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राजनीति

नेहरू की राह पर चल रहे हैं ओली?

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नेपाल में बिगड़ रहे हालात और राजनितिक उथल-पुथल के केंद्र में वहां के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की छवि ख़राब हो चुकी है और वे एक जननायक की जगह ख़लनायक की भूमिका में नज़र आ रहे हैं. जनता में भारी रोष है. उनकी ख़ुद की पार्टी उनसे इस्तीफ़ा मांग रही है, लेकिन वास्तविकता समझने की बज़ाय वे अपने रुख़ पर क़ायम हैं, जैसे किसी और ही दुनिया में जी रहे हों; तथा पद पर बने रहने के लिए पार्टी के विभाजन के लिए भी तैयार हैं. पाकिस्तान की तर्ज़ पर नेपाल में भी वे तानाशाही स्थापित करने पर आमादा हैं, और वह भी सिर्फ़ एक ख़ूबसूरत महिला के कारण. जी हाँ, होउ यांकी-एक ख़ूबसूरत बला, जो नेपाल में तैनात चीन की राजदूत है. उसके ज़ाल में ओली इस क़दर फंस चुके हैं कि उन्हें ना ख़ुद का ख़याल है और ना देश का. यांकी के दीवाने ओली को देश की एकता और अखंडता पर भी समझौते करने से गुरेज़ नहीं है.        
मोहब्बत की आग, सुरक्षा से समझौता, ग़ुलामी की ओर
चीनी राजदूत होउ यांकी और उसके हुस्न के ज़ाल में फंसे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली 

 

 एडविना के जवाहर और यांकी के ओली 

केपी ओली की हालत देखकर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की याद ताज़ा हो जाती है. नेहरु 1947 के ज़माने में भारत के अंतिम वायसराय लार्ड लुुईस माउंटबैटेन की बीवी एडविना लूईस माउंटबैटेन के जाल फंसे थे और जो कुछ हुआ वही आज नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के कार्यकाल में नेपाल में भी होता हुआ दिख रहा है.

मोहब्बत की आग, सुरक्षा से समझौता, ग़ुलामी की ओर
निजी पलों में जवाहर लाल नेहरु और एडविना माउंटबैटेन एकसाथ


अब यह महज़ एक संयोग है या फ़िर रचा गया षड्यंत्र, एक बड़ा सवाल है. मगर ऐसा लगता है कि इतिहास पड़ोसी देश नेपाल में दुहरा रहा है, और भारत का अतीत आज वर्तमान की शक़्ल में नेपाल में नज़र रहा है.

मोहब्बत की आग, सुरक्षा से समझौता, ग़ुलामी की ओर
निजी पलों में एकसाथ नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली और चीनी राजदूत होउ यांकी 

मोहब्बत की कोई उम्र नहीं 

कहते हैं कि मोहब्बत वो आग है जो लगाए ना लगे और बुझाए ना बुझे, कब हो जाए, किससे हो जाये, कहाँ हो जाए और क्यों हो जाए, कोई नहीं जानता है. जब ये आग नेहरु को लगी तो उनकी उम्र 58 की थी और एडविना 47 की होने जा रही थीं. उसी आग की तपिश में आज ओली 68 के हैं जबकि यांकी 50 बरस की हैं. लेकिन मोहब्बत तो किसी भी उम्र की हो, बेपनाह ही होती है. ऐसे में, लंदन की बेहतरीन शामें, हसीन रातें, खुली और आज़ाद ज़िंदग़ी की लत ने जहां नेहरु को बड़ी आसानी से एडविना की गोद में पंहुचा दिया था वहीं ओली के लिए, उनकी संघर्षपूर्ण और ढ़लती रूखी-सूखी ज़िन्दग़ी में यांकी एक ख़ूबसूरत जवानी का एहसास है.

मोहब्बत की आग, सुरक्षा से समझौता, ग़ुलामी की ओर
 प्रधानमंत्री आवास में केपी ओली के साथ चीनी राजदूत होउ यांकी


कैसा है यह प्यार- प्लेटोनिक या शारीरिक?

मोहब्बत का यह बुख़ार जो कभी नेहरु को था और आज ओली को चढ़ा हुआ है उसे प्लेटोनिक (आदर्शवादी) समझा जाये या फ़िर शारीरिक, इसपर थोड़ा मतान्तर है, या फिर यूं कहिये कि कुछ लोगों की राय अलग है. इसलिए, हमें दोनों शख्शियतों से जुड़ी घटनाओं और उपलब्ध साक्ष्यों को मोहब्बत अथवा प्यार के सही मायने की कसौटी पर परखने की ज़रूरत है. इससे दोनों में फ़र्क़ कर वास्तविकता का पता लगाया जा सकता है.

 

प्यार क्या है जानिए

प्यार वह मनोवृत्ति है जो किसी को बहुत अच्छा समझकर सदा उसके साथ या पास रहने की प्रेरणा देती है. इसमें त्याग, तपस्या तथा बलिदान के भाव समाहित होते हैं.

प्यार एक शाश्वत भाव है जो प्रकृति के कण-कण में समाया हुआ है. यह कल भी था, आज भी है और कल भी रहेगा. यह एक ऊर्जा भी है, जिससे ही प्रकृति निरंतर पल्लवित, पुष्पित और फलित होती है. यह तो ह्रदय का विषय है जिसमें न तो कोई समझौता है, और नहीं कोई प्रतिबंध है.
प्यार तो एक बहाव है जो दिल से शुरू होता है. इसमें लोग बढ़े चले जाते हैं और मोक्ष या विभिन्न योनियों में आवागमन से मुक्ति को प्राप्त करते हैं.

मोहब्बत की आग, सुरक्षा से समझौता, ग़ुलामी की ओर
दिल से निकलते प्यार के बहाव का सांकेतिक चित्र

लेकिन जिस प्यार में कुछ पाने की चाह हो, या ज़िस्मानी ताल्लुक़ात हों, तो वह प्यार नहीं, आकर्षण है, स्वार्थ-सिद्धि का एक ज़रिया है. यूं कहिये कि यह शारीरिक आकर्षण के गर्भ से उपजी एक परिस्थिति है जो क्षणभंगुर होती है.

नेहरू और एडविना का संबंध   

नेहरु और एडविना के संबंधों की बात करें तो कई सारे लेखकों, देश-विदेश में तैनात रहे भारत सरकार के तत्कालीन अधिकारियों और कुछ चश्मदीदों के खुलासे से ये पता चलता है कि नेहरु और एडविना के बीच ना सिर्फ़ ज़िस्मानी ताल्लुक़ात थे बल्कि दोनों के बीच एक विकृत कामुकता थी जो कि कई मौकों पर सार्वजनिक भी हो जाती थी. मसलन दिल्ली के सरकारी आवास स्थित स्विमिंग पुल में एक साथ नहाना, नैनीताल के राजयपाल आवास में रूसी मोदी द्वारा नेहरु और एडविना को हमबिस्तर होते हुए देखा जाना (एमजे अक़बर की क़िताब, नेहरू-द मेकिंग ऑफ़ इंडिया), लंदन स्थित माउंटबैटेन के आवास (लॉर्ड माउंटबैटेन की अनुपस्थिति में ) पर एडविना द्वारा नाईट गाउन में दरवाज़ा खोलने तथा नेहरु के अंदर दाखिल होने की वहां अख़बारों में छपी तस्वीरें (खुशवंत सिंह की आत्मकथा-ट्रूथ, लव एंड लिटिल मेलिस) और दोनों के अनगिनत प्रेमपत्र आदि साक्ष्य हैं.

मगर कुछ लोगों का यह भी मानना है कि ओली भी नेहरू की तरह हनी ट्रैप में फंसे हैं. क्योंकि दोनों ही राजनेताओं के मामलों में सीधे-सीधे राजनीतिक और सामरिक रूप से जुडी हुई महिलाओं के साथ संबंध होने की बात है. प्यार यहाँ स्वार्थ और शारीरिक आकर्षण पर टिका हुआ स्पष्ट नज़र आता है, जिसमें जिसे लव, सेक्स और धोखा देखा जाता है.

 

हनी ट्रैप के मायने 

हनी ट्रैप एक नेटवर्क या जाल है जिसमें किसी को फांसने के लिए खूबसूरत या सेक्सी महिलाएं पेश की जाती हैं. यह आमतौर पर बड़ा और उच्चस्तरीय होता है.

दरअसल, हनीट्रैप ऐसा प्यारा और मीठा ज़ाल है, जिसमें फंसने वाले को अंदाज़ा भी नहीं होता है कि वह कहाँ फंस गया है, और किसका शिक़ार बनने वाला है. इसमें दुश्मन देश की ख़ूबसूरत महिला एजेंट टारगेट किए गए देश के राजनेताओं और सेना के अधिकारियों को अपने हुस्न के ज़ाल में फंसाती हैं.

जैसा कि हम जानते हैं कि हमेशा सीधी ज़ंग नहीं होती है, और हर बार सिर्फ़ ज़ंग के मैदान में ही मात नहीं दी जाती है, ख़ुफ़िया तरीक़ों से भी दुश्मन को मात दी जाती है. इस ख़ुफ़िया खेल में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है हनी ट्रैप. 
  

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हनी ट्रैप में शामिल महिलाएं जिन्होंने कई भारतीय राजनेताओं-अधिकारीयों को निशाना बनाया 


हनी ट्रैप में फंसे थे नेहरु और जिन्ना      

कहते हैं कि एडविना माउंटबैटेन के प्यार में नेहरू इस क़दर पाग़ल थे कि कई मौकों पर उन्होंने देश का अच्छा-बुरा भी सोचना छोड़ दिया था. उनमें भारत के विभाजन का मसला भी शामिल है. राजीव दीक्षित के भाषणों, आर्य जीतेन्द्र की पुस्तक-‘विष कन्या’ तथा कुछ अन्य पुस्तकों की मानें तो बड़े हैरतअंगेज़ तथ्य सामने आते हैं. उनमें यह बताया गया है कि नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना और एडविना माउंटबैटेन लंदन स्थित हेरिस कॉलेज में पढ़ते थे. एडविना सुबह नेहरु से मिलती थीं और शाम को मुहम्मद अली जिन्ना के साथ डेट करती थीं. यानी अंग्रेज़ यह जानते थे कि दोनों एक ही औरत से प्यार करते हैं इसलिए, जब लॉर्ड माउंटबैटेन भारत आए तो उनके साथ एडविना को भी उनकी पत्नी बनाकर भेज दिया गया.
उनके अनुसार, लॉर्ड माउंटबैटेन ने अपनी डायरी में लिखा था कि भारत आने के बाद वे कभी भी पत्नी एडविना के साथ बिस्तर पर नहीं गए थे. क्योंकि वह औरत सिर्फ़ और सिर्फ़ नेहरु और जिन्ना के लिए भेजी गई थी इसलिए, वह भी इन्हीं दोनों के इर्द-गिर्द अक्सर पाई जाती थी.

मोहब्बत की आग, सुरक्षा से समझौता, ग़ुलामी की ओर
जवाहरलाल नेहरु, एडविना लुईस और मोहम्मद अली जिन्ना 


विभिन्न स्रोतों से यह भी पता चलता है कि 3 जुलाई 1947 की अहले सुबह 3 बजे नेहरु और एडविना एक साथ थे. उस वक़्त एडविना ने नेहरु को कुछ अश्लील तस्वीरें दिखाई, जो दोनों के बीच की थीं. उसने नेहरु को ब्लैकमेल कर विभाजन के दस्तावेज़ पर दस्तख़त करने पर मज़बूर किया. ऐसा ही उसने जिन्ना के साथ भी किया तथा दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कराकर भारत के दो टुकड़े करवा दिए.

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स्वर्गीय राजीव दीक्षित और एडविना संग नेहरू तथा जिन्ना के न्यूज और सोशल मीडिया पर तस्वीरें   

केपी ओली और होउ यांकी का सम्बन्ध                 

वर्ष 2018 को संयोग कहें या नेपाल का दुर्भाग्य कि फ़रवरी में केपी ओली ने देश की बागडोर संभाली और दिसंबर में चीनी राजदूत होउ यांकी का आगमन हुआ. पाक़िस्तान को शीशे में उतार चुकी यांकी बीजिंग के निर्देशानुसार आते ही अपने मिशन पर लग गई. उसने सोशल मीडिया को ज़रिया बनाया और फ़िर नेपाली सांस्कृतिक कार्यक्रमों में नृत्य आदि पेश कर अपनी अदाओं से जनता का मन मोहने लगी.

मोहब्बत की आग, सुरक्षा से समझौता, ग़ुलामी की ओर
नेपाली लोकनृत्य में हुस्न के ज़लवे बिखेरती ख़ूबसूरत चीनी राजदूत होऊ यांकी  

जब उसकी ख़ूबसूरत अदाओं की चर्चा राजनितिक गलियारों तक पहुंची तो ओली भी अछूते नहीं रहे. इसी मौक़े का फ़ायदा उठाकर वह उनके क़रीब जा पहुंची. इतने क़रीब कि यांकी के दफ़्तर और ओली के आवास की दूरियां सिमट गईं. ओली यांकी के प्यार में इस क़दर पाग़ल हुए कि वे देश का भला-बुरा सोचना छोड़ यांकी के इशारों पर नाचने लगे.

मोहब्बत की आग, सुरक्षा से समझौता, ग़ुलामी की ओर
हनी ट्रैप की माहिर होउ यांकी और उसके ज़ाल में फंसे केपी ओली 

आज हालत यह है कि यांकी चौबीस घंटे ओली के पीछे साए की तरह लगी रहती है. अब यह ओली की तरफ़ से दी गई छूट है या ख़ुद ओली की ज़रूरत कि यांकी बेरोकटोक उनसे मिलने कहीं भी पहुँच जाती है. वह देर रात ओली के आवास पर आती-जाती रहती है, और एकांत में भी उनकी मुलाक़ातें चलती रहती हैं. नेपाल में सत्ता के गलियारों से लेकर आमजन के बीच चौक-चैराहों तक आज इसकी चर्चा आम है.

नेपाली सेना पर भी यांकी का शिकंजा 

चीनी राजदूत होउ यांकी का क़द आज इतना बड़ा हो चुका है कि वह नेपाल के सेनाध्यक्ष को भी जब चाहे तलब कर लेती है, उनसे मीटिंग करती है और निर्देश भी देती है.

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मदद के ज़रिए शिकंज़ा : चीनी राजदूत यांकी और नेपाली सेना प्रमुख 

सरकारी कामकाज में दख़ल 

नेपाल के संवेदनशील और महत्वपूर्ण सरकारी दफ्तरों में भी उसका आना-जाना है. वह सरकारी काम-काज में दखल देती है. बाबुओं में उसका ख़ूब रौब है.

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सरकारी कामकाज़ में दखलंदाज़ी : चीनी राजदूत यांकी की देखरेख में काम करते नेपाली कर्मचारी 

नेपाली राजनीति में निर्णायक भूमिका   

नेपाल में यांकी ओली से भी ज़्यादा प्रभावशाली है. जो काम ओली नहीं कर सकते हैं वह यांकी चुटकियों में कर देती है. कम्युनिस्ट पार्टी के गठबंधन में वह एक पुल का काम कर रही है, और इसे न सिर्फ़ टूटने से बचाया है, बल्कि ख़तरे में पड़ी ओली की कुर्सी भी फ़िलहाल बचा ली है.

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पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ और केपी ओली के बीच समझौता कराने वाली होउ यांकी 

यांकी के इशारे पर भारत विरोधी क़दम 

यांकी के दीवाने ओली अब पूरी तरह चीन की गोद में जा बैठे हैं. उसी के इशारे पर वे भारत विरोधी काम कर रहे हैं. हाल ही में यांकी के मार्गदर्शन में संसद से नेपाल का नया नक़्शा पास हुआ है जो पिछले नक़्शे से अलग़ है. नेपाल ने इस नए नक़्शे  में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को अपना बताया है, जबकि ये इलाक़े हमेशा से ही भारत का हिस्सा रहे हैं.

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भारत के भूभाग-लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपना हिस्सा बता रहा नेपाल का नया नक़्शा 

नेपाल में चीनी टेंट और पीएलए के जवान 

नेपाल इन दिनों चीन द्वारा क़ाबिज़ तिब्बत और नेपाल सीमा पर चीनी ख़र्चे पर सड़क निर्माण कर रहा है, जिससे चीन को फ़ायदा हो सके, और आसानी से वह नेपाल और भारत तक सामरिक पहुँच बना सके. उसने नेपाल-भारत सीमा पर चीनी टेंट लगा रखे हैं, और जो बंकर बनाए हैं उनमें नेपाली सेना के जवानों के साथ चीनी सेना (पीएलए) के जवान भी बैठे हुए हैं.

चीन की शह पर नेपाल रोज़ नई साज़िशें रच रहा है. इससे तनाव की स्थिति बन रही है.

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नेपाल सीमा में लगे चीनी टेंट और उनमें नेपाली वर्दी में पीएलए के जवान 

बेटी-रोटी का संबंध बिगाड़ने की क़वायद 

ओली सरकार ने भारत-नेपाल के बीच सदियों पुराने बेटी-रोटी के संबंध को बिगाड़ने के मक़सद से ही नया नागरिकता क़ानून का प्रस्ताव पेश किया है जिसके तहत नेपाली पुरुषों के साथ विवाह करने वाली ग़ैर नेपाली मूल की महिलाओं को विवाह के बाद नेपाल की नागरिकता पाने के लिए सात साल का लंबा इंतज़ार करना होगा.

नेपाल की ज़मीन पर चीन का क़ब्ज़ा 

कहते हैं कि शराब, क़बाब और शबाब की लत जिसे लग जाए उसकी बर्बादी पक्की है. कुछ ऐसा ही नेपाल में भी होता हुआ दिख रहा है. वहां के प्रधानमंत्री केपी ओली पर चढ़ा होउ यांकी के हुस्न का ज़ादू अपना रंग दिखा रहा है. जैसे नेहरु ने आधा कश्मीर और अक्साई चीन गंवा दिए थे वैसे ही ओली सरकार भी अपने सीमावर्ती इलाक़े (नेपाल-तिब्बत सीमा) चीन के हवाले करती जा रही है. बताया जाता है कि चीन अबतक गोरखा जिले के रूई गुआन गाँव समेत 12 इलाक़ों में क़रीब 36 हेक्टेयर भूमि पर क़ब्ज़ा कर चुका है.

मोहब्बत की आग, सुरक्षा से समझौता, ग़ुलामी की ओर
नेपाल के 12 गांवों में क़रीब 36 हेक्टेयर ज़मीन पर चीनी क़ब्ज़े का सांकेतिक चित्र 


इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट, जिसे नेपाल की स्थानीय मीडिया भी स्वीकारती है; उसमें खुलासा हुआ है कि तिब्बत-नेपाल सीमा पर स्थित नेपाल का रूई गाँव अब तिब्बत-क्षेत्र में शामिल हो चुका है, जो चीन के अवैध क़ब्ज़े में है.

हालांकि यह गाँव अब भी नेपाल के नक़्शे में है, लेकिन वास्तव में उस पर चीन का नियंत्रण है.

हालिया ख़बरों के अनुसार खुलासे के बाद चीन ने गाँव में बॉर्डर पिलर उखाड़ दिए हैं, ताकि वह अपने ग़ैरक़ानूनी क़ब्ज़े की बात दबा सके, जबकि तथ्य यह है कि गांव के लोग अपनी मूल पहचान के लिए सघर्ष कर रहे हैं. इस गाँव में रहने वाले सभी 72 परिवारों का रिकॉर्ड, गोरख़ा जिले के राजस्व दफ़्तर में मौज़ूद है.

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चीन के क़ब्ज़े में नेपाल का ख़ूबसूरत रूई गाँव 

नेपाल बना चीन का नया पाक़िस्तान 

हैरानी की बात यह है कि भारत के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी करने वाले नेपाली पीएम ओली ने नेपाल में चीनी घुसपैठ और क़ब्ज़े पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन भारत के ख़िलाफ़ प्रोपेगेंडा कर रहे हैं. साथ ही, सीमाओं पर तनाव भी बढ़ा रहे हैं. इससे लगता है कि नेपाल चीन का नया पाक़िस्तान बन गया है, और ओली बन गए हैं उसके लिए इमरान ख़ान.

मोहब्बत की आग, सुरक्षा से समझौता, ग़ुलामी की ओर
शी जिनपिंग के दो मोहरे : इमरान और केपी ओली 


और अंत में नेपाली पीएम ओली और नेपाल की शान में बस इतना ही कहूंगा…

        
        लुटा के हर चीज़ मंज़िल-ए -इश्क़ की राह में,
        मैं हंस पड़ा हूँ आज ख़ुद को बरबाद करके। 

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रामाशंकर पांडेय

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