काल में भारतेंदु ने भी गुंडा शब्द का प्रयोग नहीं किया.यहां तक कि 1930 के दशक में लिखी गई जयशंकर प्रसाद की कहानी ‘गुंडा’ में भी खलनायक का भाव नहीं है.

गुंडा आख़िर है क्या?

अंग्रेजी से हिंदी में आए गुंडा शब्द का अर्थ बताया जाता है- उद्दंड, बेवज़ह लड़ने-झगड़ने या मारपीट करने वाला व्यक्ति, ख़राब चाल-चलन वाला, लंपट, धूर्त, लोफर, बदमाश, दबंग, बाहुबली आदि.मगर, कुछ अन्य भारतीय भाषाओं से इसका पुराना संबंध झलकता है, और कई मिलते-जुलते शब्द भी मिलते हैं हालांकि इसके भाव विपरीत हैं.

कुछ जानकारों के अनुसार, यह द्रविड़ भाषा से संबंधित प्रतीत होता है.यहां यह उभार, गोलाई या नायकत्व के भाव को दर्शाता है.

दक्षिण भारत में देखें तो इससे मिलते-जुलते शब्दों का प्रयोग आम है.तमिल में गुंडराव, गुंडराज और तेलुगु में गुंडूराव आदि शब्द एक शक्तिशाली व्यक्ति या नायक के परिचायक हैं.

मराठी में भी गांवगुंड शब्द ग्राम नायक या प्रधान के अर्थ में प्रयुक्त होता है.

कुछ लोग ‘गुंडा’ को पश्तो (अफगानी भाषा) भाषा का शब्द बताते हैं.मगर, यह भी सही नहीं लगता है.

वास्तव में, गुंडा यदि पश्तो भाषा का शब्द होता, तो सौदा, मीर, मोमिन, ग़ालिब, दाग़ आदि कोई भी उर्दू शायर अपनी रचनाओं में इसका प्रयोग ज़रूर करता.इसका कारण यह है कि उर्दू पर पश्तो का अच्छा प्रभाव है.इसके कई सारे शब्द उर्दू में शामिल हैं.

अंग्रेजों की फ़ाइल से आया गुंडा शब्द

भारत में ‘गुंडा’ शब्द दरअसल, अंग्रेजों व अंग्रेजी भाषा की देन है.हिंदी में यह अंग्रेजों की उस फ़ाइल से आया है, जो 20 वीं सदी के पहले दशक में बस्तर के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बागा धुरवा उर्फ़ गुंडाधुर के लिए तैयार हुई थी.ये वही बागा धुरवा हैं, जिन्होंने अंग्रेजों से बस्तर (छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित) में सशस्त्र संघर्ष किया था.जल, जंगल और ज़मीन की इस लड़ाई को ‘भूमकाल आन्दोलन’ या ‘भूमकाल विद्रोह’ के नाम से जाना जाता है.इसका नेतृत्व बागा धुरवा उर्फ़ गुंडाधुर के हाथों में था.

इस फ़ाइल में अंग्रेजी शासन ने उस महान नायक बागा धुरवा को गुंडाह (Goondah) यानि, गुंडा तो बताया ही, उनका नाम भी बिगाड़कर गुंडाधुर कर दिया.

इस प्रकार, एक नया शब्द मिला गुंडा.गुंडा वही जो शासन के या सरकार के बनाए नियमों अथवा विधि के विरुद्ध कार्य करे.तब से यह शब्द राजीनीति में तो प्रचलित हुआ ही है समाज में भी आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को गुंडा और उनकी गतिविधियों को गुंडई कहते हैं.गुंडागर्दी, गुंडा टैक्स, गुंडाराज आदि आम बोलचाल के शब्द हैं.

गुंडा शब्द से प्रेरित है गुंडा एक्ट

गुंडा शब्द की बुनियाद पर ही कानून बना है- गुंडा एक्ट.इसके तहत आदतन अपराधियों की गतिविधियों पर नियंत्रण रखने के लिए प्रशासन कार्य करता है.ख़ासतौर से, चुनावों (Election) के वक़्त इसका उपयोग होता है.इसमें जिले का डीएम/एडीएम किसी को 6 महीनों के लिए जिला बदर (जिले से बाहर) कर सकता है.

यह कितनी अज़ीब बात है.अंग्रेजों ने गुंडा एक्ट बनाया सो तो ठीक है मगर, यह आज़ाद भारत में क्यों? मुस्लिम आक्रमणकारियों के नाम पर इमारतों, गांव-शहर, सड़क और रेलवे स्टेशनों की तरह अंग्रेजों के बनाए कानून हमें ग़ुलामी की याद दिलाते हैं, और चिढ़ाते हैं.

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रामाशंकर पांडेय

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