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स्वास्थ्य के लिए वरदान से कम नहीं पनीर फूल, डायबिटीज, अस्थमा और कैंसर में भी होता है इस्तेमाल

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ऋष्यगंधा यानि, पनीर फूल या पनीर डोडा प्रकृति से वनस्पति के रूप में प्राप्त एक वरदान से कम नहीं है.आयुर्वेद में हजारों साल से इसका उपयोग हो रहा है, और यह अनेक रोगों का शमन करने तथा मानव शरीर को निरोगी बनाए रखने में पूर्ण समर्थ माना जाता है.


पनीर का फूल 


कई फल-फूल ऐसे होते हैं, जो न सिर्फ़ प्रकृति को खूबसूरत और आकर्षक बनाते हैं, बल्कि सेहत और त्वचा के लिए भी लाभकारी होते हैं.इन्हीं में से एक गुणकारी फूल को हम पनीर फूल या पनीर बूटी के नाम से जानते हैं.यह ऐसा प्रभावकारी फूल है, जिसका प्रयोग सदियों से भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की दवाइयों में होता रहा है.मगर, इसकी गुणवत्ता को लेकर जानकारी के प्रसार ने बाक़ी दुनिया को भी प्रभावित किया, और इसके परिणामस्वरूप अन्य चिकित्सा विधियों में भी इसके प्रयोग को अपना लिया गया.आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इस पर कई शोध हो चुके हैं, और इससे कई गंभीर और जानलेवा बीमारियों में काम आने वाली दवाइयां बनाई और इस्तेमाल की जा रही हैं.


ऋष्यगंधा को पनीर का फूल क्यों कहते हैं?

ऋष्यगंधा को पनीर का फूल कहा जाता है क्योंकि इसके बीजों में मौजूद प्रोटिएज यानि, एन्जाइम या प्रोटीन के द्वारा दूध से पनीर बनाई जा सकती है.यानि, इसमें थक्का बनाने की शक्ति होती है.

ऋष्यगंधा का पौधा मूल रूप से भारतीय है, और इसीलिए इसे ‘इंडियन रेनेट’ यानि, भारतीय जामन (जोरन- दही जमाने के लिए दूध में डाला जाने वाला थोड़ा दही या खट्टा पदार्थ) कहा जाता है.यह वर्तमान भारत और पुराने या अखंड भारत के हिस्सों अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के गर्म और सूखे स्थान पर पाया जाता है.

इसकी खेती होती है, और दवा के रूप में इसके इस्तेमाल के साथ-साथ लोग इसकी सब्ज़ी भी बनाते हैं.

ऋष्यगंधा को सोलानेसी परिवार (मानव जाति के सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले और महत्वपूर्ण पौधों का परिवार, जिसमें आलू, बैंगन, टमाटर, शिमला मिर्च और मिर्च शामिल हैं) का बताया गया है और इसका वैज्ञानिक नाम विथानिया कोगुलांस (Withania Coagulans) है.इसका पौधा झाड़ीदार होता है, जिसमें छोटे-छोटे महुआ के फूल जैसे फूल लगे होते हैं.स्वाद में मीठे और नमकीन ये शामक और मूत्रवर्द्धक गुणों वाले होते हैं.

मगर, इनकी जड़, टहनी, फल, पत्तियां, छाल, आदि ऐसी होती हैं, जिनमें ज़रूरी तेल (एसेंशियल आयल) और क्षारीय गुण (एल्केलाइड) होते हैं, और उपयोग के लायक होते हैं.

विशेषज्ञों के अनुसार, इनमें कम रक्त शर्करा (हाइपोग्लाइसेमिक), अतिवसारक्तता ( हाइपोलिपिडेमिक), रक्तवाहिका या ह्रदयनलिका संबंधी (कार्डियोवैस्कुलर), यकृत शोथ रक्षक (हेपाटोप्रोटेक्टिव), सूजनरोधी (एंटी-इन्फ्लेमेटरी), प्रतिऑक्सीकारक (एंटी-ऑक्सीडेंट) और कवक या फंगसरोधी (एंटी-फंगल) जैसे औषधीय गुण होते हैं.

पनीर का फूल दरअसल, डायबिटीज, अस्थमा और कैंसर जैसे गंभीर रोगों के उपचार में काम आने वाली वनस्पति है.इसमें वज़न घटाने (वेट लॉस मैनेजमेंट), अनिद्रा की स्थिति से छुटकारा दिलाने की विशेषता के साथ-साथ त्वचा रोगों से लड़ने और इसे स्वस्थ बनाए रखने की अपार शक्ति होती है.इस कारण इसका प्रयोग कई प्रकार की आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में किया जाता है.

चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में इसका विशेष वर्णन मिलता है.


डायबिटीज में बहुत फ़ायदेमंद है पनीर का फूल

पनीर के फूल में एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक (रक्त में ग्लूकोज की मात्रा की अधिकता) तत्व मौजूद होते हैं, जो खून में ग्लूकोज (द्राक्ष शर्करा) को (इसकी मात्रा को) नियंत्रित करने की क्षमता रखते हैं.ऐसे में, टाइप 2 डायबिटीज (जिसमें खून में शुगर/चीनी का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है) की स्थिति में इसका नियमित सेवन बहुत फ़ायदेमंद माना जाता है.

मधुमेह विशेषज्ञों के अनुसार, पनीर का फूल एक ऐसी दवा है, जो मधुमेह नियंत्रण (डायबिटीज मैनेजमेंट) में बहुत कारगर है.यह न सिर्फ़ शरीर में इंसुलिन (मधुसुदनी- एक प्रकार का हार्मोन, जो अग्नाशय में बनता है, और जो रक्त शर्करा के स्तर को संतुलित कर उसे सामान्य बनाए रखता है) की मात्रा को सही बनाए रखता है, बल्कि अग्नाशय (पेन्क्रियाज) की उन बीटा कोशिकाओं (बीटा सेल्स) की मरम्मत करता है, जो इंसुलिन का उत्पादन करते हैं.

दरअसल, टाइप 2 डायबिटीज में अग्नाशयी आइलेट (पेंक्रियाटिक आइलेट्स, जिन्हें लैगरहैंस (जर्मन शरीरविज्ञानी पॉल लैगरहैंस) के आइलेट्स भी कहा जाता है) में मौजूद बीटा कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने के कारण हमारा शरीर इंसुलिन का उत्पादन करना बंद कर देता है.ऐसी स्थिति में हमारे शरीर को इस कार्य (इंसुलिन के उत्पादन) के लिए जिस बाहरी स्रोत की आवश्यकता होती है, वह स्रोत पनीर का फूल है.

अयुर्वेदाचार्य दिनेश कटोच का कहना है-

” डायबिटीज ग़लत जीवनशैली व खानपान की ग़लत आदतों के कारण होने वाली बीमारी है, जिसके चलते हमारे शरीर में कई सारे परिवर्तन होते हैं, और कई अंगों पर इसका बुरा असर होता है.ख़ासतौर से, जिनको यह बहुत सालों से हैं, उनको लीवर, किडनी, आंखों आदि में कई समस्याएं देखने को मिलती हैं.

साथ ही, इसमें एलोपैथी की मधुमेह निरोधी दवाओं (एंटी-डायबिटिक मेडिसिन) से ब्लड शुगर लेवल कम होता है मगर, इसके कई सारे दुष्परिणाम भी हैं.

अगर हमें डायबिटीज का सही समाधान करना है, तो इसके मूल कारण और उचित उपाय पर गौर करना ज़रूरी है.ऋष्यगंधा का नियमित सेवन एक सर्वोत्तम उपाय है. “


कई अन्य विशेषज्ञ-चिकित्सक, जिनमें कुछ एलोपैथी डॉक्टर भी हैं, मधुमेह के रोग में ऋष्यगंधा के सेवन की सलाह देते हैं.उनका कहना है कि यह एक उपयोगी औषधीय पौधा है, जिसका कई चिकित्सा पद्धतियों में दवाइयां बनाने के काम आता है.


अस्थमा की समस्या में लाभकारी

अस्थमा सांस से जुड़ी समस्या है, जो वात एवं कफ़ दोष के कारण होती है.इसमें पनीर के फूल का इस्तेमाल बहुत लाभकारी होता है.एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलोजी इन्फ़ॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध की रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके लगातार सेवन से अस्थमा के रोगियों में सुधार देखा गया है.यह अचानक होने वाले दौरे से भी बचाता है.


कैंसर में उपयोगी, साइड इफेक्ट भी नहीं

भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति और लोककथाओं में ऋष्यगंधा का विभिन्न बीमारियों के लिए रामबाण दवा के रूप में उल्लेख तो मिलता ही है, दशकों से इस पौधे का इस्तेमाल जटिल स्वास्थ्य समस्याओं जैसे मधुमेह और कैंसर में हो रहा है.पिछले कुछ वर्षों में बीएचयु (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय) ने ऋष्यगंधा पर कई शोध किए हैं, और इनके सफल परिणामों के पश्चात् तैयार दवाइयों से रक्त कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के इलाज की शुरुआत भी कर दी है.

विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपे लेख के मुताबिक़, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों का मानना है कि ऋष्यगंधा कोई सामान्य औषधीय पौधा नहीं है, और कैंसर के इलाज में इसकी बहुत अच्छी भूमिका है.

उनके अनुसार, बाज़ार में कैंसर के लिए उपलब्ध एलोपैथिक दवाइयों में कई संतोषजनक नहीं हैं.साथ ही,इनके सेवन से शरीर में कई तरह के दुष्प्रभाव की शिकायतें भी आती हैं, जबकि उनकी यह दवा (ऋष्यगंधा के प्रयोग से बनी दवा) बेहतर काम तो करती ही है, इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है.

बताते हैं कि बीएचयु में नैनो-बायोटेक्नोलोजी पर आधारित लैब में तैयार आयुर्वेदिक पौधे ऋष्यगंधा के हाई क्वालिटी क़िस्म से बनी दवाइयां सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर, जो महिलाओं में होने वाला सबसे आम प्रकार का कैंसर है) रोग में बड़ी लाभकारी है.

साथ ही, खून के कैंसर का इलाज भी अहम है.ज्ञात हो कि रक्त कैंसर (ब्लड कैंसर), जिसे ल्यूकेमिया के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रकार का कैसर है, जो रक्त और अस्थि मज्जा से संबंधित है.इसमें रक्त प्रवाह, संक्रमण, खून की कमी, सांस में दिक्कत, त्वचा समस्या, थकान, हड्डी और जोड़ों में दर्द आदि की जो समस्याएं होती हैं, उन सबसे लड़ने की शक्ति ऋष्यगंधा में पाई जाती है.


लीवर को स्वस्थ बनाए रखता है, पुरानी और जटिल समस्याओं में भी लाभकारी

लीवर (यकृत या जिगर) मानव शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है.यह सबसे बड़ी ग्रंथि भी है, जिसमें पाचन तंत्र की सभी प्रक्रियाएं होती हैं.इसमें कई आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो भोजन को पचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

इसमें गड़बड़ी होने पर हमारा शरीर बिगड़ जाता है.मगर, पनीर का फल इसके लिए बड़े काम की चीज़ है.इसमें मौजूद यकृत शोथ रक्षक (हेपाटोप्रोटेक्टिव) गुण लीवर को क्षतिग्रस्त होने से तो बचाते ही हैं, इससे संबंधित पुरानी और जटिल समस्याओं में भी बहुत लाभ प्रदान करते हैं.


वज़न घटाने में सहायक

स्वास्थ्य समस्याओं में मोटापा भी एक बड़ी समस्या है.यह अनुचित खानपान और शारीरिक गतिविधियों में कमी के कारण होता है.इसमें वसा (फैट) शरीर पर इस हद तक इकट्ठी हो जाती है कि वह स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालने लगती है.इसके परिणामस्वरूप हमारा शरीर बीमारियों का घर बन जाता है.

ऐसे में, पनीर फूल बहुत मददगार हो सकता है.इसमें उच्च पित्तसांद्रव (सीरम कोलेस्ट्रोल), रक्त में उपस्थित वसा (ट्राईग्लाइसराइड्स), वसाप्रोटीन (लिपोप्रोटिन) और लिपिड पेरोक्सीडेशन (एलपीओ- लिपिड के ऑक्सीकरणी या जारणकारी क्षरण की प्रतिक्रियाओं की श्रृंखला) के स्तर कम करने अथवा नियंत्रित करने की शक्ति होती है, ऐसा कई शोध और परीक्षणों में देखा गया है.


अल्जाइमर रोग में लाभदायक

अल्जाइमर रोग याददाश्त संबंधी विकार या भूलने का रोग है, जिसमें याददाश्त कमज़ोर होने, निर्णय न ले पाने, बोलने में दिक्कत आने आदि की परिस्थितियां बन जाती हैं.

इससे व्यक्ति का जीवन संकट में पड़ जाता है.विशेषज्ञों के मुताबिक़, यह रक्तचाप, मधुमेह, आधुनिक जीवनशैली या फिर सिर में बार-बार चोट लगने से भी हो सकता है.मगर, पनीर फूल में इसका भी समाधान है क्योंकि इसमें न्यूरोप्रोटेक्टिव यानि, तंत्रिकारक्षक गुण होता है, जो दिमाग़ संबंधी विकार (न्यूरोलोजिकल प्रॉब्लम) को दूर करने की क्षमता रखता है.


मासिक धर्म संबंधी समस्याओं में उपयोगी

मासिक धर्म संबंधी समस्या (मेंसट्रूअल प्रॉब्लम) महिलाओं में आम है.इसे अत्यधिक स्राव, अल्प मात्रा में स्राव, अनियमितता, दर्द-थकान आदि के रूप में देखा-समझा जा सकता है.इसके कई कारण हो सकते हैं.पनीर का फूल इनमें फ़ायदेमंद होता है.विशेषज्ञों के अनुसार, पीड़ानाशक होने के साथ यह गर्भाशय की सफ़ाई में भी उपयोगी औषधि है.


खून को करता है साफ़

रक्त या खून शरीर के अंगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति कर हमें स्वस्थ बनाए रखता है.मगर, इसमें गड़बड़ी होने पर कई प्रकार की व्याधियां उत्पन्न होने लगती हैं.पनीर का फूल रक्त विकारों में उपयोगी है.

आयुर्वेद के चिकित्सकों के अनुसार, पनीर फूल रक्तशोधक है, जो शरीर में वात को संतुलित बनाए रखने में सहायक होता है.इसमें मौजूद प्रतिऑक्सीकारक (एंटी-ऑक्सीडेंट्स) या प्रतिउपचायक गुण रक्त को स्वच्छ रखते हैं.
   
पनीर का फूल क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत करने के साथ हमारे शरीर में उपस्थित नुकसानदेह मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) के प्रभाव को भी कम करने में सहायक होता है.


त्वचा की करता है हिफ़ाज़त, बनाए रखता है जवां

पनीर के फूल का अर्क, पाउडर या लेप पीने, खाने या लगाने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे त्वचा संबंधी समस्याओं से छुटकारा तो मिलता ही है, त्वचा की उम्र (जीवन) भी बढ़ती है.

विशेषज्ञों के अनुसार, पनीर फूल अपने प्रतिऑक्सीकारक गुण के चलते त्वचा को सदा जवां बनाए रखने में सहायक होता है.यह अपने सूजनरोधी (एंटी-इंफ्लेमेटरी) गुण के प्रभाव से सूजन से मुक्ति दिलाता है, जिससे इसकी ऊपरी परत तो स्वस्थ रहती ही है, इसकी नमी भी बरक़रार रहती है.यह सूरज की पराबैंगनी किरणों (अल्ट्रावायलेट रेज) से भी रक्षा करने में सक्षम है.

पिंपल, एक्ने, झाइयां, झुर्रियों आदि में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.


मूत्ररोग के उपचार में सहायक

मूत्ररोग दोनों लिंगों (पुरुष और स्त्री) में मूत्रतंत्र से संबंधित है.यानि, रोग निदान की दृष्टि से मूत्र तथा जनन तंत्रों को अलग नहीं किया जा सकता है.यह ऐसा रोग है, जिसका शरीर के अन्य भागों पर भी सीधा असर होता है, और कई समस्याओं का कारण बनता है.मगर, जिस प्रकार मूत्र रोग विज्ञान (यूरोलोजी) परंपरागत भारतीय चिकित्सा विज्ञान आयुर्विज्ञान की शाखा है, उसी प्रकार इस रोग का समाधान भी है.और इसके समाधान की शक्ति ऋष्यगंधा अथवा पनीर फूल अथवा पनीर डोडा में पाई जाती है.

पनीर फूल के औषधीय गुण मूत्र विकारों जैसे पेशाब रुक-रूककर आना, पेशाब में जलन-दर्द, बार-बार पेशाब आना, पेशाब में खून आना जैसी समस्याओं में लाभकारी बताये जाते हैं.विशेषज्ञों के अनुसार, पनीर फूल के गुणों में शमन (दोष दबाने, नष्ट करने) और मूत्रवर्द्धन (मूत्र की माता बढ़ाने) की शक्ति होती है.


चोट, दर्द से दिलाता है राहत

अधिकांश लोगों को पता ही नहीं है कि कई देसी दवाएं भी एंटिबायोटिक की तरह काम करती हैं.ऐसे में, वे ऐसी दवाइयों का सेवन करते हैं, जो आराम तो देती हैं पर, कई और समस्याओं का कारण भी बन जाती हैं.

मगर, ऋष्यगंधा की बात ही निराली है.अगर कहीं चोट लग जाए, दर्द हो रहा हो, तो पनीर फल को पीसकर इसका लेप लगाने से चोट और दर्द से तो तत्काल राहत मिलती ही है, इसका कोई दुष्परिणाम भी नहीं होता.


सर्दी-ज़ूकाम करता है ठीक

सर्दी-ज़ूकाम ऊपरी श्वसन तंत्र का आसानी से फैलने वाला रोग है, जो ज़्यादातर नासिका को प्रभावित करता है.इसके लक्षणों में खांसी, गले की खराश, नाक से स्राव (राइनोरिया) और बुखार आते हैं.आमतौर पर यह जल्दी ठीक हो जाता है पर, कई बार इसमें कुछ हफ़्ते का समय लग सकता है और इससे कुछ दूसरी समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं.ऐसे में, इस पर ध्यान देना ज़रूरी हो जाता है.
     
सर्दी-ज़ूकाम की स्थिति में पनीर फूल को एक रामबाण औषधि बताया है और तीन-चार दिनों तक इसके सेवन की सलाह दी जाती है.विशेषज्ञों के अनुसार, पनीर फूल का काढ़ा ज़्यादा लाभदायक होता है.


अनिद्रा की समस्या में मददगार

अनिद्रा रोग (इनसौम्निया) में रोगी को अच्छी या पर्याप्त नींद नहीं आती, जिससे पूरा आराम नहीं मिल पाता है और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.इसको लेकर रोगी के मन में चिंता भी रोग को और बढाती है.

ऐसे में, स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त नींद लेना बहुत ज़रूरी होता है.जानकारों के अनुसार, अनिद्रा की समस्या पनीर फूल का उपयोग राहत प्रदान करने वाला है.इसके नियमित सेवन से लाभ मिल सकता है.


थकान करता है दूर

पनीर फूल को एक प्राकृतिक उर्जादायी उत्पाद के रूप में समझा जाता है, जो शरीर को एक सीमा के बाद फिर से प्राप्त करने की आवश्यकता होती है.क्योंकि कार्य करने के बाद व्यक्ति थक जाता है और ऐसी स्थिति में वह न तो सही चिंतन कर पाता है और न आगे कार्य करने की शक्ति ही रखता है.वह उदास हो जाता है.

ऐसे में, पनीर फूल के सेवन की सलाह दी जाती है, ताकि वह उर्जा पुनः प्राप्त कर सके.


पनीर फूल के नुकसान

जैसा कि कहा गया है- अति सर्वत्र वर्जते यानि, किसी भी चीज़ की अति सर्वथा घातक होती है, या अच्छे गुण भी दुर्गुण में बदल जाते हैं अगर, उसकी अति हो जाती है.इसलिए, यह ध्यान रखना चाहिए कि पनीर फूल की भी मात्रा अधिक नहीं होनी चाहिए.साथ ही, यह भी समझना चाहिए कि हर रोगी और उसका मामला अलग हो सकता है.ऐसे में, रोग, दवा लेने के तरीक़े, रोगी की आयु, रोगी का चिकित्सा इतिहास और अन्य कारकों के आधार पर पनीर-फूल की ख़ुराक भी अलग हो सकती है.

शोध से पता चलता है कि पनीर फूल के इस्तेमाल से नसों पर दबाव पड़ने की संभावना होती है, जिससे भ्रम, चक्कर आने, सिर दर्द, मुंह के सूखने (ड्राई माउथ) आदि की समस्या देखने को मिल सकती है.

पनीर फूल में प्रतिरक्षा निरोधक (इम्यूनोसप्रेसिव) गुण पाए जाते हैं, जिसके चलते संक्रमण और अन्य समस्याओं की संभावना बन सकती है.

स्त्रियों को गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान पनीर फूल के इस्तेमाल से परहेज़ करना चाहिए.

ऐसे में चिकित्सक के परामर्श से ही इसके सेवन की सलाह दी जाती है.
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