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चुनाव

जम्मू-कश्मीर के डीडीसी चुनाव परिणाम

जम्मू-कश्मीर में डीडीसी (डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट काउन्सिल) यानि जिला विकास परिषद के चुनाव परिणाम घोषित हो चुके हैं.इसमें एक तरफ़ स्थानीय दलों के गुपकार गठबंधन ने बेहतर प्रदर्शन किया है तो दूसरी तरफ़ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.वहीं निर्दलीय तीसरी बड़ी ताक़त बनकर किंगमेकर की भूमिका में हैं.
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जम्मू-कश्मीर में डीडीसी चुनाव परिणाम
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर का ये डीडीसी चुनाव अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद पहला और ऐतिहासिक चुनाव था,जिसपर देश और दुनिया की निगाहें टिकी हुई थीं.अशांति और हिंसा फ़ैलाने की पूरज़ोर कोशिशों के बावज़ूद मतदान प्रक्रिया निर्बाध रूप से संपन्न हुई और अवाम ने जम्हूरियत में भरोसा जताया.

ज़िले,सीटें और उम्मीदवार 

इस केन्द्रशासित प्रदेश में कुल 20 ज़िले हैं.10 ज़िले ज़म्मू में जबकि 10 ज़िले कश्मीर में हैं.प्रत्येक ज़िले में 14 सीटों की व्यवस्था के अनुसार कुल 280 सीटों पर चुनाव हुए.इस चुनाव में कुल 1,475 उम्मीदवारों में से 296 महिला उम्मीदवार जबकि 1,189 पुरुष उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया.

मतदाता और मतदान

साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान यहाँ पर मतदाताओं की कुल संख्या 78,50,671 थी.इनमें 18-19 साल की आयु के मतदाताओं की संख्या 1,82,182 थी.इसबार 50,000 की संख्या नए मतदाता जोड़े गए.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार,जम्मू-कश्मीर में पुरुष मतदाताओं की संख्या 40,37,992 जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 37,39,951 दर्ज़ की गई.
यहाँ औसत मतदान 51.76 % रहा जबकि कई जिलों में 70 फीसदी से भी ज़्यादा मतदान हुए.

इवीएम की बजाय बैलेट पेपर का इस्तेमाल 

जम्मू-कश्मीर के इस डीडीसी चुनाव में इवीएम की बजाय बैलेट पेपर की थकाऊ प्रक्रिया का इस्तेमाल हुआ.ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कोई दल मतदान में धांधली के झूठे आरोप लगाकर अपनी हार का ठीकरा इवीएम पर न फोड़ सके,जैसा कि अन्य राज्यों में कई दल कई चुनावों में अबतक करते आए हैं.

चुनाव परिणाम

उल्लेखनीय है कि मतगणना के दौरान द्रगमुल्ला और हाजिन की सीटों से लड़ी दो महिला उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त मतों की गणना रोक दी गई क्योंकि उनके पाकिस्तानी नागरिक होने के प्रमाण मिले थे.शेष 278 सीटों के नतीज़े घोषित हुए जिसमें अकेली लड़ी बीजेपी बड़े फायदे में रही है.उसने 75 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल का दर्ज़ा हासिल किया जबकि स्थानीय सात दलों का गठबंधन गुपकार(पीएजीडी)जम्मू-कश्मीर में ज़्यादा सीटें जीतकर आगे रहा है.
गठबंधन में शामिल मुख्य घटक दलों में नेशनल कांफ्रेंस ने 67 और पीडीपी ने 27 सीटों पर जीत दर्ज़ की.ज्ञात हो कि कभी जम्मू-कश्मीर की बागडोर संभालने वाली पार्टी कांग्रेस 26 सीटों पर ही सिमट गई.
विभिन्न दलों का प्रदर्शन इसप्रकार रहा-

जम्मू-कश्मीर के डीडीसी चुनाव 2020 में विभिन्न दलों का प्रदर्शन

दल

सीटें

+/-

%

नेशनल कांफ्रेंस

67

 67

पीडीपी

27

 27

जेकेपीसी

8

 8

सीपीआई (एम)

5

 5

जेकेपीएम

3

 3

एनसी

0

बीजेपी

75

 75

निर्दलीय

50

 50

कांग्रेस

26

 26

जेकेएपी

12

 12

जेकेपीडीएफ(एस)

2

 2

जेकेएनपीपी

2

 2

 

बीएसपी

1

 1

कुल

278/280

 280

51.76%

 विभिन्न दलों द्वारा प्राप्त सीटों का व्यौरा 

डीडीसी चुनाव का महत्त्व 

जम्मू-कश्मीर का डीडीसी चुनाव राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी काफ़ी महत्वपुर्ण है.इसने जहाँ एक ओर देश की विघटनकारी शक्तियों को घुटनों पर ला खड़ा कर दिया है वहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत विरोधी खेमों का मनोबल गिरा दिया है.यह एक सदेश है घाटी में लोकतंत्र की बहाली का,शांति और सौहार्द का.

घाटी में ज़म्हुरियत की जीत 

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कई राजनीतिक दल कहने लगे थे कि घाटी में कोई तिरंगा उठाने वाला नहीं बचेगा.कुछ ने पहले तो चुनाव से दूरी का एलान कर दिया था लेकिन हालात को वे भांप गए और प्रक्रिया का हिस्सा भी बने.बाक़ी क़सर अवाम ने पूरी कर दी.माना जा रहा है कि उसने जिस तरह वोट कर लोकतांत्रिक मूल्यों पर भरोसा जताया है उससे ये साफ़ होता है कि लोकतंत्र में उसकी गहरी आस्था है.
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कड़ाके की ठंड में मतदान

पाकिस्तान को क़रारा ज़वाब

जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान शांति बहाल होते नहीं देखना चाहता था.उसने अशांति फ़ैलाने व चुनाव में बाधा डालने की पूरज़ोर कोशिश की,आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश की लेकिन वह क़ामयाब नहीं हो पाया और प्रदेश की अवाम ने वोट की चोट से उसे क़रारा ज़वाब दिया.

घाटी में पहली बार खिला कमल 

जम्मू इलाक़े में तो बीजेपी का दबदबा पहले से ही रहा है लेकिन कश्मीर घाटी में भी वह कमल खिला देगी,इसकी संभावना कम ही थी.लेकिन ऐसा हुआ.कश्मीर ने पहली बार भगवा चोला ओढ़ा और बीजेपी तीन सीटें जीतने में सफल रही.आतंक का गढ़ दक्षिणी कश्मीर हो या फ़िर एलओसी से लगा उत्तरी कश्मीर या फ़िर अलगाववादियों का गढ़ रहे मध्य कश्मीर में वह दाख़िल हो गई.उसने दक्षिण में पुलवामा की काकपोरा सीट,उत्तर में बांदीपोरा में सीट और मध्य में स्थित श्रीनगर में खानमोह की सीट जीत ली.
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कश्मीर घाटी में कमल

निर्दलीय बने किंगमेकर

इस चुनाव में निर्दलीय तीसरी सबसे बड़ी ताक़त बनकर उभरे हैं.ऐसे में डीडीसी के चेयरमैन के चुनाव में कई जिलों में वे किंगमेकर की भूमिका में हैं.यानि निर्दलीय को साथ लिए बिना कोई भी अपना जिला प्रमुख नहीं बना सकेगा.

पंचायती राज को मिलेगी मज़बूती 

डीडीसी चुनाव के साथ ही जम्मू-कश्मीर में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू हो गई है.अब डीडीसी के ज़रिए प्रदेश की जनता अपने विकास का खाक़ा ख़ुद खींच सकेगी.ज्ञात हो कि विकास से महरूम अवाम ने इसी उम्मीद में कड़ाके की ठंड में भी चुनावों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

विधानसभा चुनाव के खुलेंगें रास्ते 

जम्मू-कश्मीर में डीडीसी चुनाव के नतीज़े से साफ़ हो गया है कि निकट भविष्य में विधानसभा चुनाव कराकर प्रदेश को एक स्थाई सरकार दी जा सकती है.
और चलते चलते अर्ज़ है ये शेर…
                       कितना भी पकड़ लो,फिसलता ज़रूर है, 
                       ये  वक़्त  है  साहिब, बदलता  ज़रूर  है.   
और साथ ही…….
                       मेरे जुनूं का नतीज़ा ज़रूर निकलेगा, 
                       इसी सियाह समंदर से नूर निकलेगा. 
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रामाशंकर पांडेय

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