सामुद्रिक शास्त्र: महिलाओं की नाभि पर तिल क्या कहता है जानिए
तिल शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है.लेकिन नाभि पर तिल की बात ही कुछ और होती है.महिलाओं की नाभि के क़रीब स्थित तिल का अध्ययन करना उनकी कुंडली पढ़ने जैसा ही होता है.
तिल के नाम से जाना जाने वाला हमारे शरीर पर काले रंग का एक छोटा दाग या निशान (चिन्ह), जो प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, क्या लाक्षणिक होता है? यानी, हमारे अंगों पर स्थित तिल भी हमारे बारे में कुछ कहते हैं? रहस्य उजागर कर देते हैं? विज्ञान तो ऐसा नहीं मानता है.मगर ज्योतिष विज्ञान की एक विशेष शाखा सामुद्रिक शास्त्र कहता है कि शरीर के विभिन्न अंगों पर स्थित तिल का व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर होता है.नाभि पर स्थित तिल भी उनमें से एक है.यह बहुत मायने रखता है- पुरूष और स्त्री, दोनों के लिए.सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार नाभि के आसपास या उसके अंदर स्थित तिल का अध्ययन करना व्यक्ति की कुंडली पढ़ने जैसा है.इससे महिलाओं के व्यक्तित्व और भाग्य के बारे में सब कुछ जाना जा सकता है.
क्या होता है तिल जानिए
तिल (mole), त्वचा पर काले या भूरे रंग का हल्के उभार के रूप में चिन्ह या निशान होता है, जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है- गुप्तांगों (private parts) पर भी, और मुंह और पेट के अंदर भी.नाभि पर तिल भी इनमें से एक है.ज्ञात हो कि एक वयस्क व्यक्ति के शरीर पर 10-40 तक की संख्या में तिल होना सामान्य है.
वैज्ञानिक नज़रिए से देखें तो त्वचा में रंगद्रव्य (मेलानिन) बनाने वाली कोशिकाएं (मेलानोसाइट्स) एक जगह इकठ्ठा होकर बढ़ती हैं, तो तिल बनते हैं.अर्थात तिल त्वचा पर एक प्रकार की असामान्य वृद्धि है, जिसका कोई विशेष महत्त्व नहीं है.लेकिन भारतीय परंपरा में यह बहुत ख़ास है.भारतीय परंपरा और इसकी ज्योतिष विद्या का चीन और नेपाल पर विशेष प्रभाव होने के कारण वहां भी शरीर पर तिल को व्यक्ति के जीवन पर असर डालने वाला और संकेतक माना जाता है.
‘नाभि पर तिल’ का अर्थ समझिये
नाभि पर तिल को समझने के लिए यह ज़रूरी है कि हम नाभि को समझें.जैसा कि हम जानते हैं कि नाभि हमारे आमाशय (अपचित भोजन का स्थान, पेट) और पक्वाशय (पके हुए भोजन का स्थान, आंत) के बीच स्थित होती है.अतः इसके ठीक पास या बहुत क़रीब पाया जाने वाला तिल ‘नाभि पर तिल’ कहलाता है.यह नाभि की किसी भी दिशा में स्थित हो सकता है- नाभि के ऊपर या नीचे, या फिर दायीं या बायीं ओर.यहां तक कि यह नाभि के अंदर भी हो सकता है.ज्ञात हो कि नाभि-क्षेत्र (navel area) से अलग या दूर स्थित तिल ‘नाभि पर तिल’ का संकेतक (लक्षण बताने वाला) नहीं हो सकता है.उसका अलग ही महत्त्व होता है.
नाभि के ऊपर तिल
नाभि के ऊपर तिल का मतलब ऐसा तिल है जो नाभि के ठीक ऊपर हो.ऐसी तिल वाली महिलाएं सौभाग्यशाली बताई जाती हैं.सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जिन महिलाओं की नाभि के ऊपर तिल होता है वे शांत, सुशील, मिलनसार, विवेकशील, उद्यमी और परिश्रमी होती हैं.उन्हें अच्छा पति और खुशहाल परिवार मिलता है.कम पर योग्य संतान का योग होता है.
विशेषज्ञ बताते हैं कि नाभि के ऊपर तिल वाली महिलाएं दूरदृष्टि (आगे की सोचने या पहले ही सोचने-समझने की शक्ति) वाली होती हैं.इन्हें उद्देश्यपूर्ण कार्य में रूचि होती है, जिसे ये सुनियोजित ढ़ंग से करने में विश्वास रखती हैं.
ये मिलजुलकर कार्य करना और रहना पसंद करती हैं पर व्यर्थ की बातों से बचती हैं, और दिखावा नहीं करती हैं.इस कारण अक्सर इनकी आलोचना होती है, और कईयों से संबंध भी बिगड़ जाते हैं.लेकिन इनका शांत और संयमी मन विपरीत परिस्थितियों का भी सामना करने में समर्थ होता है.ये एक बार क़दम बढ़ाने के बाद पीछे नहीं हटती हैं.
इनका विवेकपूर्ण निर्णय, उद्यम और परिश्रम इन्हें लक्ष्य पूरा कर धन और यश की प्राप्ति में सहयोग करता है.इनकी ज़िन्दगी आसान और खुशियों से भरी होती है.
इनका दांपत्य जीवन सामान्य रहता है, और संतान से संबंध मधुर बने रहते हैं.
इनका स्वास्थ्य आमतौर पर अच्छा रहता है, और किसी गंभीर बीमारी का योग नहीं होता है.विशेषज्ञों के अनुसार ये लंबा जीवन (80 से अधिक वर्षों तक) जीती हैं.
नाभि के नीचे तिल
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जिन महिलाओं की नाभि के नीचे तिल होता है वे कलाप्रेमी, महत्वकांक्षी, चंचल मन की और रंगीन मिजाज़ (रोमांटिक) होती हैं.इनका पारिवारिक जीवन उतार-चढ़ाव वाला होता है, मगर पति पर प्रभाव रहता है.इन्हें अधिक संतान का योग होता है.
ऐसी महिलाओं के बारे में विशेषज्ञ विस्तार से बताते हुए कहते हैं कि ये आज़ाद ख़याल होती हैं, और बेफिक्र ज़िंदगी जीती हैं.इन्हें कठिनाइयों का सामना भी कम ही करना पड़ता है क्योंकि इनके पास अवसर ज़्यादा होते हैं, और क़ामयाबी की दर भी अच्छी होती है.दरअसल, इनका तरीक़ा और आकर्षण इन्हें दूसरों पर हावी होने में मददगार होता है, जिससे इनका काम आसान हो जाता है, या फिर बिना कठिनाई के, और अपेक्षाकृत जल्दी अपना काम निकलवा लेती हैं, और फ़ायदे में रहती हैं.
यूं समझ लीजिये कि नाभि के नीचे तिल वाली स्त्रियां कुछ सृजित करने या उपार्जन में धन, श्रम और समय से अधिक अपने प्रभाव का उपयोग करती हैं.यहां तक कि उचित-अनुचित तरीक़े-तकनीक से उसे हासिल कर लेने में यक़ीन रखती हैं.हाथ में आया मौक़ा ये जाने नहीं देती हैं.
हालांकि इनका अवसरवादी स्वभाव कई बार बेनक़ाब हो जाता है, और इन्हें नुकसान के साथ बदनामी भी झेलनी पड़ती है, लेकिन जल्द ही इनका जादुई असर हवाओं का रूख बदल देता है.दुश्मन भी खींचे चले आते हैं.
कला के क्षेत्र के अलावा, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी इनका प्रभाव होता है.
हालांकि परिवार में इनकी कम ही बनती है, और यहां कलह का योग प्रबल होता है फिर भी, पति पर इनका पूरा प्रभाव होता है.यूं कहिये कि पति को ये अपनी उंगलियों पर नचाती हैं.बच्चों से संबंध सामान्य रहता है.
नाभि के नीचे तिल वाली स्त्रियों को अक्सर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है.बुढ़ापे तक तो इनकी शारीरिक स्थिति जर्जर हो जाती है, और 65-70 साल की उम्र में मृत्यु हो जाती है.
नाभि की दायीं ओर तिल
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार नाभि की दायीं ओर तिल वाली महिलाएं बुद्धिमान, उद्यमी, धैर्यवान और साहसी प्रकृति की होती हैं.इन्हें समृद्ध परिवार और मनचाहा पति मिलता है.परंतु, संतान-सुख का योग कम होता है.
विशेषज्ञ बताते हैं कि जिन महिलाओं की नाभि की दायीं ओर तिल होता है उनके जीवन धन की कोई कमी नहीं होती है, सब कुछ भरा-पूरा होता है, और समाज में भी सम्मान बना रहता है.लेकिन, कई बार पारिवारिक कलह या झगड़े का वातावरण इनकी परेशानी का सबब बन जाता है.इसका कारण भी पैत्रिक या विरासत की संपत्ति ही संभावित होती है.
मगर इनका जुझारू और परिश्रमी स्वभाव परिस्थितियों से लड़कर जीवन को सामान्य बनाये रखने में मददगार होता है.
ये बहिर्मुखी होती हैं, और अपने आसपास और बाहरी दुनिया में हो रहे बदलावों को लेकर सदा सजग और तैयार रहती हैं.इनकी यही प्रवृत्ति इन्हें ख़ास और लोकप्रिय बनाती है.
इनका दांपत्य जीवन प्यार भरा और मजबूत होता है, जो कईयों के लिए मिसाल बनता है.
ऐसी महिलाओं का स्वास्थ्य भी आमतौर पर ठीक रहता है.अधेड़ावस्था तक ये पूरी सक्रिय और कार्यशील रहती हैं.लेकिन बुढ़ापे की शुरुआत में ही इन्हें कई प्रकार के रोग घेर लेते हैं, और जल्दी ही शरीर शिथिल और जर्जर हो जाता है.ये अधिकतम 70-75 वर्षों तक जीती हैं.
नाभि की बायीं ओर तिल
सामुद्रिक शास्त्र कहता है कि जिन महिलाओं की नाभि की बायीं ओर तिल होता है वे भावुक, कोमल, सहनशील, मिलनसार और कर्तव्यनिष्ठ होती हैं.इन्हें अच्छा पति और अच्छी ससुराल मिलती है.इन्हें अधिक संतान का योग होता है.
विशेषज्ञों के अनुसार नाभि की बायीं ओर तिल वाली महिलाएं अपनी जिम्मेदारियों से कभी पीछे नहीं हटती हैं, और अपना सारा जीवन अपने पति और संतान की सेवा और भलाई में लगा देती हैं.उनके लिए इनके दिल में अपार प्रेम होता है, जो झरने की भांति सदा प्रवाहित होता रहता है.
इनका झुकाव धर्म-कर्म की ओर ज़्यादा होता है, और समाज सेवा में सदा आगे रहती हैं.अपने इन गुणों के कारण ये लोगों के बीच सम्मानित और लोकप्रिय होती हैं.
मगर भावनाओं की प्रबलता या या भावुकता इनके लिए कई बार कष्टकारी सिद्ध होती है.जल्दी ही ये आहत हो जाती हैं, और भीतर ही भीतर घुटती रहती हैं.यानी बड़े से बड़ा कष्ट या तकलीफ़ ये दूसरों के सामने ज़ाहिर नहीं होने देती हैं.
इनका पारिवारिक और दांपत्य जीवन मजबूत और खुशियों से भरा होता है.संतान से सुख-प्राप्ति का योग प्रबल होता है.
ऐसी महिलाओं का स्वास्थ्य हमेशा ठीक रहता है, और लंबा जीवन (80-85 साल तक) जीती हैं.
नाभि के अंदर तिल
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जिन महिलाओं की नाभि के अंदर तिल होता है वे बुद्धिमान, जागरूक, सकारात्मक सोच वाली, मिलनसार और चंचल स्वभाव की होती हैं.इन्हें अच्छा पति और खुशहाल ससुराल मिलती है.कम पर योग्य संतान का योग होता है.
विशेषज्ञों की राय में नाभि के अंदर तिल वाली महिलाओं को एकांत पसंद नहीं होता है, और ये हमेशा लोगों के बीच संवाद के वातावरण में रहती हुई उन्हें स्वयं से परिचित करवाना या उन पर अपनी छाप छोड़ना चाहती हैं.लेकिन, ये अच्छी श्रोता भी होती हैं, दूसरों के विचारों को भी महत्त्व देती हैं.इनका यह सामंजस्यपूर्ण व्यवहार लोगों को भाता है.ख़ासतौर से, इनका अल्हड़पन और मज़ाकिया अंदाज़ इन्हें लोकप्रिय बनाता है.
ये किसी कार्य को अपेक्षाकृत शीघ्र पूरा करती हैं, और बड़ी सहजता से जटिल से जटिल मसलों का हल निकालकर अपनी चतुराई का परिचय देती हैं.
इनका उद्यमी और परिश्रमी स्वभाव इन्हें सफल और समृद्ध बनाता है.इनके सपने पूरे होते हैं, और ज़िंदगी खुशियों से भरी होती है.
इनके पति इन पर अपनी जान छिड़कते हैं, और ये भी उन्हें भरपूर सुख और आनंद देती हैं.इनका बच्चों के साथ रिश्ता अच्छा और मजबूत होता है.
आमतौर पर इनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है, और इन्हें कोई गंभीर (जानलेवा या असाध्य) बीमारी भी नहीं होती है फिर भी, ये दीर्घायु नहीं मानी जाती हैं.बमुश्किल ये औसत आयु (65-70 साल की उम्र) भी पूरी कर पाती हैं.
कुछ जगहों पर ऐसा भी कहा गया है कि इन्हें अकाल मृत्यु का योग होता है, लेकिन इस पर मतभेद है.अधिकांश विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसी महिलाएं वृद्धावस्था की शुरुआत के कुछ वर्षों तक जीवित रहती हैं.
अस्वीकरण: इस लेख में कही गई बातें सामुद्रिक शास्त्र, बहुत्रेयी, लघुत्रयी और अन्य शास्त्रीय पुस्तकों सहित पत्रिकाओं, इन्टरनेट वेबसाइट, पूर्व में किये गए कार्यों से विवरण इकठ्ठा करके किया गया साहित्यिक और वैचारिक अध्ययन का निचोड़ हैं.खुलीज़ुबान.कॉम इसकी सौ फ़ीसदी (100%) प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है.इसलिए, इसे संक्षिप्त जानकारी मानकर पाठक अपने विवेक का उपयोग करें.
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